Dec 25, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, कहने को तो हम बोलना ढाई - तीन साल में सीख जाते हैं लेकिन कब, क्या, कितना, कैसे बोलना है, यह सीखने में कई बार पूरा जीवन लग जाता है। जी हाँ, इसीलिए किसी ने क्या खूब कहा है, ‘शब्द से ख़ुशी, शब्द से ग़म, शब्द से पीड़ा और शब्द ही मरहम; शब्द की महिमा ग़ज़ब है, महके तो लगाव और बहके तो घाव है।’ बोलने से सही बोलने की यात्रा तय करते-करते कई बार हम जाने-अनजाने में कुछ ऐसा बोल जाते हैं जो हमारे अपनों को ऐसा घाव दे जाता है, जो दिखता तो नहीं है, लेकिन परेशान बहुत करता है।
दोस्तों, अगर आपके साथ कभी ऐसा कुछ हुआ हो जिसमें आपके कहे शब्दों अथवा कार्यों ने किसी अपने के दिल को दुखाया हो, या उन्हें जीवन भर के लिए दर्द दिया हो और आप इसकी वजह से उत्पन्न ग्लानि अथवा नकारात्मक भाव से परेशान हैं तो आप निम्न साधारण से लगने वाले 5 सूत्रों को अपना कर जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
पहला सूत्र - दोष ना दें
याद रखें, दूसरों को दोष देना आपसे खुद को बेहतर बनाने का मौक़ा छीन लेता है। इसलिए किसी को भी दोष देने के स्थान पर स्थिति का आकलन सही तरीके से करना हमेशा लाभदायक रहता है। इसलिए किसी भी तरह की नकारात्मक घटना के लिए दूसरों को दोष देने और खुद को माफ़ करने के पहले यह जानने का प्रयास करें कि हक़ीक़त में क्या सही है और आपने क्या किया है? इसके लिए निम्न तीन बातों को विस्तार पूर्वक, सही-सही, बिना कोई धारणा बनाए लिखें-
पहली - पूरी घटना को विस्तार पूर्वक लिखें
दूसरा - उपरोक्त घटना में मैंने ऐसा क्या किया था जिसकी वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई, विस्तार पूर्वक लिखें।
तीसरी - उपरोक्त बातों के स्थान पर और क्या कहा जा सकता था जिससे इस तरह की नकारात्मक स्थिति से बचा जा सकता था।
याद रखिएगा, किसी व्यक्ति या परिस्थिति को दोष देने के स्थान पर सिर्फ़ और सिर्फ़ खुद पर ध्यान केंद्रित करना आपको बेहतर बनने का मौक़ा देता है।
दूसरा सूत्र - माफ़ी मांगने में देरी ना करें
अक्सर हम मानते हैं कि गलती को स्वीकारना हमारी प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँचाता है। इसीलिए माफ़ी मांगना कभी भी आसान नहीं लगता। लेकिन हक़ीक़त में स्थिति इसके इतर होती है, माफ़ी मांगने से आप स्वयं को दिल पर रखे अनावश्यक बोझे से मुक्त कर लेते हैं, साथ ही आप सामने वाले को इस बात का एहसास करवा देते हैं कि आपने अपनी गलती को पहचान लिया है और आप उस पर शर्मिंदा हैं। वैसे भी खुद की ग़लतियों को स्वीकारना आपको उसे दोहराने से बचाता है।
तीसरा सूत्र - नकारात्मकता से बचें
विचार ही हमारी सोच और फिर हमारा नज़रिया बन जाते हैं। अगर वे नकारात्मक होंगे तो हमारी सोच और नज़रिया नकारात्मक होगा और अगर हमारे विचार सकारात्मक होंगे तो हमारा नज़रिया सकारात्मक होगा। इसलिए नकारात्मक विचारों को उत्पन्न होते ही त्यागना सबसे बेहतर है। इसलिए सर्वप्रथम नकारात्मक विचारों के उत्पन्न होने के कारणों को पहचानें और उन्हें दूर करें। ऐसी ही एक वजह है, खुद की गलती होने पर खुद को माफ़ ना कर पाना। ऐसी स्थिति में कई बार तो हम यह भी भूल जाते हैं या समझ ही नहीं पाते हैं कि हमारी गलती के लिए हमें सामने वाले ने भी माफ़ कर दिया है। इसलिए किसी नकारात्मक घटना या विचार के लिए आप खुद को ज़िम्मेदार मानते हैं, तो सबसे पहले खुद को माफ़ करें और अगर यह किसी अन्य द्वारा की गई गलती के कारण हैं तो सामने वाले को माफ़ करें क्यूँकि आप अपना जीवन शांति से, सकारात्मक रहते हुए जीना चाहते हैं। नकारात्मक विचारों को त्यागने के लिए आप एक गहरी साँस लें और उसे छोड़ते वक्त सोचें कि उस साँस के साथ नकारात्मक विचार भी बाहर निकल गया है और तुरंत अपना ध्यान किसी और जगह या गतिविधि पर लगा लें।
चलिए दोस्तों अब हम अंतिम 2 सूत्र सीखते हैं-
चौथा सूत्र - शर्म अथवा ग्लानि की वजह से समाज से ना कटें
अपनी किसी गलती की वजह से उत्पन्न ग्लानि या शर्म की वजह से समाज से कटना या दूर होना बिलकुल भी अच्छा नहीं है। गलती करने के बाद अपनों से नज़रें चुराना और डरना, कि कहीं वह पुरानी बातों को खोल कर ना बैठ जाए या उन्हें याद ना दिलाए इसलिए बचना असल में खुद को नकारात्मक भावों से भरना है। इसके स्थान पर माफ़ी मांगने और खुद को माफ़ करने के पश्चात हिम्मत जुटा कर उनसे दिल खोल कर मिलें। जल्द ही आप महसूस करेंगे कि आपका डर गलत था।
पाँचवाँ सूत्र - ग़लतियों का आभार मानें
सुनने में अजीब या विचित्र सा लगने वाला पाँचवाँ सूत्र असल में बहुत शक्तिशाली है। अगर मैं अपने अनुभव के आधार पर कहूँ तो जो ग़लतियाँ हमको सबसे ज़्यादा शर्मिंदा महसूस कराती है, सबसे ज़्यादा दुःख देती हैं, वे ही हमें सबसे ज़्यादा सिखाती हैं। अगर आज मैं पलट कर अपने जीवन को देखता हूँ तो पाता हूँ इन्हीं ग़लतियों ने जीवन के प्रति मेरे नज़रिए को मज़बूत, सुदृढ़ और सकारात्मक बनाया है। जी हाँ साथियों, हमारी ग़लतियाँ ही हमें बुद्धिमान, मज़बूत और विचारशील बनाती हैं।
आईए दोस्तों, आज से हम इन पाँच सूत्रों को अपने जीवन का हिस्सा बनाते हैं और ग़लतियों की वजह से उत्पन्न ग्लानि, शर्मिंदगी और नकारात्मक भावों को जीतकर, अपने जीवन को बेहतर, खुशहाल और शांत बनाते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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