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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

कुशल संचार से करें सकारात्मक पेरेंटिंग…

Dec 27, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, मेरी नजर में सकारात्मक याने पॉजिटिव पैरेंटिंग के लिए सबसे आवश्यक और प्रभावी कला, ‘कम्युनिकेशन’ याने संवाद की कला है क्योंकि यह कला परिवार में आपसी विश्वास, समझ और सम्मान को बढ़ा कर सकारात्मक भावनात्मक माहौल तैयार कर, आपसी रिश्ते को मजबूत बनाता है। कल हमने पेरेंटिंग के दौरान उत्पन्न होने वाले संघर्षों को कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजी याने संचार रणनीतियों के द्वारा हल करने की 8 में से 5 युक्तियों को सीखा था। आइये, आगे बढ़ने से पहले उन्हें संक्षेप में दोहरा लेते हैं-


1) माता-पिता के लिए मुख्य संचार रणनीतियाँ

स्पष्टता और ईमानदारी के साथ प्रोत्साहित करने वाले शब्दों के साथ अपने विचारों को व्यक्त करना एक अच्छी संचार रणनीति है। ऐसा करके आप आरोप लगाने के स्थान पर अपनी भावना व्यक्त कर सकते हैं। ऐसा करना बच्चों को शब्दों के पीछे की भावनाओं को समझने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, ‘जब तुम अपने होमवर्क को गंभीरता से नहीं लेते हो तो मुझे चिंता होती है।’


2) उम्र के आधार पर कम्यूनिकेट करना

उम्र या बच्चे की समझ के आधार पर बातचीत करना पूरे वार्तालाप में बच्चों की सहभागिता और समझ को बढ़ा कर सार्थक संवाद को प्रोत्साहित करता है। उदाहरण के लिए, पाँच साल के बच्चे से बात करते समय, सरल भाषा का उपयोग करें, जैसे, ‘चलो बात करते हैं कि तुम आज क्या खेलना चाहते हो!’


3) ग़ैर-मौखिक संचार

बच्चे शब्दों के मुक़ाबले आपको कार्य करता देख अधिक सीखते हैं। इसलिए बच्चों से वैसा ही व्यवहार कीजिए जैसे कि अपेक्षा आप उनसे रखते हैं। इसीलिए ग़ैर मौखिक संचार को बच्चों तक अपनी बात पहुँचाने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है। एक अध्ययन बताता है कि प्रतिदिन बच्चों से किए जाने वाले संवाद में से 93% संवाद गैर-मौखिक होते है।


4) सक्रिय रूप से सुनना

सक्रिय रूप से सुनना आपको शब्दों के पीछे की भावनाओं और संदेशों को समझने में मदद करता है। यह युक्ति बच्चों को विश्वास दिलाती है कि उनके विचार और भावनायें आपके लिए महत्वपूर्ण है। एक शोध बताता है कि जिन बच्चों को सुना जाता है, उनमें सकारात्मक आत्म-सम्मान विकसित होने की संभावना 40% अधिक होती है। इस अभ्यास को अपनाने के लिए आप चिंतनशील कथनों का प्रयोग कर सकते हैं। जैसे यह कहना कि ‘मैंने सुना है कि आप स्कूल में निराश महसूस कर रहे हैं।’, बच्चों को अपनी भावनाओं को और अधिक रूप से स्पष्ट कहने के लिए प्रोत्साहित कर, अनावश्यक गलतफहमियों से बचाता है।


5) बातचीत के दौरान ध्यान भटकाने वाली चीज़ों से बचें

बातचीत के दौरान ध्यान भटकाने वाली चीजों जैसे टीवी देखना, मोबाइल चलाना आदि से बचना, बच्चों के प्रति आपके ध्यान और जुड़ाव को काफ़ी हद तक बढ़ाता है और उन्हें एहसास करवाता है कि उनका होना आपके लिए महत्वपूर्ण है।


चलिए दोस्तों, अब हम पेरेंटिंग में सकारात्मक कम्युनिकेशन के महत्व को बताने वाली 8 युक्तियों में से बची अंतिम 3 युक्तियों पर चर्चा कर लेते हैं-


6) संघर्षों का हल सकारात्मक माहौल में चर्चा कर निकालें

संघर्ष पारिवारिक जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है। लेकिन उन्हें सही तरीक़े से प्रबंधित ना करना परिवार के माहौल और उसकी गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए आपसी संघर्षों का हल हमेशा सकारात्मक बातचीत से निकालें और सकारात्मक बातचीत के लिए सबसे पहले उचित समय और स्थान को चुनें। जैसे सुबह के व्यस्त समय के स्थान पर शाम के खाने के समय चर्चा करना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।


बच्चों के साथ संघर्षों के दौरान धैर्य और समझदारी दिखाते हुए, शांत रहना बच्चों के लिए सकारात्मक उदाहरण के साथ, स्वस्थ भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को प्रोत्साहित करता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई बच्चा रोजमर्रा के कामों को लेकर परेशान हो जाता है, तो उससे शांति से कहें, ‘चलो बैठकर चर्चा करते हैं कि हम इसे कैसे आसान बना सकते हैं।’ ऐसा करना समस्याओं को जल्दी हल करने में मदद करता है।


7) सहयोगात्मक तरीक़े से चुनौतियों का समाधान निकालें

चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए परिवार के हर सदस्य को प्रोत्साहित कर सहयोगात्मक समस्या-समाधान खोजना टीम वर्क को बढ़ावा देता है। उदाहरण के लिए, यदि भाई-बहन स्क्रीन टाइम को लेकर बहस करते हैं, तो एक उचित शेड्यूल बनाने के लिए पारिवारिक बैठक निर्धारित करना उन्हें समाधान में योगदान करने के लिए सशक्त बनाता है। यह न केवल आपसी संघर्षों को हल करता है, बल्कि बच्चों को यह भी सिखाता है कि विवादों को बातचीत के माध्यम से सुलझाया जा सकता है, जिससे भावनात्मक बुद्धिमत्ता और लचीलापन बढ़ता है।


8) मजबूत पारिवारिक संबंध बनाएँ

हर पल सकारात्मक रहते हुए मजबूत पारिवारिक संबंधों को बनाने के लिए प्रयासरत रहें। जब भी मौक़ा मिले परिवार और आपसी साथ और मजबूत रिश्तों के महत्व के विषय में बच्चों को बताते रहें।


अंत में इतना ही कहूँगा दोस्तों कि सकारात्मक पेरेंटिंग के लिए प्रभावी संचार कौशल विकसित करना आवश्यक है। स्पष्ट अभिव्यक्ति, सक्रिय सुनने और शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान जैसी प्रमुख रणनीतियों को लागू करके, माता-पिता विश्वास और सम्मान का माहौल बना सकते हैं। ये कौशल पारिवारिक संबंधों को बढ़ाते हैं और बच्चों को भविष्य में प्रभावी संचार के लिए महत्वपूर्ण उपकरण प्रदान करते हैं। जैसे-जैसे परिवार जीवन की चुनौतियों का सामना करते हैं, उपरोक्त तकनीकें गहरे संबंधों और अधिक सामंजस्यपूर्ण परिवार बनाने में मदद करती है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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