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असफलता को पीछे छोड़ सफल बनने के 15 सूत्र - भाग 2

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Nov 11, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, कई बार व्यवसायी अपने ज्ञान, अनुभव, विशेषज्ञता और उससे निर्मित उत्पाद या सेवाओं का वास्तविक मूल्य ना पहचान पाने के कारण अपनी ऊर्जा, समय, कुशलता और ध्यान का सही इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं और सपनों को पूरा करने के लिए कमाने के स्थान पर बचाने में दिमाग़ लगाने लगते हैं। फ़ोकस सही ना होना अक्सर इन्हें तनाव व दबाव के साथ असफल बनाता है। नुक़सान की हालत में काम करते रहना अक्सर इन्हें खुद के व्यवसाय में खुद ही नौकरी करने के लिए मजबूर कर देता है। कल हमने अपने संसाधनों, योग्यताओं, कौशल और समय का सही उपयोग कर असफलता को पीछे छोड़ सफल बनने के लिए आवश्यक 15 सूत्रों में पहले 5 सूत्र सीखे थे। आईए आगे बढ़ने से पहले उन्हें संक्षेप में दोहरा लेते हैं-


पहला सूत्र - स्वीकारोक्ति का भाव विकसित करना

असफलताओं और विफलताओं को ना स्वीकारना अक्सर आपसे और अधिक ग़लतियाँ करवा कर आपका समय और ऊर्जा दोनों को बर्बाद करवाता है। इसी वजह से अक्सर लोग मौक़ों को ना पहचान पाने के कारण अवसर गँवा देते हैं। इसके विपरीत नुक़सान, असफलता या विफलता को स्वीकारना आपको पैसा, समय और ऊर्जा को बर्बाद करने से बचाता है और आप इन्हीं तीनों का सही इस्तेमाल कर एक नई शुरुआत कर सफलता की दिशा में पहला कदम उठा पाते हैं।


दूसरा सूत्र - ग़लतियाँ ना दोहराना

जो काम करता है वही ग़लतियाँ करता है और उन्हीं ग़लतियों से सीखकर बेहतर बन सफल हो जाता है। लेकिन अक्सर लोग ग़लतियों को दोहराने के कारण हाथ आए इस मौके को गँवा देते हैं, इससे बचें।


तीसरा सूत्र - स्वयं का, अपनी टीम का एवं व्यवसाय का विस्तृत विश्लेषण करना

असफलता या विफलता का विश्लेषण करना आपको हार के सही कारण को पहचानने का मौक़ा देता है। जिसकी सहायता से आप नई और बेहतर योजना बनाकर, उसपर कार्य करके सफल बन पाते हैं। इसके लिए आप SWOT एनालिसिस का प्रयोग कर सकते हैं।


चौथा सूत्र - प्राथमिकताएँ बनाना

प्राथमिकता को बनाकर उसके अनुसार कार्य करना आपको समय, संसाधन, ऊर्जा और मैन पॉवर का सही उपयोग कर सफल होने का मौक़ा देता है। प्राथमिकताएँ बनाते वक्त उन कार्यों को पहले रखें जो आपको अपने लक्ष्यों की ओर ले जाते हैं।


पाँचवा सूत्र - विशेषज्ञों की मदद लेना

विशेषज्ञों, व्यवसायिक सलाहकारों या कोच की मदद लेना आपको सम्भावित ग़लतियों से बचाकर कम समय में बड़े लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करता है। कोच का चुनाव अनुभव, ज्ञान और उनके कार्य क्षेत्र को देख-समझ कर करें।


चलिए दोस्तों, अब हम अगले पाँच सूत्र सीखते हैं-


छठा सूत्र - ख़र्चों पर कंट्रोल करना

सफल व्यवसाय के लिए पूँजी की उपलब्धता सबसे ज़रूरी आवश्यकता है। जब हम असफलता, विफलता या नुक़सान के दौर से गुजरते हैं तब निश्चित तौर पर हम व्यवसाय में लगी पूँजी से हाथ धो बैठते हैं। ऐसी स्थिति में एक ज़ोरदार वापसी के लिए आपके हाथ में तरल पूँजी का होना अति आवश्यक होता है। नुक़सान या असफलता हाथ लगने के बाद, कुछ भी करने से पहले अपने अनावश्यक ख़र्चों पर लगाम लगाइए। ग़ैरज़रूरी स्टॉक, इंवेंटरी और असेट्स को बेच तरल पूँजी बढ़ाइए। स्टाफ़ छटनी, पेरोल, वसूली आदि पर कार्य कर भी पूँजी की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है।


सातवाँ सूत्र - कम मुनाफ़े वाले उत्पादों और सेवाओं को छोड़ें

कई बार पूरी रेंज बरकरार रखने के लालच में हम कई ऐसे उत्पाद या सर्विस को बेचते हैं जिसमें मेहनत और समय तो पूरा लगता है लेकिन मुनाफ़ा ना के बराबर होता है अथवा उनकी बाज़ार में बहुत कम मांग होती है। ऐसे सभी उत्पादों या सर्विस को तत्काल अपनी उत्पाद सूची से हटा दें। यह आपको सही और मुनाफ़ा देने वाले उत्पाद पर समय और ध्यान लगाने का मौक़ा देगा।


आठवाँ सूत्र - लक्षित बाजार का पुनर्मूल्यांकन करना

कई बार हमारा उत्पाद हर लिहाज़ से बहुत अच्छा होता है लेकिन ग़लत बाज़ार का चयन करने की वजह से हम मुनाफ़ा नहीं बना पाते हैं। अपने लक्षित बाज़ार का पुनर्मूल्यांकन कर देखें, कही आप उससे बहुत दूर तो नहीं बैठें है। बाज़ार से दूर होना रिस्क, ट्रांसपोर्ट कॉस्ट आदि को बढ़ाता है साथ ही आपको सम्भावित ईमानदार ग्राहक से दूर भी कर देता है।


नवाँ सूत्र - सेल्स बढ़ायें

सेल बढ़ाने के लिए स्वयं से बार-बार पूछें, ‘मैं किस तरह अपने उत्पाद या सर्विस की सेल बढ़ा सकता हूँ?’, ‘मैं किस तरह और ज़्यादा सम्भावित ग्राहकों के बीच अपने उत्पाद को दिखा सकता हूँ।’, ‘क्या मैं अपने उत्पाद या सर्विस को और ज़्यादा क़ीमत पर बेच सकता हूँ?’, ‘क्या मैं अपने उत्पाद को किसी नए प्लेटफ़ॉर्म पर बेच सकता हूँ?’, ‘क्या मैं बाज़ार बढ़ाने के लिए नई साझेदारियाँ कर सकता हूँ?’ आदि। इन प्रश्नों के मिले जवाब के अनुसार अपनी रणनीति में बदलाव करे और अपनी सेल बढ़ाएँ।


दसवाँ सूत्र - फ़ाइनैन्स के कंट्रोल का सिस्टम बनाएँ

अगर आपका कंट्रोल तरल पूँजी पर नहीं है तो याद रखिएगा, आपके पास कितनी भी पूँजी क्यों ना हो, वह आपको कम ही पढ़ेगी। मैंने स्वयं अपने पूर्व व्यवसाय में इसी कारण बड़ा नुक़सान खाया था। इससे बचने के लिए व्यवसाय के शुरुआती दिनों से ही किसी अच्छे सी॰ए॰ की मदद लें। अपनी पूँजी को ट्रैक करने का प्रयास करें, हर खर्चा अपने फ़ाइनैन्स कंट्रोलर सिस्टम के अनुसार करें। याद रखिएगा, पैसे कमाने जितना ही आवश्यक, अपने पैसे का ध्यान रखना भी है।


आज के लिए इतना ही दोस्तों , कल हम व्यवसायिक विफलताओं से बाहर निकल, सफल बनाने वाले अंतिम 5 सूत्र सीखेंगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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