Jan 4, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, हाल ही में मेरी मुलाक़ात दो ऐसे भाइयों से हुई जिन्होंने पिछले पंद्रह वर्षों से एक दूसरे से बात नहीं की थी। यहाँ यह जानना भी ज़रूरी है कि इसकी वजह दोनों के बीच शारीरिक नहीं मानसिक दूरी थी। अर्थात् वे दोनों भौतिक रूप से तो एक ही घर में रहते थे, लेकिन छोटे-मोटे झगड़ों और आपसी विवादों के कारण उनके दिलों में इतनी अधिक दूरी आ गई थी कि वे अब एक-दूसरे से बात करना तो दूर, एक दूसरे की शक्ल तक नहीं देखना चाहते थे। बचपन के मित्र होने के नाते जब मैंने उनसे इसका कारण जानने का प्रयास किया तो मुझे पता चला कि दोनों के दिलों के बीच की दूरी का कारण आपसी झगड़ों से ज़्यादा एक दूसरे से माफ़ी ना माँगना और माफ़ ना करना है।
जी हाँ दोस्तों, आजकल परिवारों में अशांति और क्लेश का एक प्रमुख कारण यह भी है कि हमारे जीवन और जिह्वा से क्षमा नाम का गुण गायब हो गया है। अगर आप गौर से देखेंगे तो पायेंगे कि आज के युग में समाज या यूँ कहूँ घर-परिवार में विवाद, क्लेश और झगड़े सिर्फ़ और सिर्फ़ इसी कारण अर्थात् क्षमा ना माँगने और क्षमा ना करने के कारण बढ़ रहे हैं।
जी हाँ दोस्तों, ‘क्षमा ना माँगना’ और ‘क्षमा माँगने वाले को क्षमा ना करना’, दो ऐसी बातें हैं जिनकी वजह से हमारे चारों ओर अशांति बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। यह एक ऐसी समस्या है जिसे जानते तो सब लोग हैं, लेकिन अपने व्यवहार में उतार नहीं पाते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो क्षमा माँगना और क्षमा करना सबके बस की बात नहीं है। इसीलिए शायद कहा जाता है कि ‘क्षमा वीरस्य भूषणम्’ एवं ‘क्षमा वाणीस्य भूषणम्’ अर्थात् क्षमा हमारी वाणी और साहसी व वीर लोगों का आभूषण है।
सुनने में साधारण सी लगने वाली यह बात दोस्तों, असल जीवन में वाक़ई बहुत महत्वपूर्ण है। शायद इसीलिए हमारे समाज में इन दोनों बातों को बचपन से ही हमें सिखाया जाता है। लेकिन दोस्तों, परिवार, विद्यालय और समाज के द्वारा इस महत्वपूर्ण बात को सिखाने का तरीक़ा इतना उपदेशात्मक और आदेशात्मक है कि बच्चा इसके महत्व को कभी सीख ही नहीं पाता है और ‘सॉरी’ और ‘माफ़ कीजियेगा’ को सिर्फ़ शब्दों के रूप में अपना लेता है। मेरी नज़र में इसकी मुख्य वजह; सिखाने वाले का इन बातों को ख़ुद के जीवन में ना अपनाना है। अर्थात् सिखाने वाला ख़ुद, अपनी ग़लतियों के लिए ना तो माफ़ी माँग रहा है और ना ही दूसरों को माफ़ कर रहा है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो हमारे समाज में माफ़ी माँगना और माफ़ करना सिखाने वाले लोग, इन महत्वपूर्ण बातों को ख़ुद के जीवन में अपनाये बिना, बोलकर सिखाने का प्रयास करते हैं।
दोस्तों, अगर आप वाक़ई अशांति से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले इस गुण को याने माफ़ी माँगने और माफ़ करने को अपने जीवन में अपनाइयेगा क्योंकि ख़ुद में बदलाव लाये बिना, समाज के बदलने की आस रखना बेमानी है। हालाँकि यह आसान नहीं होगा, लेकिन फिर भी हमें प्रयास करना होगा। इसलिए दोस्तों, आज से ही जहाँ भी ग़लत हों माफ़ी माँगना शुरू कर दें और इसी तरह लोगों को माफ़ करना भी शुरू कर दें। याद रखियेगा, क्षमा माँगने से ज़्यादा मुश्किल क्षमा करना होता है। इसलिए इस आदत को हमें पहले अपनाना होगा। यह एक आदत हमें जीवन की बहुत सारी समस्याओं से बचाएगी।
वैसे भी दोस्तों, बलवान वह नहीं है जो किसी को दण्ड देने की सामर्थ्य रखता है। बलवान तो वह है जो दंड देने के सामर्थ्य को रखने के बाद भी दूसरों को क्षमा करने की हिम्मत रखता है। जी हाँ दोस्तों, यदि आप किसी को क्षमा करने का साहस रखते हैं तो सच मानियेगा कि आप एक शक्तिशाली सम्पदा के धनी हैं और इसी कारण आप सबके प्रिय भी बन रहे हैं। इसीलिए तो हमारे यहाँ कहा जाता है कि ‘जिसके जिह्वा और जीवन में क्षमा है, उसके जीवन में सुख है, शांति है, आनंद है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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