Jan 24, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
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दोस्तों, जीवन को सही दिशा देने में कहानियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। ऐसी ही एक कहानी मुझे आज सोशल मीडिया पर पढ़ने को मिली। चलिए आगे बढ़ने से पहले उसी कहानी को साझा करता हूँ। एक गाँव में कुश्ती का आयोजन किया गया था। कुश्ती में आयोजकों द्वारा विजेता को 1 लाख का इनाम देने की घोषणा की गई थी। इनाम की बड़ी राशि देख उस क्षेत्र के सबसे बड़े पहलवान, जिससे पूरा इलाक़ा डरता था, ने भी अपना नाम लिखा दिया।
शहर के सबसे बड़े पहलवान का नाम देख शुरू में तो दूसरे पहलवान प्रतियोगिता में भाग लेने से हिचकिचा रहे थे, लेकिन इनाम की बड़ी रक़म को देख कुश्ती लड़ने पहुँच गए। मुखिया जी ने अंतिम समय में लोगों का जोश बढ़ाने के लिए स्पर्धा की शुरुआत करने का ऐलान करते हुए ईनाम की राशि को दुगना कर दिया।
जल्द ही कुश्ती स्पर्धा आरम्भ हुई शहर का सबसे बड़ा पहलवान जल्द ही अन्य पहलवानों को हराते हुए आगे बढ़ने लगा। हर जीत उस पहलवान का मनोबल बढ़ा रही थी क्योंकि उसने बारी-बारी से शहर के अन्य नामी पहलवानों को चित्त कर दिया था। इसलिए उसने बढ़े हुए विश्वास के साथ वहाँ मौजूद दर्शकों को भी चुनौती देते हुए कहा, ‘है कोई माई का लाल जो मेरी चुनौती को स्वीकार करेगा?’ जब कोई व्यक्ति आगे नहीं आया तो उस पहलवान ने बढ़े हुए दम्भ के साथ कहा, ‘मैं भी कहाँ कायरों के गाँव में आ गया, यहाँ तो कोई है ही नहीं जो मुझसे कुश्ती करने को तैयार हो।’
कुश्ती देखने वाले दर्शकों के बीच एक बुजुर्ग व्यक्ति भी थे, उन्हें पहलवान का इस तरह से दम्भ से बोलना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा। वे कुश्ती के एरिना में पहुंच गए। उनको देख पहलवान हंसने लगा और उसी दंभ के साथ हंसते हुए बोला, ‘तू लड़ेगा मुझसे? होश में तो है? अभी तेरी हड्डी-पसली मसल के फेंक दूँगा।’
बुजुर्ग सा व्यक्ति हल्की मुस्कुराहट के साथ पहलवान के पास पहुँचा और उसके कान में धीरे से बोला, ‘अरे पहलवान जी! मैं कहाँ आपके सामने टिक पाऊँगा, आप ये कुश्ती हार जाओ मैं आपको ईनाम के सारे पैसे तो दूँगा ही और साथ ही मैं आपको 3 लाख रुपये अतिरिक्त दूँगा। आप कल मेरे घर आकर पैसे ले जाना। आपका क्या है, सब जानते हैं कि आप कितने महान हैं, एक बार हारने से आपकी ख्याति कम थोड़े ही हो जायेगी…’
कुछ पलों बाद ही कुश्ती शुरू होती है, पहलवान कुछ देर तक तो लड़ने का नाटक करता है और फिर हार जाता है। यह देख सभी लोग उसकी खिल्ली उड़ाने लगते हैं और उसे घोर निंदा से गुजरना पड़ता है। ख़ैर, अगले दिन वह पहलवान शर्त के पैसे लेने के लिए उस बुजुर्ग व्यक्ति के घर जाता है। बुजुर्ग व्यक्ति उसकी आवभगत तो बहुत अच्छे से करता है लेकिन पैसे माँगते ही अपनी भौहें चढ़ाते हुए बोलता है, ‘भाई किस बात के पैसे?’
बुजुर्ग की बात सुन पहलवान आश्चर्यचकित रह जाता है और खुद को सम्भालते हुए बोलता है, ‘अरे वही जो तुमने मैदान में मुझे देने का वादा किया था।’ पहलवान की आँखों में आंखें डालते हुए बुजुर्ग हंसते हुए कहते हैं, ‘'वह तो मैदान की बात थी, जहाँ तुम अपने दाँव-पेंच लगा रहे थे और मैंने अपना…दांव-पेंच लगाया। बस अंतर इतना सा था कि इस बार मेरे दांव-पेंच तुम पर भारी पड़ गए और मैं जीत गया।’ दोस्तों आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पहलवान की स्थिति क्या होगी। वैसे इस कहानी में हमारे जीवन को बेहतर बनाने के तीन महत्वपूर्ण सूत्र छिपे हुए हैं जो इस प्रकार हैं-
पहला सूत्र - हमें कभी अपने नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहिए और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से बच कर रहना चाहिए।क्यूँकि थोड़े से पैसों के लालच में वर्षों के कड़े परिश्रम से कमाई प्रतिष्ठा भी कुछ ही पलों में मिट्टी में मिल जातीं है और धन से भी हाथ धोना पड़ता है।
दूसरा सूत्र - वैसे भी हमें सिखाया गया है कि बल और बुद्धि में बुद्धि ज़्यादा बलशाली होती है इसलिए परिस्थिति कैसे भी क्यूँ ना हो, हमेशा अपनी बुद्धि से काम ले।
तीसरा सूत्र - बुद्धि सिर्फ़ किताबी ज्ञान से नहीं, किताबी ज्ञान आपको विभिन्न क्षेत्रों का जानकर तो बना सकता है लेकिन अनुभव आपको विशेषज्ञ बनाता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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