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चिंता नहीं चिंतन करें…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • 3 days ago
  • 3 min read

Apr 25, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, हर नया दिन हमारा सामना नई परिस्थितियों से करवाता है। कुछ परिस्थितियाँ हमें प्रेरित करती हैं, तो कुछ हमारा सामना दुविधा या असमंजस से करवाकर तनाव बढ़ा देती है। लेकिन इन सब परिस्थितियों का प्रभाव हमारे जीवन पर कैसा होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हमारा चिंतन कैसा है, नकारात्मक या सकारात्मक। अगर नकारात्मक होगा तो आप अपने जीवन को चिंता में जियेंगे और आपको छोटी से छोटी बात भी भारी लगेगी, इसके विपरीत अगर आप सकारात्मकता के साथ चिंतन करेंगे तो बड़ी से बड़ी समस्या भी आसान और हल करने योग्य लगेगी। इसलिए मैं हमेशा कहता हूँ कि हमारा चिंतन ही हमारे जीवन की दिशा और दशा तय करता है।


चलिए नकारात्मक और सकारात्मक चिंतन के हमारे जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को जरा गहराई से समझने का प्रयास करते हैं। नकारात्मक चिंतन एक ऐसा अदृश्य बोझ है जो हमारी ऊर्जा, आत्मविश्वास और उत्साह को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। जिसके कारण जीवन में आने वाली हर विपरीत परिस्थिति हमें चुनौती के स्थान पर रूकावट की तरह नजर आने लगती है और हम किसी भी विपरीत स्थिति का सामना यह सोचते हुए करने लगते हैं कि “यह तो मैं नहीं कर पाऊँगा…” या “मेरी तो क़िस्मत ही ख़राब है…” आदि। जब विपरीत स्थिति को चुनौती के रूप में देखने का नजरिया ही नहीं होता है तो निश्चित तौर पर हम उसका सामना अपनी पूरी क्षमता से नहीं कर पाते हैं और अंत में हमारा प्रयास ही अधूरा रह जाता है। इस आधार पर कहा जाए तो हमें असफलता इसलिए नहीं मिलती कि काम कठिन था, बल्कि इसलिए मिलती है क्योंकि हमारा प्रयास, हमारी कोशिशें ही सीमित थी।


इसके विपरीत सकारात्मक चिंतन एक ऐसी रोशनी होती है जो जीवन के सबसे मुश्किल समय में हमें रास्ता दिखाती है। अर्थात् जब स्थितियां विपरीत होती हैं तब यह हमारे अंदर आशा की लौ जलाकर हमारा मार्ग प्रशस्त करती है, हमारा आत्मविश्वास बढ़ाती है। जिसकी वजह से हम ख़ुद पर विश्वास और ईश्वर में आस्था रख जीवन में आगे बढ़ने लगते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो सकारात्मक चिंतन हमारा दृष्टिकोण कुछ इस तरह बदल देता है कि हमें समस्याएँ, अवसर के रूप में नजर आने लगती हैं। इतना ही नहीं दोस्तों, सकारात्मक सोच न केवल हमारे कार्यों की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है, बल्कि हमारे रिश्तों, मानसिक शांति और आत्मबल को भी सशक्त बनाती है।


चिंतन का अधिकतम लाभ लेने के लिए हमें चिंता और चिंतन के अंतर को समझना होगा। चिंता, वह अनावश्यक मानसिक तनाव है, जो हमें किसी समाधान की ओर नहीं ले जाता है। इसके ठीक विपरीत, चिंतन, वह जागरूक विचार प्रक्रिया है, जो समाधान खोजती है, सीख देती है और जीवन में आगे बढ़ने का साहस देती है।


दोस्तों, यदि हम हर समस्या को प्रभु में विश्वास रखते हुए, शांत चित्त से विचार करें, तो हमें न केवल समाधान मिलेगा, बल्कि आत्मिक बल भी प्राप्त होगा। प्रभु में विश्वास सबसे श्रेष्ठ चिंतन है, क्योंकि जब हम उस पर भरोसा करते हैं, तो हमारे भीतर एक अटूट शांति और शक्ति का संचार होता है।


अंत में दोस्तों, मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि अपने ख़ुद के जीवन को सही दिशा देना हमारा पहला कर्तव्य है। इसलिए अपने जीवन को चिंता में नहीं, चिंतन में लगाओ। अर्थात् चिंतन की आदत डालो। हर दिन सुबह यह संकल्प लें कि आज हम अपनी सोच को सकारात्मक बनाएंगे, खुद पर और ऊपरवाले पर विश्वास रखेंगे। जब हमारे विचार निर्मल और सकारात्मक होंगे, तभी हमारा जीवन भी सरल, सुंदर और सफल होगा। याद रखिएगा दोस्तों, सकारात्मक चिंतन ही किसी भी चिंता का एकमात्र समाधान है। चिंता से मुक्त रहें और चिंतन में जिएँ, सकारात्मक सोचें, सकारात्मक रहें और हर पल का आनंद लें, यही जीवन जीने की असली कला है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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