Nov 14, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
अक्सर आपने देखा होगा कई लोग बिना किसी कारण के ही हवा में उड़ते नज़र आते हैं। इन्हें अगर आप गौर से देखेंगे तो पाएँगे कि अचानक से मिली आर्थिक सफलता उनके घमंड का मुख्य कारण होती है। हालाँकि, इस आर्थिक प्रगति का उनके व्यक्तिगत जीवन की प्रगति से कोई लेना देना नहीं है अर्थात् वे आर्थिक तौर पर तो अमीर बन गए हैं, लेकिन उनके जीवन में सुख, चैन, शांति आदि सब नदारद हैं। वास्तव में तो दोस्तों, जीवन में सही मायने में वही सुखी है, जो धन के साथ इन्हें भी कमाता हो। आईए, एक प्यारी सी कहानी के माध्यम से अपनी बात समझाने का प्रयास करता हूँ।
बात आज से कई साल पहले की है। दो दोस्तों ने अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद अपनी सोच, अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर अपने कैरियर एवं जीवन को बनाने का निर्णय लिया। इसके साथ ही उन दोनों ने यह भी तय किया कि वे आज से ठीक 10 साल बाद इसी स्थान अर्थात् अपने पैतृक गाँव में स्थित विद्यालय में मिलेंगे। इसके बाद दोनों दोस्त अपने सपनों के जीवन की तलाश में अलग-अलग दिशाओं में चल दिए।
समय का चक्र कुछ इस तेज़ी से घुमा कि दोनों दोस्तों को दस साल बीतने का एहसास ही नहीं हुआ। अपनी योजना पर कार्य कर इन दस सालों में एक दोस्त बहुत अमीर बन गया, वहीं दूसरा दोस्त आज भी छोटा-मोटा कार्य कर अपना जीवन चला रहा था। ठीक दस साल बाद दोनों दोस्त तय दिन, तय समय पर पैतृक गाँव स्थित अपने विद्यालय पहुँच गए और बचपन की ही तरह दिल खोल कर इधर-उधर की बातें करने लगे।
कुछ देर पश्चात धनवान दोस्त का ध्यान अपने दोस्त की हालत पर गया। उसे एहसास हुआ कि उसका दोस्त जीवन में उससे काफ़ी पीछे रह गया है। उसने अपने गरीब दोस्त से बड़े गर्व और घमंड से कहा, ‘हालाँकि, हम दोनों इसी विद्यालय में एक साथ, एक जैसे हालातों में पढ़े लेकिन आज तेरे और मेरे बीच बहुत फ़र्क़ आ गया है। देख, आज मैं कहाँ पहुँच गया हूँ! आज मेरे पास बड़ा घर, बड़ी गाड़ी और ढेर सारा बैंक बैलेंस है और तू तो आज भी, वैसे ही, मुफ़लिसी में दिन काट रहा है।’ अमीर मित्र की बात को नज़रंदाज़ करते हुए गरीब मित्र मुस्कुराया और बातचीत को आगे बढ़ा दिया।
कुछ देर बाद, बातचीत के दौरान ही गरीब मित्र कुछ बोलता-बोलता अचानक चुप हो गया और इधर-उधर देखने लगा। उसे ऐसा करते देख अमीर दोस्त बोला, ‘क्या हुआ? तुम गरीब लोगों की यही सबसे बड़ी समस्या है। ज़रा सा कुछ हुआ नहीं कि लक्ष्य पर से अपना ध्यान हटा लेते हो और भटक जाते हो। शायद तुम्हारा ध्यान मेरी जेब से गिरे सिक्के की आवाज़ से भटक गया है।’ गरीब व्यक्ति अपने अमीर दोस्त की बात को नज़रंदाज़ करते हुए उठा व समीप की झाड़ियों की ओर जाते हुए बोला, ‘तुमने उस सिक्के की आवाज़ के अलावा कुछ और सुना?’ गरीब मित्र का यह प्रश्न अमीर के लिए थोड़ा सा अटपटा और अचरज भरा था। उसने आश्चर्य मिश्रित स्वर में कहा, ‘नहीं तो!’ अमीर मित्र का जवाब सुन गरीब मुस्कुराया और चुपचाप झाड़ियों में कांटों के बीच फँसी तितली को मुक्त करवाने का प्रयास करने लगा।
जैसे ही तितली झाड़ियों से मुक्त हो उड़ी, अमीर मित्र हैरानी मिश्रित स्वर में बोला, ‘तुमने झाड़ियों में फँसी तितली के पंख फड़फड़ाने की आवाज़ को हमारी बातचीत के बीच कैसे सुन लिया? गरीब मित्र ने बेफ़िक्री से उड़ रही तितली को देखते हुए कहा, ‘तुझ में और मुझ में बस यही फ़र्क़ है। तुम्हें केवल धन की आवाज़ सुनाई देती है, लेकिन मुझे सारी आवाज़ों के साथ दुखी मन की आवाज़ भी सुनाई देती है। यही अंतर मुझे दुखी मन की सेवा करने का मौक़ा देता है, जिसकी वजह से आज मैं सुख, चैन और शांति के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहा हूँ।’ तो आईए दोस्तों, आज से हम जीवन में सच्ची सफलता पाने के लिए भौतिक लक्ष्यों के साथ लुप्त होती मानवता व इंसानियत के लक्ष्य को पाने का भी प्रयास करते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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