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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

अवचेतन मन को प्रोग्राम कर बनाएँ सकारात्मक सोच…

Sep 5, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

यक़ीन मानियेगा दोस्तों, यह दुनिया वाक़ई अच्छे लोगों से भरी पड़ी है। सामान्यतः यह हमें नकारात्मक सिर्फ़ इसलिए नज़र आती है क्योंकि हम सकारात्मक बातों या घटनाओं से ज़्यादा नकारात्मक बातों या घटनाओं को तवज्जो दे देते हैं। सहमत ना हों तो एक छोटा सा प्रयोग करके देखियेगा, एक पेपर लेकर उस पर उन लोगों के नाम लिखियेगा जिन्होंने आपके साथ कभी भी, किसी भी रूप में ग़लत किया है, आपको धोखा दिया है या किसी भी तरह का नकारात्मक अनुभव दिया है। मेरी गारंटी है कि आप एक पेज भी पूरा नहीं लिख पायेंगे। इसके बाद आप उन लोगों के नाम लिखने का प्रयास कीजियेगा जिन्होंने इसी जीवन में आपकी कभी ना कभी, किसी ना किसी रूप में मदद की है। जैसे किसी दोस्त द्वारा विद्यालय में आपको पेन देना, आपके साथ अपना टिफ़िन या खिलौने साझा करना, बड़ा होने पर खेलते वक़्त चोट लगने पर आपको मदद करना, कहीं आते-जाते वक़्त आपको लिफ्ट देना, रास्ता भटकने पर सही रास्ता बताना आदि…


यक़ीन मानियेगा दोस्तों, मदद करने वालों की संख्या नकारात्मक लोगों की संख्या से कई गुना ज़्यादा निकलेगी। इस प्रयोग में आप एक और चीज अनुभव करेंगे, आपको नाम सिर्फ़ नकारात्मक अनुभव देने वालों के अधिक याद आयेंगे। याने जिन लोगों ने आपकी मदद करी थी आपको वह घटना तो इतना ध्यान से याद करने पर याद आ जाएगी, लेकिन आप उनके नाम याद नहीं कर पायेंगे। इसका सीधा-सीधा अर्थ है नकारात्मक बातों को तवज्जो देने की हमारी प्रवृति के कारण और तेज संचार के इस युग में नकारात्मक घटनाओं के फैलने के कारण हमें यह दुनिया नकारात्मक ज़्यादा नज़र आती है।


दोस्तों, ऐसी स्थिति में अब प्रश्न आता है कि अपनी इस सोच या धारणा को किस तरह बदला जाये? तो इसका उपाय बड़ा साधारण सा है। सकारात्मक घटनाओं पर अपना ध्यान केंद्रित कीजिए, सकारात्मक लोगों के बीच रहिए, सकारात्मक लेख या किताबें पढ़िए, सकारात्मक वीडियो देखिए, सकारात्मक चर्चा कीजिए, जिन लोगों ने आपको नकारात्मक अनुभव दिये हैं उन्हें माफ़ कर दीजिए। कुल मिलाकर कहूँ दोस्तों, तो अपने आस-पास के माहौल को सकारात्मक रखिए और नकारात्मक बातों या घटनाओं से सीख लेकर उन घटनाओं को भूलते जाइए।


इसके अतिरिक्त अपने बीते हुए और आने वाले कल की सकारात्मक पिक्चर या फ़िल्म देखना भी जीवन में सकारात्मक रूप से आगे बढ़ने में बहुत मदद करता है। इसके लिए आप प्रतिदिन रात को सोने के ठीक पहले अपने पूरे दिन को एक फ़िल्म की भाँति देखना शुरू कीजिए। इसके बाद इस फ़िल्म के उन हिस्सों या उस दिन की उन घटनाओं को पहचानिए जो आपको किसी भी तरह का नकारात्मक अनुभव दे रही हैं। फिर इन घटनाओं से क्या सीखा जा सकता है यह सोचिए और फिर इस फ़िल्म को एडिट कर दीजिए याने उस दिन नकारात्मक अनुभव देने वाले हिस्से को हटा दीजिए और फिर अंत में नकारात्मक घटनाओं के बिना बची एडिटेड फ़िल्म को एक बार पुनः देखिए। इसके पश्चात अपने आने वाले कल की सकारात्मक फ़िल्म देखिए और सो जाइए। ऐसा करना दोस्तों आपके अवचेतन मन याने सबकॉनशियस माइंड को सही तरीक़े से प्रोग्राम कर देगा और जब रात को आपका शरीर आराम कर रहा होगा, तब आपका अवचेतन मन आपके प्रत्येक सेल को सकारात्मक रूप से प्रोग्राम करेगा। याद रखियेगा दोस्तों, हमारा अवचेतन मन, हमारे चेतन मन से कई गुना अधिक शक्तिशाली है।


ऐसा करने से दोस्तों समाज में या हमारे जीवन में नकारात्मक घटनाएँ घटना बंद नहीं हो जायेंगी। इससे तो बस हम सकारात्मक रूप से जीना सीख जाएँगे और कहीं ना कहीं एक सकारात्मक समाज बनाने की नींव डाल जाएँगे। एक बार इस पर विचार कर देखियेगा ज़रूर…


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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