छोड़े यह 9 आदतें, खुशहाल और खुद के प्रति दयालु रहने के लिए- भाग 1
दोस्तों, आज के युग में एक और जहाँ सुख-सुविधा और मनोरंजन के तमाम साधन उपलब्ध हैं वहीं दूसरी ओर इंसान तमाम दुविधाओं और उलझनों के बीच खुद को खोया हुआ सा पाता है। इसकी सबसे बड़ी वजह निर्धारित समय में अपने भौतिक लक्ष्यों को पाने के चक्कर में, खुद के प्रति क्रूर हो जाना है। जी हाँ साथियों सही पढ़ा आपने ‘हम खुद के प्रति अति क्रूर हो गए हैं, असल में हमारे लिए बाहरी या भौतिक लक्ष्य इतने महत्वपूर्ण हो गए हैं कि मानसिक शांति, स्वयं के लिए समय निकालना, बिना किसी वजह के खुश रहना असम्भव सा हो गया है।
दोस्तों अगर आप वाक़ई खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले उन 9 आदतों को छोड़ना पड़ेगा जो आपके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालकर आपको दुखी करती हैं। दोस्तों वाक़ई में यह आदतें इतनी ख़तरनाक होती है कि इन्हें छोड़े बिना खुद के प्रति दयालु बनना असम्भव ही है। तो चलिए उन 9 आदतों को पहचानने या उससे होने वाले नुक़सान को समझने का प्रयास करते हैं-
पहली आदत - ओवरथिंकिग अर्थात् ज़्यादा सोचना बंद करें
बात कई साल पुरानी है, इंटरव्यू देने के लिए आए युवा से कम्पनी के अधिकारी ने सवाल किया, ‘कल्पना कीजिए आप जिस बिल्डिंग में हैं, वहाँ आग लग गई है, अब आप अपनी जान बचाने के लिए सबसे पहले क्या करेंगे?’ उस युवा ने खुद को शांत बनाए रखते हुए कहा, ‘सबसे पहले कल्पना करना बंद करूँगा।’ जी हाँ साथियों, हमारी ज़्यादातर समस्याएँ बड़ी सिर्फ़ इसीलिए हैं क्यूँकि हम उनके विषय में ज़रूरत से ज़्यादा सोचते हैं। ओवरथिंकिग करना याने किसी भी विषय में अत्यधिक सोचना उस विषय को हक़ीक़त से बड़ा और डरावना बनाकर, आपको जीवन में आगे बढ़ने से रोक सकता है।
ओवरथिंकिंग से बचने के लिए आप निम्न 2 कार्य करें -
1) किसी भी कार्य या विषय के लिए निर्णय लेने की समय सीमा निर्धारित करें
सबसे पहले साथियों छोटे-छोटे कार्यों या निर्णयों को 30 सेकंड में करने की आदत डालें। जैसे आज कपड़े धोना है या नहीं, हेयर कटिंग करवाना है या नहीं या फिर आज खाने में क्या बनाना है, आदि। इसके बाद बड़े फ़ैसलों को लेने के लिए आप तथ्य जुटाने के बाद 30 मिनिट की समय सीमा तय कर सकते हैं। इसके बाद आपको अपने निर्णय का सम्मान करना सीखना होगा।
2) दैनिक कार्यों की सूची बनाकर रखें
अपने कार्य स्थल या घर पर अपनी नज़रों के सामने व्हाइट बोर्ड पर आज किए जाने वाले कार्यों की सूची को बेहद सरल तरीक़े से लिख कर रखें। यह आज किए जाने वाले कार्यों पर आपके फ़ोकस को बनाए रखता है। इसी तरह से आप अपने जीवन के सूत्रों को भी व्हाइट बोर्ड पर लिख सकते हैं। जैसे मैंने ‘सिंपल लिविंग, हाई थिंकिंग’ या ‘थिंक एंड बी’ को बहुत दिनों तक अपने बोर्ड पर लिख रखा था। यह मुझे खुद के प्रति दयालु रहने में मदद करता था।
दूसरी आदत - नकारात्मक विचारों के साथ जीवन जीना बंद करें
आपने निश्चित तौर पर सुना होगा, ‘ख़रबूज़े को देखकर ख़रबूज़ा रंग बदलता है।’ ठीक उसी तरह हमारे आसपास का माहौल हमारे सोचने के तरीके पर प्रभाव डालता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि हमारी ख़ुशी, शांति और मनःस्थिति हमारे आसपास के लोगों या माहौल से बहुत प्रभावित होती है। यदि आप नकारात्मक विचारों के साथ जीवन जीते हैं अर्थात् आप नकारात्मक विचारों या लोगों के बीच ज़्यादा समय बिताते हैं तो आप स्वयं को भय, हताशा और शक्तिहीनता से घिरा महसूस करेंगे। नकारात्मकता आपको जीवन में नीचे की ओर खींचती हैं, आपके जीवन को सीमित करती है।
नकारात्मकता से बचने के लिए सबसे पहले आपको अपने जीवन में नकारात्मक सूचनाओं के प्रमुख स्त्रोत को पहचानना होगा जहाँ आप सबसे अधिक समय बिताते हैं। जैसे कोई व्यक्ति, ब्लॉग, न्यूज़ पोर्टल, फ़ोरम, पत्रिकाएँ, सोशल मीडिया चैनल, टीवी शो आदि। इसके बाद आप जीवन में सकारात्मकता लाने वाले स्त्रोतों को पहचाने और अंत में योजनाबद्ध तरीके से तय समय में नकारात्मक स्त्रोत से दूरी बनाते हुए सकारात्मक स्त्रोतों को अपने जीवन का हिस्सा बनाते जाएँ।
तीसरी आदत - अतीत और भविष्य में रहना बंद करें
रिसर्च का एक आँकड़ा बताता है की अतीत और भविष्य में ज़्यादा समय व्यतीत करने की वजह से हम अपना 83% समय नकारात्मक विचारों के साथ गुज़ारते हैं। इसकी मुख्य वजह अतीत के सुखद और सफलता भरे अनुभवों के स्थान पर पुरानी असफलताओं या ग़लतियों को बार-बार याद रखने की हमारी आदत है। नकारात्मक अनुभवों को बार-बार याद करना हमारे वर्तमान को प्रभावित कर एक नया नकारात्मक अतीत बनाता है। ठीक इसी तरह भविष्य में रहना हमारे जीवन में अनिश्चितता बढ़ाकर तनाव पैदा करता है। यह अनिश्चितता आपके मन में डर जैसे नकारात्मक भाव पैदा कर ग़लत सोचने के लिए मजबूर करती है।
इससे बचने के लिए, अपना अधिक से अधिक समय वर्तमान में बिताने की आदत डालें। ऐसा कर आप स्वयं को अनावश्यक विचारों से मुक्त पाकर, हल्का महसूस करेंगे। समस्याएँ आपको आसान लगने लगेंगी। इसके साथ ही रोज़ाना मिलने वाली छोटी-छोटी सफलताओं को सेलिब्रेट करना शुरू करें, यह आपके अंदर सकारात्मकता और ऊर्जा बढ़ाती है। प्रतिदिन ध्यान करना, अपनी आती - जाती साँसों पर फ़ोकस करना, अपने आसपास घट रही हर घटना को अपनी समस्त इंद्रियों के साथ महसूस करना भी आपको वर्तमान में रहने में मदद करता है। जी हाँ दोस्तों, हर पल सुनें, देखें, सूंघें और महसूस करें कि इस समय आपकी दुनिया में, आपके आस-पास क्या हो रहा है।
आज के लिए इतना ही दोस्तों कल हम अगली तीन आदतों को पहचानेंगे-
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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