Jan 16, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
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मेरे ही समान आपने भी कई बार लोगों को कहते सुना होगा,होगा, ‘देखना, मैं एक दिन कुछ ऐसा करूँगा कि तुम सब देखते रह जाओगे!’ या फिर ‘देखना मैं एक दिन सफल होऊँगा!’ आदि। इस प्रकार के वाक्य सुनते ही पहला विचार जो मेरे मन में आता है, वह है, ‘देखना वह दिन कभी नहीं आएगा।’ ऐसा मैं साथियों किसी ग़लत मंशा या अहंकार से नहीं कह रहा हूँ और ना ही ऐसा कहकर मैं उपरोक्त कथन कहने वालों की क्षमता, शक्ति, कौशल अथवा शिक्षा पर कोई प्रश्न चिन्ह लगा रहा हूँ। आप मुझे ग़लत मत समझिएगा, मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ कि अगर कोई और व्यक्ति उस लक्ष्य को पा सकता है या पा चुका है तो निश्चित तौर पर उपरोक्त कथन कहने वाला भी उस लक्ष्य को पा सकता है। बस मेरे मन में जो संशय आया था उसकी सिर्फ़ एक वजह थी, उपरोक्त कथन सिर्फ़ कहने वाले की इच्छा को दर्शा रहा था, इरादे को नहीं और जब तक किसी लक्ष्य को पाने का आप इरादा नहीं बना लेते, आप उसे पा नहीं पाते हैं।
जी हाँ साथियों, अगर आप अपने लक्ष्यों को पाना चाहते हैं या अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं तो आपको इच्छा रखने से इरादा बनाने तक की यात्रा तय करना होगी क्योंकि इच्छा से कुछ नहीं बदलता है। जब आप सिर्फ़ इच्छा रखते हैं तो आप कुछ ही दिनों में लक्ष्य के रास्ते में आने वाली चुनौतियों को देख, वापस अपने कम्फ़र्ट ज़ोन में लौट आते हैं, अर्थात् पहले की ही तरह जीवन जीने लगते हैं। लेकिन जब आप निश्चय कर लेते हैं कि कुछ भी हो जाए मुझे तो अपने लक्ष्य को पाना ही है तो आप अपने जीवन में थोड़ा बहुत बदलाव ला पाते हैं। लेकिन अगर आप किसी चीज़ को पाने का निश्चय ही कर लेते हैं तो आप उस चीज़ या लक्ष्य को पाने का इरादा बना लेते हैं।
इसे मैं आपको सामान्य जीवन से लिए एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूँ। मान लीजिए आप बाज़ार में कहीं जा रहे हैं आपके सामने एक बहुत ही सुंदर कार आकर रुकती है। आप उस कार को देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और मन ही मन सोचने लगते हैं काश मेरे पास यह होती। मैं इससे लॉगं ड्राइव पर जाता। याने आप कल्पना की दुनिया में खो जाते, जो सामान्यतः सुंदर और हसीन होती है। इच्छा आपको कल्पना की दुनिया में ले जाती है जहाँ हक़ीक़त में जीवन जिया नहीं जा सकता है।
इसके विपरीत मान लो आप उस कार को देख उसे पाने का इरादा बनाते, तो आप उसे पाने के लिए आवश्यक संसाधनों को जुटाने में जुट जाते है । ऐसा करना सम्भवतः आपका सामना चुनौतियों अथवा परेशानियों से करवाता है । चूँकि आप पहले ही लक्ष्य पाने का इरादा बना चुके थे इसलिए आप वास्तविकता का सामना डट कर करते और अंतः सफल हो जाते। इसलिए मैं कहता हूँ, ‘कल्पना सुंदर होती है पर उसे जिया नहीं जा सकता, लेकिन वास्तविकता कड़वी, परेशानी भरी या फिर चुनौतीपूर्ण हो सकती है पर उसे छोड़ा नहीं जा सकता है। इरादा आपको उलझनों भरी इस दुनिया में खुशहाल ज़िंदगी जीने के लिए तैयार करता है। इरादे की ताक़त को समझाने के लिए किसी ने क्या खूब कहा है, एक बार इंसान ने समय से पूछा, ‘मित्र, मैं अक्सर हार क्यों जाता हूँ?’ समय मुस्कुराया और बोला, ‘धूप हो या छाँव, दिन हो या रात अथवा क्यों ना हो काली रात और बरसात या फिर हो कितने भी बुरे हालात, मैं चलता रहता हूँ, इसलिए जीत जाता हूँ। अगर तू भी बिना रुके चलना सीख जाएगा तो सफल हो जाएगा।’
तो आइए दोस्तों, आज से खुशहाल जीवन जीने के लिए खुद से बात कर पक्का इरादा बनाते है और फिर अपने नकारात्मक भावों जैसे ईर्ष्या, तृष्णा, क्रोध, भय, चिंता, वासना, बुरे संस्कार अथवा बुरी आदतों को अपने विवेक से परास्त कर चुनौतीपूर्ण स्थितियों को अपने पक्ष में मोड़ते हैं और सपनों को हक़ीक़त में बदलते हैं। याद रखिएगा, अपनी ख़राब आदतों पर विजय पाना सफलता की ओर बढ़ाया गया पहला कदम होता है।
निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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