Jan 19, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
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दोस्तों, अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में विज्ञान विभाग के निदेशक एमिलियाना साइमन-थॉमस के अनुसार लोकप्रिय मीडिया और मार्केटिंग के भ्रामक तरीक़ों के कारण हम आजकल उन तरीक़ों को ख़ुशी पाने का साधन मान रहे हैं जो असलियत में हमारी सारी ख़ुशी चुरा रहे हैं। जी हाँ साथियों, ग़लत धारणाओं का पीछा करने के कारण हम अपने जीवन को उलझन भरा बनाते जा रहे हैं। कल हमने हमारी आंतरिक ख़ुशी चुराने वाली 6 धारणाओं में से 2 धारणाओं को पहचानने का प्रयास किया था, आईए, अगली 2 धारणाओं को समझने के पहले संक्षेप में उन्हें दोहरा लेते हैं-
1) नकारात्मक भावों को दबाना या नज़रंदाज़ करना
हर पल खुश रहते हुए मौज में रहने की चाह में ज़्यादातर लोग अपने भय, क्रोध, आक्रोश या अन्य नकारात्मक भावों को दबाने या नज़रंदाज़ करने का प्रयास करते हैं। लेकिन येल विश्वविद्यालय में संज्ञानात्मक वैज्ञानिक और मनोविज्ञान के प्रोफेसर लॉरी सैंटोस द्वार की गई रिसर्च के परिणाम बताते हैं कि खुश रहते हुए सार्थक जीवन जीने के लिए हर समय अच्छा महसूस करने के प्रयास अंततः नकारात्मक भावों को लगातार दबाने के कारण भावनात्मक रूप से ज़्यादा अस्थिर बनाते हैं, जो अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी बाधा है। इतना ही नहीं, एक अध्ययन के मुताबिक़ हताशा, घृणा जैसी भावनाओं को दबाना मनुष्य को आक्रामक बनाने के साथ उसके अन्य लोगों से भावनात्मक सम्बंध को कमजोर बनाता है और साथ ही असामयिक मृत्यु के जोखिम को बढ़ाता है। इसलिए नकारात्मक भावों को दबाने या नज़रंदाज़ करने के स्थान पर उन्हें डील करना सीखें।
2) शहरी जीवन को बेहतर मानना
शहरी चकाचौंध या सुविधाओं को देख शहरी जीवनशैली को बेहतर मानना कहीं से भी आपको आंतरिक शांति नहीं दे सकता है। कनाडा स्थित वाटरलू विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंटिस्ट कॉलिन एलार्ड द्वारा किया गया एक अध्ययन बताता है कि हमारे अंतर्मन को प्रकृति द्वारा 150 लोगों के सामाजिक ढाँचे के बीच रहने के हिसाब से बनाया गया है। जब हम इस सामाजिक ढाँचे के बाहर भीड़ के बीच रहते हैं, तब असुरक्षित, अनिश्चितता से भरा महसूस करते हैं। डर, असुरक्षा और अनिश्चितता का यह माहौल हमारे अंदर कोर्टिसोल जैसे तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है। इसके साथ ही शहरी क्षेत्र की समस्याओं का समाधान जैसे गंदगी, शोर, अनुचित महंगाई आदि के समाधान खुद के बूते पर ना कर पाना आपके शहरी अनुभव को तनावपूर्ण बना, ख़ुशियों को छीन लेता है। अगर आप पहले से शहरी क्षेत्र में रह रहे हैं तो अनावश्यक तनाव बढ़ाने वाले कारणों को पहचानें और अपने आस-पास के माहौल में उन्हें दूर करने के लिए योजना बनाएँ।
चलिए साथियों, अब हम अगले 2 सूत्र सीखते हैं-
3) अधिक समय तक फ़्री रहना
एक धारणा है कि जितना अधिक समय हम फ़्री रहेंगे उतना अधिक गुणवत्ता पूर्ण समय खुद या अपनों के साथ बिता पाएँगे, जो कि खुश रहने के लिए ज़रूरी है। लेकिन वर्ष 2021 में जर्नल ऑफ पर्सनेलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, प्रतिदिन अधिकतम 2 घंटों तक का फ़्री समय हमें लाभ देता है और अगर यह 5 घंटे प्रतिदिन तक पहुँच जाए तो यह लाभ देने के स्थान पर हमारे लिए नुक़सानदायक हो जाता है। व्हार्टन स्कूल में विपणन के सहायक प्रोफेसर एवं लेखक मारिसा शरीफ कहते हैं, ‘यदि आपके पास बहुत अधिक विवेकाधीन समय है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि आप अधिक खुश होंगे। बल्कि कुछ मामलों में तो यह ये दर्शाता है कि आपके पास उद्देश्य और अर्थ की कमी है।’
साथियों, अगर आपके पास अधिक फ़्री समय है तो सजग और सचेत रहते हुए अपने दिन को देखें और यह समझने का प्रयास करें कि आपने अपने समय का उपयोग कैसे किया। इसके साथ ही यह भी सोचें कि ख़ाली समय का उपयोग किस तरह किया जाए कि आप ऐसा महसूस कर सकें कि आप अधिक उत्पादक हैं और साथ ही आपके पास जीवन का उद्देश्य है।
4) नाम, पद, पहचान या पैसे का पीछा करना
हमारे समाज में अक्सर सफलता को नाम, पद, पहचान और पैसे से जोड़ कर देखा जाता है, जो सही नहीं है। इसकी वजह बचपन में इन बातों को सफलता से जोड़ कर सिखाना या ऐसी सोच विकसित करना है। हैपीनेस विशेषज्ञों का मानना है कि उपलब्धियों से मिली ख़ुशी ज़्यादा लम्बे समय तक हमारे साथ नहीं रहती है। उदाहरण के लिए आप बड़े पद से रिटायर हुए लोगों अथवा कौन बनेगा करोड़पति के विजेताओं के जीवन को देख सकते हैं। ऐसी सफलताएँ असल में हमारी ख़ुशी में अस्थायी वृद्धि देती हैं। हक़ीक़त में पद, पैसे, पहचान आदि से ख़ुशी को जोड़ना अंततः आपको और अधिक दुखी बनाता है। इसके स्थान पर जो हमारे पास है उसकी सराहना करना, हर स्थिति-परिस्थिति के लिए आभारी रहना आपको खुश रहना सिखाता है।
आज के लिए इतना ही साथियों, अंतिम दो सूत्रों पर चर्चा हम कल करेंगे।
निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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