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अंधकार में भोजन - एक अविस्मरणीय अनुभव

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Mar 14, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, जीवन में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें देखकर या सुनकर सीखना या समझना असंभव ही होता है, उन्हें तो सिर्फ़ महसूस करके ही समझा जा सकता है। अपनी बात को मैं कुछ समय पूर्व एक बहुराष्ट्रीय विक्रेता संगठन द्वारा नेत्रहीन लोगों के लिए धन जुटाने के उद्देश्य से सिंगापुर में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम से समझाने का प्रयास करता हूँ। इस कार्यक्रम में वैसे तो आमंत्रण के बाद भी ज्यादातर लोग भाग लेने से बच रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि ऐसे आयोजन बड़े उबाऊ होते हैं। लेकिन आमंत्रण में बताये गए फॉर्मेट के कारण कुछ नया अनुभव करने की संभावना और इसका निशुल्क होना, इसे आकर्षक बना रहा था। इसलिए ज्यादातर लोगों ने निमंत्रण को स्वीकार किया और ऑनलाइन पंजीकरण कर लिया। उनका मानना यह भी था कि और कुछ नहीं तो कुछ नए और अच्छे लोगों से मेल-मुलाक़ात ही हो जाएगी।


खैर, तय समय पर एक वीडियो द्वारा नेत्रहीन केंद्र की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई और बताया गया कि कैसे वे नेत्रहीन लोगों को एक बेहतर और आत्मनिर्भर जीवन जीने में मदद कर रहे हैं। यह 15 मिनट का एक छोटा लेकिन प्रेरणादायक वीडियो था, जिससे यह समझ आया कि कैसे लोग निःस्वार्थ भाव से नेत्रहीनों की सहायता कर रहे हैं और बदले में उन्हें संतुष्टि और खुशी मिलती है।


वीडियो के बाद, सभी लोगों को एक हॉल में बुलाया गया और उन्हें अगली गतिविधि ‘अंधकार में भोजन’ के विषय में बताया गया, जो कि इस कार्यक्रम मुख्य आकर्षण था। इसका अर्थ था कि सभी 40+ मेहमान अब पूरी तरह अन्धेर कमरे में डिनर करेंगे! इस गतिविधि में सबसे हैरानी की बात यह थी कि इस पूरे आयोजन को तीन नेत्रहीन युवाओं ने संचालित किया। जिसकी टीम लीडर एक लड़की थी। सबसे पहले उन तीनों नेत्रहीन युवाओं ने सभी को अन्धेरे में भोजन करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्देश दिए। जैसे - आपकी प्लेट के 3 बजे की दिशा में चम्मच होगा; 9 बजे कांटा मिलेगा; 12 बजे एक और चम्मच; 2 बजे एक खाली गिलास और 6 बजे नैपकिन।


इसके अलावा सभी लोगों को दो बड़े जग देते हुए बताया कि साधारण दीवारों वाला जग पानी के लिए है और मुड़ी हुई दीवारों वाला जग संतरे के रस के लिए। इसके बाद अंत में उन्हें सिखाया गया कि जब वे अपना गिलास भरें, तो अपनी तर्जनी उंगली को उसमें हल्का सा डुबोकर रखें, ताकि जैसे ही तरल उंगली को छुए, वे उसे ग्लास में डालना बंद कर दें। इसके पश्चात उन्होंने सभी मेहमानों से पूछा कि वे सब समझ गए या नहीं? हालाँकि सभी ने ‘समझ गए’ कहा, लेकिन इसके बाद भी सभी लोग एक-दूसरे से पुष्टि कर रहे थे और इसे याद रखने की कोशिश कर रहे थे।


इसके बाद, तीनों नेत्रहीन युवा सभी मेहमानों को अन्धेरे कमरे में ले गए, जहाँ नेत्रहीन स्वयंसेवकों द्वारा उन्हें भोजन के लिए तय स्थान तक पहुँचाया गया। यह एक अजीब अनुभव था क्योंकि आमतौर पर सामान्य लोग नेत्रहीनों को गाइड करते हैं, लेकिन यहाँ वे सभी सामान्य लोगों को गाइड कर रहे थे! इसके पश्चात नेत्रहीन स्वयंसेवकों द्वारा मेहमानों को पूरी पाँच कोर्स की डिनर सेवा दी गई, जिसमें ड्रिंक्स, ऐपेटाइज़र, स्टार्टर, मुख्य भोजन और मिठाई शामिल था। इस डिनर में सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि तीनों नेत्रहीन युवाओं ने पूरी सटीकता से शाकाहारी लोगों को शाकाहारी भोजन और मांसाहारी लोगों को मांसाहारी भोजन परोसा, जबकि वे सभी बेतरतीब ढंग से बैठे थे। लगभग डेढ़ घंटे बाद, जब सभी ने भोजन समाप्त कर लिया, तो लीडर ने लाइट ऑन कर दी। यहाँ सबसे आश्चर्यजनक यह था कि सभी मेहमान आगंतुकों की आँखों में आँसू थे।


दोस्तों, अब आप समझ ही गए होंगे कि इस लेख की शुरुआत में मैंने यह क्यों कहा था कि ‘जीवन में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें देखकर या सुनकर सीखना या समझना असंभव ही होता है, उन्हें तो सिर्फ़ महसूस करके ही समझा जा सकता है।’, ऐसा ही कुछ उन सभी के साथ हुआ था। दोस्तों लेकिन हम सभी उन सभी मेहमानों के अनुभव से कई बात सीख सकते हैं और आत्ममंथन करके ख़ुद की कमियों को पहचान सकते हैं। जैसे यह घटना हमें निम्न तीन बातों का एहसास करवाती है-

पहली - हम कितने भाग्यशाली हैं कि हमें यह सुंदर दुनिया देखने के लिए आँखें मिली हैं।

दूसरी - नेत्रहीन लोगों का जीवन कितना कठिन होता है, लेकिन फिर भी वे इसे पूरी आत्मनिर्भरता के साथ जीते हैं।

तीसरी - सिर्फ दो घंटे अन्धेरे में बिताने से लोग असहज हो गए, जबकि नेत्रहीन पूरी जिंदगी इसी स्थिति में बिताते हैं।


अक्सर दोस्तों, हम सभी लोग जीवन में छोटी-छोटी चीजों की कद्र नहीं करते हैं और कमियाँ निकालते, शिकायत करते हुए अपना जीवन जीते हैं। इतना ही नहीं हम हमेशा उसके पीछे भागते रहते हैं जो हमारे पास नहीं है, बिना यह देखे कि हमारे पास कितना कुछ है। याद रखियेगा दोस्तों, खुश रहने के लिए ज़्यादा कुछ नहीं सिर्फ़ नेत्रहीन लोगों से मिली निम्न तीन सीखों को अपने जीवन में अपनाना होगा-

पहली - अपने जीवन में जो कुछ भी मिला है, उसकी कद्र करें।

दूसरी -जो चीजें नहीं मिलीं, उनके लिए प्रयास करें लेकिन उनके ना मिलने पर दुखी न हों। और,

तीसरी - अपने पास जो कुछ है, पहले उसकी सुंदरता को पहचानें।


याद रखियेगा दोस्तों, जीवन की सुंदरता को पहचानने के लिए अभी भी हम सभी के पास समय है। अभी भी हम अपनी सोच को बदलकर ख़ुश रह सकते हैं और अगर सहमत ना हों तो मेरा सुझाव है कि कभी ना कभी उपरोक्त अनुभव लेकर ज़रूर देख लीजिएगा, शायद तब आप इस जीवन की असली कीमत समझ पाएँगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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