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फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

बंद मुट्ठी लाख की, खुल गई तो ख़ाक की

बंद मुट्ठी लाख की, खुल गई तो ख़ाक की
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July 17, 2021

बंद मुट्ठी लाख की, खुल गई तो ख़ाक की… 


कहते हैं ना, ‘एक साथ रखे गए बर्तन आवाज़ करते हैं।’ ऐसा ही कुछ परिवार में साथ रह रहे लोगों के साथ भी होता है और कई बार छोटी-मोटी बातों से शुरू हुई तकरार इतनी बढ़ जाती है कि रिश्ता खत्म होने की कगार पर पहुँच जाता है। काउन्सलिंग के अपने कार्य के दौरान मैंने ऐसे कई केस देखे हैं जिसमें झगड़ों के मूल में ‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया’ जैसी स्थिति रहती है। पति को पत्नी से, पत्नी को पति या सास-ससुर से, बच्चों को माता-पिता से तो कभी परिवार के हर सदस्य को एक-दूसरे से कुछ ना कुछ समस्या रहती है और आमतौर पर वे इसका समाधान परिवार से अलग रहकर ढूँढने में खोजते हैं। ऐसा ही कुछ आज एक कपल व बच्चे की टेलीफ़ोनिक काउन्सलिंग के दौरान मैंने महसूस करा। 


पति एवं पत्नी दोनों ही उच्च शिक्षित होने के साथ ही व्यवसायिक स्तर पर अच्छा कार्य कर रहे थे लेकिन अपने जीवन साथी की कुछ आदतों को ना स्वीकार पाने की वजह से मानसिक तौर पर अस्थिर थे। यही अस्थिरता झगड़ों में तब्दील हो चुकी थी और इसी से तंग आकर बच्चे ने दोनों से दूर जाकर, होस्टल में रहकर पढ़ाई करने का निर्णय लिया था। पूरी स्थिति को समझने के बाद मैंने उन्हें यह कहानी सुनाई- 

 

कुछ वर्ष पूर्व पहाड़ी इलाक़े ठंड की वजह से बेहाल थे। इतनी ठंड वहाँ पिछले पचास वर्षों में भी नहीं पड़ी थी। ठंड की वजह से रोज़ कई जानवरों की मौत हो रही थी। जंगल का माहौल बहुत ही डरावना और गमगीन हो गया था। रोज़ मरने वाले जानवरों में कांटेदार जंगली चूहे (हेजहोग) भी थे। 


रोज़ कई जंगली कांटेदार चूहों के मारे जाने की वजह से स्थिति की गम्भीरता को समझते हुए एक बूढ़े समझदार और अनुभवी कांटेदार जंगली चूहे ने समूह में साथ रहने का सुझाव दिया जिससे एक दूसरे के शरीर की गरमाहट उन्हें सर्दी से बचा सके। हालाँकि कुछ युवा कांटेदार जंगली चूहे उस बुजुर्ग के सुझाव से सहमत नहीं थे, पर उनकी बात मानने के अलावा उनके पास कोई और चारा नहीं था।


बुजुर्ग हेजहोग की सलाह पर कुछ समूह में सभी जंगली कांटेदार चूहे बँट गए और उस रात वे सभी एक-दूसरे से सट कर रहे, सभी ने एक-दूसरे को ढक कर सुरक्षित रख रखा था। जैसा कि उस बुजुर्ग हेजहोग ने बताया था, सभी कांटेदार जंगली चूहे उस रात सुरक्षित रहे, किसी की भी सर्दी की वजह से मौत नहीं हुई। लेकिन अगले दिन सभी कांटेदार जंगली चूहे एक दूसरे के काँटों की वजह से घायल थे। 


अपनों को, अपनी वजह से छोटी-मोटी चोटों के साथ घायल देख कुछ युवा कांटेदार जंगली चूहे विद्रोह करने लगे। उनका कहना था हमारा शरीर इस तरह बना हुआ है कि अगर हम साथ रहे तो हमारे काँटे हमारे साथियों, हमारे परिवार के सदस्यों को इसी तरह घायल करते रहेंगे। इससे बेहतर होगा हम सब पहले की भाँति अलग-अलग अर्थात् दूर-दूर रहें। ईश्वर ने हम सभी को इतनी शक्ति और सामर्थ्य दिया है कि हम अपनी जान बचा सकें। 


उनकी बात सुन पूरा समूह टूट गया और बुजुर्ग कांटेदार चूहे के बार-बार समझाने के बाद भी सभी ने पूर्व की तरह दूर-दूर रहने का निर्णय ले लिया। उस दिन पूर्व की ही तरह बहुत अधिक सर्दी पड़ी, आधी रात बीतते-बीतते ठंड की वजह से कांटेदार जंगली चूहे जमने लगे और कुछ की तो जान तक चली गई। बड़ी मुश्किल से जैसे-तैसे रात कटी। आज फिर बहुत सारे कांटेदार जंगली चूहे मारे जा चुके थे।


अगले दिन बचे हुए कांटेदार जंगली चूहों के पास एक विकल्प था, या तो वे उस बुजुर्ग कांटेदार जंगली चूहे की बात स्वीकार कर ले या अत्यधिक ठंड की वजह से मरने के लिए तैयार रहें। कांटेदार जंगली चूहों के समूह ने बुद्धिमानी दिखाते हुए बुजुर्ग कांटेदार चूहे की सलाह मानने का निर्णय लिया और बीतत्ते समय के साथ उन्होंने एक-दूसरे से मिलने वाली गर्मी को पाने के लिए, सुरक्षित रहने के लिए अपने साथियों, अपने घनिष्ठों, अपने रिश्तेदारों से मिलने वाले छोटे-मोटे घावों को नज़रंदाज़ करते हुए साथ रहना सीख लिया। इस तरह उस वर्ष भयानक सर्दी के बाद भी विपरीत परिस्थितियों में सभी जंगली कांटेदार चूहे अपनी जान बचाने में सफल रहे।


कहानी पूरी होने के बाद मैंने उन्हें बताया कि अगर दो लोग, जिनका लालन-पालन अलग-अलग परिस्थितियों में हुआ हो, दोनों के जीवन के अपने अलग अनुभव हों, ऐसे में मतभेद या पसंद-नापसंद या फिर आदतों में अंतर होना सामान्य है। एक अच्छा रिश्ता वह नहीं है जो आपकी अपेक्षाओं को सौ प्रतिशत पूर्ण करता हो या दो सम्पूर्ण, एक जैसे लोगों को साथ लाता हो। बल्कि सबसे अच्छा रिश्ता वह है जो तमाम ख़ामियों या मतभेद के बाद भी अपनों को बिना शर्त स्वीकार कर साथ, खुश रह सकता हो। 


दोस्तों अगर पारिवारिक जीवन में खुश, प्रसन्न और संतुष्ट रहना है तो अपनों की कमियाँ निकालने के स्थान पर, जो जैसा है, उसे वैसा ही स्वीकार कर, उनकी अच्छी आदतों या अच्छे गुणों की प्रशंसा करना शुरू कर दीजिए।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

dreamsachieverspune@gmail.com

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