Nov 30, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
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दोस्तों, बीतते समय के साथ मुझे यह महसूस होने लगा है कि इस धरती पर ईश्वर हम सभी को किसी ना किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए ना सिर्फ़ भेजता है, बल्कि रोज़मर्रा में मिलने वाले अनुभवों के द्वारा उसके लिए तैयार भी करता है। जी हाँ साथियों, चुनौतीपूर्ण स्थितियों, विपरीत परिस्थितियों से सामना करवाकर, कभी सफलता तो कभी असफलता देकर या फिर अच्छे-बुरे अनुभवों के साथ वो हमें आनेवाले समय के लिए तैयार करता है, जिससे हम ईश्वर द्वारा प्रदत्त उद्देश्य को पूरा करने लायक बन सकें।
लेकिन अक्सर मैंने देखा है, लोग विषम परिस्थितियों का सामना करते वक्त अपने मुख्य उद्देश्य को भूल जाते हैं और क़िस्मत या भाग्य को दोष देते हुए जीवन गुज़ारने लगते हैं। जो एक तरह से ईश्वरीय योजना के ख़िलाफ़ जाकर जीवन जीने समान है। आईए, अपनी बात को मैं अपने ही जीवन के अनुभव से समझाने का प्रयास करता हूँ। मध्यप्रदेश के एक धार्मिक शहर, जिसे हम बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के नाम से भी जानते हैं, में मेरा जन्म एक मध्यम वर्गीय संयुक्त परिवार में हुआ। इसी शहर में मैंने अपनी शिक्षा पूर्ण करी। हालाँकि मेरे पिताजी और ताऊजी दोनों ही सरकारी विभाग में कार्यरत थे लेकिन उसके बाद भी उन्होंने बचपन से ही मुझे छूट दी कि मैं अपने व्यवसाय करने के ‘शौक़’ को पूरा कर सकूँ। दूसरे शब्दों में कहूँ, तो परिवार ने मेरे व्यापार करने के निर्णय को समर्थन दिया। इसी वजह से मैंने कक्षा छठी में एक छोटी सी लायब्रेरी खोली, सातवीं में विद्यालय में सिखाए जाने पर राखी और समाचार पत्र के लिफ़ाफ़े बनाकर, बेचने का प्रयास किया। इसके पश्चात आठवीं में मैंने दीपावली के समय फटाके का एक छोटा सा व्यवसाय करने का प्रयास करा और अंत में कक्षा दसवीं पास करते ही एल॰आई॰सी॰ के एजेंट के रूप में कार्य करा।
हालाँकि इनमें से कोई भी व्यवसाय लाभदायक नहीं था, लेकिन इसने मुझे कुछ बातों को सीखने और समझने का मौक़ा दिया। जिसकी बदौलत मैं वर्ष 1987 में कक्षा ग्यारहवीं की पढ़ाई के साथ, अपने कम्प्यूटर के व्यवसाय और ग्रीटिंग कार्ड गैलेरी की शुरुआत कर पाया। इसमें से मैंने अंततः कम्प्यूटर के व्यवसाय को चुना और अगले 20 वर्षों तक अर्थात् वर्ष 2007 तक कम्प्यूटर सेंटर, कम्प्यूटर बेचना-सुधारना आदि का कार्य करता रहा। बीस वर्षों की यह व्यवसायिक यात्रा बहुत उतार-चढ़ाव वाली रही और इसी दौरान मैंने कम्प्यूटर का अपना ब्रांड और फ़्रेंचाइस शुरू करने का असफल प्रयास भी किया।
कुल मिलाकर कहूँ दोस्तों, तो इस उतार-चढ़ाव वाले दौर में मैंने बहुत पैसा कमाया भी, गँवाया भी। विलासिता पूर्ण जीवन भी जिया, तो क़र्ज़ और नुक़सान के दौर में मुफ़लिसी भी काटी। मुफ़लिसी के दिनों में मेरे लिए मोटर साइकिल में पेट्रोल भरवाना, लोन की किश्त भरना, उधार चुकाना, घर चलाना भी मुश्किल था। शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर असफल रहने के बाद भी मैंने इसे ईश्वरीय आशीर्वाद माना और आगे की सम्भावनाओं पर दिमाग़ लगाया। इस दौर ने मुझे व्यवसायिक बारीकियों के साथ जीवन के अनेक रूपों को देखने और उससे सीखने का मौक़ा दिया।
इसके बाद ईश्वरीय संयोग से ही मुझे अपने गुरु राजेश अग्रवाल जी से वर्ष 2007 में और श्री एन॰ रघुरामन जी से 2010 में मिलने और फिर सीखने का मौक़ा मिला। जीवन से मिले अनुभव और गुरु से मिली शिक्षा की बदौलत मैंने 2007 से ही मोटिवेशनल स्पीकर, ट्रेनर, काउंसलर और व्यवसायिक कंसलटेंट के रूप में कार्य करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे खुद को इस क्षेत्र में स्थापित किया।
दोस्तों, आज जब मैं पलट कर अपने जीवन को देखता हूँ, तो पाता हूँ कि आज अगर मैं सफल हूँ या कुछ अच्छा कर पा रहा हूँ या फिर किसी भी रूप में लोगों की मदद कर पा रहा हूँ तो उसके पीछे की मुख्य वजह, जीवन में जो मिला उसे ईश्वरीय प्रसाद मान स्वीकारने वाला नज़रिया है। जिसने मुझे जीवन से मिले उतार-चढ़ाव वाले अनुभवों से सीखने, जीवन को समझने का मौक़ा दिया। दोस्तों, आज वही अनुभव मुझे काउन्सलिंग या कंसलटेंसी के दौरान आए शख़्स के दर्द, दुःख, परेशानी और यहाँ तक की ख़ुशी और सफलता की वजह, उसकी सोच आदि को समझने में मदद करते हैं। कुल मिलाकर कहूँ तो मुझे उसकी मनःस्थिति को समझने का मौक़ा देते हैं, जिसकी बदौलत मैं वह कार्य कर पाता हूँ जो ईश्वर मुझसे करवाना चाहता है।
इसीलिए दोस्तों, मैंने पूर्व में कहा था, आने वाले जीवन के लिए तैयार करने के लिए ही आपको ईश्वर अनेक तरह की स्थितियों से गुज़ारता है या अनेक तरह के अनुभव भी देता है। ताकि आप उसकी योजना या उसके लक्ष्य के अनुरूप कार्य करते हुए अंततः खुश, संतुष्ट और बेहतर जीवन जी पाओ।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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