May 13, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, आप राजा बनेंगे या रंक; यह सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी सोच पर निर्भर करता है। इस विषय में विस्तृत चर्चा करने से पूर्व में आपको एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ। बात कुछ साल पूर्व की है राजू अपनी माँ के साथ बाज़ार जा रहा था, तभी सामने से कुछ सिपाही चोर को लेकर राजा के पास जा रहे थे। राजू ने बड़ी उत्सुकता के साथ अपनी माँ से पूछा, ‘माँ, वो कौन है, जिसके आस-पास इतने सारे सिपाही हैं?’ माँ प्यार से राजू के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘बेटा, वह एक चोर है। सिपाही उसे पकड़ कर राजा के पास ले जा रहे हैं, जिससे वह इसे इसके बुरे कर्मों की उचित सजा दे सके; उसे जेल में बंद कर सके।’
माँ से प्रश्न का जवाब पा राजू संतुष्ट हो गया और एक बार फिर माँ के साथ ख़रीददारी में व्यस्त हो गया। ख़रीदारी पूर्ण कर राजू और उसकी माँ अभी कुछ दूर ही चले थे कि उन्हें ढेर सारे सिपाहियों के साथ राजा आता हुआ दिखाई दिया। उन्हें देखते ही राजू ज़ोर से चिल्लाया, ‘माँ… माँ… वो देखो सिपाही एक और चोर को लेकर आ रहे हैं।’ राजू की प्रतिक्रिया सुन माँ एकदम सकपका सी गई। उन्होंने राजू को तुरंत अपनी ओर खींचा और धीमे से बोली, ‘बेटा, सिपाहियों के साथ आ रहे सज्जन चोर नहीं अपितु हमारे राजा है। उनके सामने ज़रा अदब से और धीमे से बोलो। अगर उन्होंने सुन लिया तो वो हमें इस गुस्ताखी याने ऐसी बात कहने के लिये सजा भी दे सकते हैं।’
माँ की बात सुन राजू उलझन में पड़ गया। वह समझ नहीं पा रहा था कि दोनों इंसानों में फ़र्क़ क्या है? चोर के चारों ओर भी सिपाही थे और राजा के चारों ओर भी। कुछ देर तक अपनी क्षमताओं के अनुसार सोचने के बाद राजू बोला, ‘माँ, दोनों याने चोर और राजा के आस-पास सिपाही हैं। फिर इन दोनों में फ़र्क़ क्या है?’ माँ एक बार फिर उसका सिर सहलाते हुए बड़े प्यार से मीठी आवाज़ में बोली, ‘बेटा, दोनों में बहुत फ़र्क़ है। चोर के आस-पास सिपाही उसे क़ाबू में रखने के लिए होते हैं। जिससे वह छूट कर भाग ना सके। लेकिन अगर चोर किसी तरह अपनी मनमानी कर भागने की कोशिश करे तो यह सिपाही उसे और कठोर सजा दे सकते हैं। अर्थात् इस चोर को वहीं जाना होगा जहाँ यह सिपाही उसे ले जाना चाहते हैं। उसे वही खाना होगा जो वे उसे खाने को देंगे। उसे वहीं और वैसे ही रहना होगा, जैसा वे रखेंगे। कुल मिलाकर कहा जाए तो चोर अपनी इच्छा से कुछ नहीं कर सकता है। इसके ठीक विपरीत, जितने भी सिपाही राजा के साथ हैं, वे सब उसके अधीन हैं। वे वही कार्य करते हैं, जो राजा उन्हें करने के लिए कहता है। वह उन्हें जहाँ और जब ले जाना चाहता है, उन्हें वहाँ जाना पड़ता है। इतना ही नहीं अगर राजा उन्हें कहे कि मुझे अकेला छोड़ दो, तो भी सिपाहियों को उनका कहना मानना होगा।’
दोस्तों, माँ की बात का असर राजू पर क्या पड़ा होगा और उसने भविष्य में क्या बनने का निर्णय लिया होगा, उसका अंदाज़ा आप और मैं बहुत अच्छे से लगा सकते हैं। इतना ही नहीं राजा और चोर की ज़िंदगी के स्तर या यूँ कहूँ जीवनशैली के अंतर का अंदाज़ा भी आसानी से लगाया जा सकता है और अगर हमें दोनों में से किसी एक जीवनशैली को चुनने का मौक़ा मिलेगा तो हम निश्चित तौर पर राजा के माफ़िक़ ही जीवन जीना चाहेंगे।
सही कहा ना मैंने दोस्तों? तो चलिए, यह मौक़ा आपको मिल गया है और आप आज नहीं अभी से ही राजा के माफ़िक़ जीवन जी सकते हैं। बस आपको इतना ही समझना होगा कि हमारा मन, हमारी भावनाएँ, हमारे विचार सिपाही के माफ़िक़ हैं। अगर आप उनके ग़ुलाम बनकर याने उनके क़ाबू में आकर जीवन जी रहे हैं तो आप चोर के माफ़िक़ जी रहे हैं और अगर आपने उन पर क़ाबू कर लिया तो आप राजा के माफ़िक़ जी सकते हैं। अब बाज़ी आपके हाथ है साथियों कि आप क्या बनकर जीना चाहते हैं, चोर या राजा!
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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