फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
पर्यावरण की रक्षा, जीवन की सुरक्षा
Dec 14, 2021
पर्यावरण की रक्षा, जीवन की सुरक्षा !!!
दोस्तों, हमें जन्म देने से हमें बड़ा करने, स्वस्थ और सुरक्षित रखते हुए हमें संस्कारवान और शिक्षित बनाने के लिए हमारे माता-पिता न जाने कितने कष्ट उठाते हैं। वे हमारे सपनों, हमारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपनी प्राथमिकताएँ, अपनी ज़रूरतों को ताक पर रख, अपनी ओर से हर सम्भव प्रयास करते हैं और इतना सब करने के बाद भी वे हमसे कोई अपेक्षा नहीं रखते हैं सिवाय प्यार के। इसीलिए कहा जाता है कि आप कभी भी अपने माता-पिता के ऋण को चुका नहीं सकते हैं।
ठीक इसी तरह दोस्तों हमारे ऊपर एक माँ का ऋण और होता है। वह माँ, जो हमें जन्म देने वाली माँ की गोदी से पैर नीचे रखते ही सम्भाल लेती है और उसके बाद जीवनभर सम्भाले रहती है। हमारे ज़्यादातर सपनों में वो किसी ना किसी रूप में योगदान देती है और उसके बाद भी हम उसे लगातार नज़रंदाज़ करते रहते हैं। वह कभी कुछ नहीं कहती, बस पर्यावरण के कुछ बदलावों के द्वारा हमें एहसास करवाती है कि ‘मुझे नज़रंदाज़ मत करो, मुझे अगली पीढ़ी के हाथों सुरक्षित सौंपने की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है।’, लेकिन इसके बाद भी अगर हम उसके इशारे को नज़रंदाज़ कर जाते हैं तो भी उसके प्यार, उसके देने के लहजे में कोई कमी नहीं आती है। जी हाँ दोस्तों, आप सही पहचान रहे हैं, मैं धरती माँ की ही बात कर रहा हूँ। जिसे हममें से ज़्यादातर लोग लगातार दोहे जा रहे हैं, नज़रंदाज़ कर रहे हैं और उसके बाद भी वो अपना सीना चीर कर हमारा पेट भर रही है, हमारी इच्छाओं की पूर्ति कर रही है।
लेकिन दोस्तों, अब समय आ गया है जब हम जीवन के लिए आवश्यक हवा, पानी, अन्न की गुणवत्ता में आए बदलाव को पहचाने और इस पर्यावरण की रक्षा कर अपनी ओर से धरती माँ के क़र्ज़ को चुकाने का प्रयास करें और सुनिश्चित करें कि आने वाली पीढ़ी को हम जैसी धरती हमें मिली थी उससे बेहतर हाल में सौंप कर जाएँगे। इसे किस तरह किया जा सकता है इसे समझने के लिए वैश्विक स्तर पर किए जा रहे कुछ प्रयासों से सीखने और समझने की कोशिश करते हैं-
पहला क़िस्सा है ग्लासगो का, जहां एक ज़मीनी कार्यकर्ता सोफी अनविन ने तेज़ी से भागती, बदलती इस दुनिया के लोगों की आदतों को पहचाना और उन्होंने अपनी आदत में साधारण सा बदलाव करते हुए पर्यावरण बचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सोफ़ी ने वर्ष 2018 में अपनी स्टडी में पाया था कि आजकल लोग अपना समय बचाने और काम निकालने की आदत की वजह से उस सामान को बार-बार ख़रीदते हैं जो उनके पास पहले से ही होता है और वे उसे छोटे-मोटे बदलाव अथवा रिपेयर करके फिर से काम में ले सकते हैं अर्थात् रियूज़ कर सकते हैं। लेकिन इसके स्थान पर वे इसे ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं और पैकिंग मटेरियल के रूप में कचरा बढ़ाते हैं, पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाते हैं। इसी वजह से वर्ष 2018 में सिर्फ़ यूनाइटेड किंगडम ने 222 मिलियन टन कचरा उत्पादित किया था।
सोफी ने इसके समाधान के रूप में ‘रीमेड’ नाम से जन आंदोलन शुरू किया, जिसके अंतर्गत उन्होंने लोगों को फिर से काम में लिए जा सकने वाले सामान जैसे लैपटॉप से लेकर लैंप, जींस से लेकर जंपर्स तक सब कुछ ठीक करने, मरम्मत करने और पुन: उपयोग में लाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही लोगों को नये के स्थान पर रीफर्बिश्ड कंप्यूटर और अन्य गैजेट खरीदने का फ़ायदा बताया। वे विभिन्न कार्यशालाओं के माध्यम से, लोगों को अपने स्वयं के आइटम की मरम्मत और उन्हें पुनर्स्थापित करना सिखाते हैं। इसीलिए दोस्तों ‘काम में लो और फेंक दो’ वाली इस दुनिया में, ‘रीमेड’ एक रक्षक है।
दूसरा क़िस्सा - जीवाश्म से उत्पन्न संसाधनों को निकालने और उससे विकास करने के लिए पूरी दुनिया ने ही खदानों के माध्यम से पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाया है। लेकिन पवन और सौर ऊर्जा जैसे विकल्पों ने जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को सीमित या बंद कर दिया है। नॉर्वे भी इन्हीं देशों में से एक है। नॉर्वे ने अपने और उत्तरी ध्रुव के बीच स्थित स्वालबार्ड द्वीपसमूह पर स्थित देश की आखिरी आर्कटिक कोयला खदान, जो लगभग 3,000 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई थी, को एक प्राकृतिक पार्क में बदलने का निर्णय लिया है। 2019 में बंद हुई इस खदान में, जहां पहले से ही गर्मियों के मौसम में 20 मिलियन पक्षी घोंसला बनाते थे और साथ ही 3,000 ध्रुवीय भालू इसकी समुद्री बर्फ का उपयोग मुख्य शिकार के मैदान के रूप में करते थे, को नॉर्वे मिजेनफजॉर्डन नेशनल पार्क के नाम से विकसित कर रहा है। आने वाले समय में यह जंगल पर्यावरण को वापस उसका मूल रूप पाने में मदद करेगा।
तीसरा क़िस्सा - पेड़ लगाना जलवायु संकट से लड़ना, पर्यावरण को उसके मूल रूप में लौटाने का सबसे पुराना, प्रभावी, सस्ता और सुरुचिपूर्ण तरीक़ा है। स्पेन ने मैड्रिड शहर को जलवायु संकट से बचाने के लिए 75 किलोमीटर लंबे जंगल के साथ घेरने की योजना बनाई है। जिसमें लगभग आधा मिलियन नए पेड़ लगाए जाएँगे जो की 170000 टन कार्बन ड़ाय आक्सायड को अवशोषित करने में सक्षम रहेंगे। असल में दोस्तों यह शहर के चारों ओर मानव निर्मित पर्यावरण की एक दिवार के रूप में रहेगी जो शहर को ठंडा, साफ़ और पर्यावरण के रूप से अनुकूल रखने में मदद करेगी।
जी हाँ दोस्तों, पर्यावरण का ऋण उतारने के लिए हमें उपरोक्त जैसे ही किसी विचार पर काम करना होगा और साथ ही 3-आर अर्थात् रिसाईकिल, रियूज़ और रीडियूज़ को अपनाना होगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर