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अपना सही मूल्य ना पहचानना भी अपराध है…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Nov 8, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, व्यवसाय या उद्यम से सफलता पाने की राह में आने वाले रोड़ों के विषय में कल का लेख पढ़कर एक सज्जन ने प्रश्न करा, ‘सर, आपकी कही बातें हर उस व्यवसाय जो किसी उत्पाद को बेचता, बनाता या सर्विस देता हो के लिए तो एकदम सही थी। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अपने ज्ञान, अनुभव, विशेषज्ञता पर आधारित उत्पाद या सेवा प्रदान करता हो या उसका व्यवसाय करता हो तो वह किस तरह अपनी सफलता सुनिश्चित कर सकता है।’


हालाँकि मेरा मानना है कि कल के लेख में साझा की गई बातें इस क्षेत्र के लिए भी उतनी ही सही हैं जितनी किसी अन्य व्यवसाय के लिए। फिर भी इसे मैं नेपोलियन हिल द्वारा लिखी गई एक ज़बरदस्त किताब ‘थिंक एंड ग्रो रिच’ में साझा की गई हेनरी फ़ोर्ड की कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।


वैसे तो हम सभी जानते हैं कि हेनरी फ़ोर्ड एक बहुत ही रचनात्मक व्यक्ति थे जिन्होंने प्रथम फ़ोर्ड कार का निर्माण किया था। उनकी ख़ासियत थी कि वे हर समस्या को बिलकुल नए नज़रिए से देखते थे। जैसे कार बनाने के बाद उन्होंने उसका व्यवसाय शुरू करने के स्थान पर पहले आवश्यक ईको सिस्टम पर कार्य करा अर्थात् उन्होंने अमेरिकी सरकार को कार चलाने के लिए ज़रूरी पक्की सड़क और फ़्यूल के लिए गैस स्टेशन आदि बनाने के लिए राज़ी किया। वे हमेशा किसी भी समस्या को सुलझाने के लिए अपनी यूनिक कार्य शैली, निर्णय लेने की क्षमता और नज़रिए का इस्तेमाल करते थे, जो एकदम अलग था।


एक बार हेनरी फ़ोर्ड को एक कम्पनी द्वारा अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए व्यवसायिक तौर पर आमंत्रित किया गया था। फ़ोर्ड अपने कमिटमेंट के अनुसार तय दिन, तय समय पर उस कम्पनी में पहुँच गए और सबसे पहले मैनेजमेंट के साथ चर्चा कर समस्या को अच्छी तरह समझा और फिर उसके समाधान के लिए कम्पनी से एक बड़ी राशि की माँग करी। जैसे ही कम्पनी प्रबंधन द्वारा इसे स्वीकार कर, राशि का भुगतान कर दिया गया, फ़ोर्ड ने कार्य करना शुरू कर दिया। सभी की आशा के विपरीत फ़ोर्ड ने लगभग ना के बराबर समय में उस समस्या का समाधान प्रबंधन से साझा कर दिया। कम्पनी प्रबंधन कार्य पूर्णता में लगने वाला न्यूनतम समय देखकर खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगे और इसी वजह से वे काफ़ी नाराज़ भी हो गए।


उनकी नाराज़गी पर फ़ोर्ड ने बड़ी शालीनता से जवाब देते हुए कहा, ‘चाहे मुझे आपकी समस्या का समाधान देने के लिए पाँच मिनिट लगे या पाँच महीने, आपको परिणाम वही मिला जिसकी आपको तलाश थी या जिसके लिए आपने मुझे चुना था। याद रखिएगा, आपने मुझे नौकरी पर नहीं रखा था, जिसमें दिया जाने वाला समय महत्वपूर्ण होता है। आपने मुझे मेरी योग्यता, विशेषज्ञता, पूर्व में दिए गए परिणाम और अपनाए जाने वाले मूल्यों के कारण कार्य दिया था और अपना पूरा जीवन लगाकर मैंने इन गुणों को अपने अंदर विकसित करा है।’


दोस्तों, अगर गहराई से देखा जाए तो फ़ोर्ड को जो मूल्य मिला था वो उस विशेषज्ञता, कौशल, ज्ञान और अनुभव के लिए था जो उस कम्पनी के मालिक के पास नहीं था। हमें भी बस इसी बात को हमेशा ध्यान में रखना है। सेवा प्रदाता के रूप में, हमें सर्वप्रथम अपने कार्य पर पर्याप्त विश्वास रखने की आवश्यकता है, जिससे हम उसके एवज़ में लोगों से क़ीमत मांग सकें। बस अपनी सेवा का मूल्य निर्धारित करते समय इतना ध्यान रखना है कि ग्राहक हमारे द्वारा माँगे गए मूल्य के साथ सहज हों और इसके लिए सबसे पहले आपको विचार करना होगा कि दिए जाने वाली सेवा में आपको क्या-क्या संसाधन लगाने होंगे और उससे सामने वाले को किस मूल्य का परिणाम प्राप्त होगा।


इसके लिए सबसे पहले आपको अपने ज्ञान, अनुभव, विशेषज्ञता और इनसे निर्मित सेवाओं या उत्पादों का वास्तविक मूल्य पता करना होगा। साथ ही आपको प्रतिस्पर्धी बाज़ार को भी समझना होगा और इसके लिए आपको पता करना होगा कि क्या प्रतिस्पर्धी भी वही सेवाएँ और सामान प्रदान कर रहा है, जो हम करते हैं? कुल मिलाकर आपको आपकी धार पहचानना होगी और अगर आपको लगता है कि आप अपने द्वारा प्रदान की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के वास्तव में एकमात्र स्त्रोत हैं, तो आपको इसके लिए शुल्क लेना चाहिए।


तो आइए साथियों, आज से हम सभी सेवा प्रदाता यह जानने का प्रयास करते हैं कि हम बाज़ार में उपलब्ध अन्य समाधानों से कैसे अलग हैं और साथ ही हम यह भी सुनिश्चित करते हैं कि हमें हमारे द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं, कार्यों और कौशल की विशिष्टता के लिए उचित भुगतान किया जाए। याद रखिएगा, अगर आप अपना मूल्य नहीं समझ पाएँगे तो बाज़ार तो आपको हल्के में ही लेगा।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर


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