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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

आभारी रहें...

Jan 8, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, अगर आप मुझसे कोई एक मानवीय गुण बताने का कहें जो आपके पूरे जीवन को शांतिपूर्ण बना सकता है, तो मेरी नजर में वह गुण कृतज्ञता का भाव है। यह गुण याने कृतज्ञता का भाव हमारे सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन को उच्चतम स्तर तक ले जाकर, हमारे व्यक्तित्व को संवारता है। लेकिन दोस्तों आज के युग में हम लोगों के व्यवहार में इस गुण की कमी साफ़ तौर पर देख पा रहे हैं। अर्थात् आज दुनिया में कई लोग मुश्किल समय में मदद करने वाले लोगों को समय निकलने के बाद भूलने लगे हैं।


जी हाँ दोस्तों, दुनिया में कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोग दूसरों से मिली मदद और उनके भले व्यवहार को याद नहीं रखते हैं। यह प्रवृत्ति कृतघ्नता कहलाती है जो निश्चित तौर पर नैतिक और सामाजिक पतन के साथ-साथ समाज और आत्मा दोनों के प्रति असम्मान का भी प्रतीक है। इतना ही नहीं ऐसे लोग याने लोगों के उपकार को भूलने वाले कृतघ्न लोग, अपनी अपेक्षाओं को पूरा ना होने पर उसे अपने जीवन का सबसे बड़ा अपमान मानते हैं। उनकी यह सोच रिश्तों को कमजोर करने के साथ-साथ आत्म विकास याने सेल्फ डेवलपमेंट में भी बाधा बनती है।


इसलिए ही मैं कृतज्ञता को जीवन का मूलभूत गुण मानता हूँ। आप स्वयं सोच कर देखिए, संकट के समय में, जब जीवन में चारों ओर निराशा और अंधकार छाया होता है, और कोई भी व्यक्ति आपका साथ नहीं देता, तब यदि कोई आपका हाथ थाम ले, आपको सहारा दे, और आपको प्रोत्साहित करे, तो उसके प्रति कृतज्ञ रहना क्या हमारी जिम्मेदारी नहीं है? दोस्तों, जीवनभर याद रहने वाले ऐसे अद्भुत अनुभव को देने वाले व्यक्ति के प्रति निश्चित तौर पर कृतज्ञ रहना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।


अगर आप थोड़ा गहराई से सोचेंगे तो पायेंगे कि कृतज्ञता केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर याने समाज में भी सकारात्मकता लाती है। जब लोग एक-दूसरे के प्रति आभार व्यक्त करते हैं, तो एक सशक्त और सहयोगपूर्ण समाज का निर्माण होता है। यह गुण हमारे रिश्तों को मजबूत करता है और लोगों को हमारी मदद करने के लिए प्रेरित करता है।


रिसर्च का एक आंकड़ा बताता है कि कृतज्ञता के भाव से भरा व्यक्ति सुख, शांति और संतोष से भरा खुशहाल जीवन जीता है और उस व्यक्ति की सामाजिक स्वीकार्यता भी बहुत अधिक होती है। अर्थात् समाज में उसका नेटवर्क काफ़ी बड़ा होता है, जो निश्चित तौर पर उसकी नेटवर्थ को भी बढ़ाता है। इसकी मुख्य वजह कठिनाई के दौर में सहयोग करने वाले हजारों हाथों का स्वतः मिल जाना है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो जिनके जीवन में कृतज्ञता होती है, उन्हें मुश्किल दौर में अपने आप मदद मिल जाती है। इसलिए भारतीय दर्शन में कृतज्ञता को न केवल व्यक्तिगत विकास का आधार माना है, बल्कि इसे हमारे आध्यात्मिक उत्थान का सहायक भी कहा है।


इसलिए ही जीवन को सार्थक बनाने के लिए हम धार्मिक प्रवृति को आधार बनाकर, सामाजिक स्तर पर भगवान, गुरु, माता-पिता, मित्र और प्रकृति के प्रति आभारी रहना आवश्यक मानते हैं। इसलिए ही कृतघ्न व्यक्ति को सामाजिक स्तर पर नकार दिया जाता है और लोग उससे दूर रहना शुरू कर देते हैं और वह अंततः अकेला और असहाय हो जाता है। कृतघ्नता न केवल सामाजिक पतन का कारण बनती है, बल्कि यह आत्मा के भीतर अशांति भी उत्पन्न करती है।


इसलिए दोस्तों, अंत में मैं सिर्फ़ इतना ही कहना चाहूँगा कि जीवन में कृतज्ञता एक ऐसा गुण है, जो न केवल हमें बेहतर इंसान बनाता है, बल्कि हमारे जीवन को भी सुखद और सफल बनाता है। इसलिए आज नहीं अभी से ही हर उस व्यक्ति, परिस्थिति, और अनुभव के प्रति आभार व्यक्त करें जिसने आपको बेहतर बनने में सहायता की है। यही जीवन का असली सुख है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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