Sep 26, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, मेरा मानना है कि अगर आप खुलकर जीवन जीना चाहते हैं तो आपको अपने अंदर उठ रहे विचारों के चक्रव्यूह को तोड़ना सीखना होगा। जिससे आप अपने अंदर चल रही विचारों की लड़ाई को ख़त्म कर अपनी ऊर्जा को किसी एक बिंदु पर केंद्रित करते हुए जी सकें। निश्चित तौर पर आपके अंदर सवाल उठ रहा होगा कि विचार और ऊर्जा का आपस में क्या सम्बंध है? तो चलिए, सबसे पहले हम विचारों के विज्ञान को एक उदाहरण से समझ लेते हैं।
मान लीजिए, आप किसी होटल में पार्टी में जाते हैं। वहाँ वेटर कोई स्टार्टर आपके पास लेकर आता है और उसे देखते ही आपके मन में उसे खाने की तीव्र इच्छा पैदा होती है या आप इसके ठीक विपरीत, अपनी नाक सिकोड़ते हुए उसे लेने से मना कर देते हैं। अब मैं आपसे पूछना चाहूँगा, आपने उस डिश को खाने या ना खाने का निर्णय लिया कैसे? निश्चित तौर पर इंद्रियों और अपनी बुद्धि अर्थात् इंटेलेक्ट से मिले संकेत से। अर्थात् दोस्तों, जैसे ही वेटर आपके समक्ष स्टार्टर लाया, आपकी आँख ने देख कर और आपकी नाक ने सूंघकर एक संदेश आपकी बुद्धि को भेजा। आपकी बुद्धि ने तत्काल आपके मन या माइंड से इस विषय में राय माँगी। राय माँगते ही मन या माइंड ने तुरंत पुराने अनुभवों में से इससे मिलती जुलती घटना को खोजा और उस स्थिति में लिए गए निर्णय के आधार पर निर्णय लेकर एक्शन ऑर्गन को बता दिया। निर्णय के आधार पर एक्शन ऑर्गन कार्य करने लगता है।
अब आप निश्चित तौर पर इंद्रियों द्वारा विचारों के रूप में हमारे अंतर्मन को भेजे गए संदेश से लिए गए एक्शन के विज्ञान को अच्छे से समझ गए होंगे। आईए, अब हम थोड़ा गहराई में उतरकर विचारों के चक्रव्यूह को तोड़ना सीखते हैं। दोस्तों, जैसे ही हमारी इंद्रियाँ कोई भी नया संदेश अपनी बुद्धि को भेजती हैं तो बुद्धि तुरंत उस विषय पर पूर्व में सीखी गई बातों के आधार पर निर्णय लेती है। अगर आप इस निर्णय के आधार पर एक्शन लेते हैं अर्थात् आपके निर्णय के साथ आपका सचेत मन होता है तो आप पूरी शांति के साथ रहते हैं। इसके विपरीत अगर आप पूर्व में सीखी गई बातों के आधार पर लिए गए निर्णय के ख़िलाफ़ जाकर एक्शन करने का विचार करते हैं अर्थात् आपका सचेत मन आपके एक्शन के ख़िलाफ़ होता है तो आप विचारों के चक्रव्यूह में उलझ जाते हैं।
दोस्तों, जब भी आप विचारों के चक्रव्यूह में उलझते हैं, तब-तब आप स्वयं से लड़ते हैं और बाद में इस लड़ाई या अंतर्मन से खुद के ख़िलाफ़ आ रही आवाज़ को दबाने के लिए अपनी ऊर्जा लगाते हैं और उसे अपने अचेतन मन में दबाते जाते हैं। एक दिन में जब ऐसी कई घटनाएँ घटने लगती हैं अर्थात् आप प्रतिदिन अपने अंतर्मन की आवाज़ के ख़िलाफ़ जाकर कार्य करते हैं तो आपकी अधिकतर ऊर्जा बर्बाद हो जाती है और आप जीवन को सफल बनाने या ख़ुशी देने वाले कार्यों को अपनी पूरी ऊर्जा के साथ नहीं कर पाते हैं। इसीलिए दोस्तों, अगर आप जीवन में शांति, सफलता या ख़ुशी चाहते हैं तो अपनी ऊर्जा को एक कार्य पर लगाना सीखें। इसका सीधा सा अर्थ हुआ दोस्तों के अगर आप विचारों के चक्रव्यूह को तोड़ कर अर्थात् अपने अंदर चल रही विचारों की लड़ाई को ख़त्म कर, अपनी ऊर्जा को किसी एक बिंदु पर केंद्रित करते हुए जीवन जीना चाहते हैं तो आपको अपने हर एक्शन को अपने सचेत मन के साथ अलाइन करना होगा अर्थात् अंतर्मन की आवाज़ के अनुसार जीवन जीना होगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
Comments