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जो होता है, अच्छे के लिए होता है…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

May 6, 2022


आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई वर्ष पुरानी है गाँव में रहने वाला किसान बहुत दुखी अवस्था में मंदिर गया और आँखों में आंसू लिए भगवान से बोला, ‘हे प्रभु!, मुझसे किस जन्म का बदला ले रहे हैं। पिछली तीन फसलें आपकी वजह से बर्बाद हो गई हैं। कभी आप बिलकुल भी बारिश नहीं करते, तो कभी इतनी ज़्यादा कि बाढ़ आ जाती है। जब बारिश ठीक रहती है, तो आप तेज़ आँधी या तेज़ गर्मी की वजह से फसल खत्म कर देते हैं। मुझे तो ऐसा लगता है आप शायद खेती के बारे में कुछ जानते ही नहीं हैं।’


भक्त की बात सुन भगवान को हंसी आ गई, भगवान को हंसते देख किसान और चिढ़ते हुए बोला, ‘हंस लो, हंस लो! आपका क्या जाता है। हालात तो मेरे ख़राब चल रहे हैं।’ भगवान तुरंत अपनी हंसी पर क़ाबू करते हुए बोले, ‘नहीं-नहीं वत्स, ऐसी बात नहीं है। सबका अपना महत्व है।’ भगवान की बात सुन किसान थोड़ा मुँह बनाता हुआ बोला, ‘भगवान आप भले ही सर्वशक्तिमान हैं। लेकिन मैं और मेरे जैसे बहुत सारे किसान इस बिना वजह मौसम के बदलाव से परेशान हो गए हैं। अगर आप कुछ दिनों के लिए मौसम सम्भालने की ज़िम्मेदारी मुझे दे दें, तो मैं अपने खेती-बाड़ी के लम्बे अनुभव से पूरे देश में अन्न का ढ़ेर लगा दूँगा। फिर कोई भूखा नहीं मरेगा, चारों ओर ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ होंगी।


किसान की बात सुन ईश्वर मुस्कुरा दिए और ‘तथास्तु!!’ कहते हुए अंतर्ध्यान हो गए। दूसरी ओर, किसान भी प्रभु का आशीर्वाद पा बहुत खुश था। उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया और अगले दिन सुबह से ही अपने खेत में जाकर गेहूं की फसल बोने की तैयारी करने लगा। बुवाई का कार्य पूर्ण होते ही उसने मौसम बदलने की ज़िम्मेदारी सम्भाली और अपने ज्ञान के आधार पर जब जैसी ज़रूरत लगी सर्दी , धूप और बारिश कराने लगा और हाँ, तेज़ बारिश, आँधी, ओले गिराने आदि के बारे में तो उसने कभी सोचा ही नहीं।


समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती, लहलहाती फसल को देख किसान बहुत खुश था। वह मन ही मन सोच रहा था कि नाहक ही मौसम की मार से भगवान ने किसानों को इतना परेशान कर रखा था। देखना जल्द ही मैं बंपर पैदावार से उन्हें हैरान कर दूँगा। कुछ ही माह में फसल काटने का समय आ गया, किसान पूरी तैयारी के साथ अपने खेत पर पहुँचा और फसल काटने लगा। कटे हुए गेहूं की बाली हाथ में लेते ही किसान हतप्रभ रह गया, उस बाली में गेहूं का दाना ही नहीं था। उसने तुरंत सारे खेत की फसल को जाँचा सभी जगह ऐसा ही हाल था।


वह खेत पर बैठकर ही रोने लगा और भगवान को याद करते हुए बोलने लगा, ‘प्रभु, यह क्या हो गया? मैंने तो सब-कुछ बहुत ध्यान से करा था, फिर भी गेहूं की सारी बालियाँ अंदर से एकदम ख़ाली हैं।’ किसान की बात सुन प्रभु बोले, ‘वत्स, यह तो होना ही था, तुमने पौधों को ज़रा सा भी संघर्ष नहीं करने दिया। जब पौधे चुनौतीपूर्ण वातावरण में संघर्ष करते हुए बड़े होते हैं अर्थात् जब वे बारिश, आँधी, सर्दी, तेज़ धूप जैसे विपरीत मौसम सहते हुए बड़े होते हैं, तब उनमें विपरीत परिस्थितियों से लड़ने के लिए आवश्यक बल या शक्ति पैदा होती है। अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष करते वक्त पैदा हुआ यही बल या शक्ति उसे ऊर्जा देती है और इसी अतिरिक्त ऊर्जा से उसके अंदर फल प्रस्फुटित होता है।’


ठीक इसी तरह दोस्तों ईश्वर हम इंसानों को भी निखारता है। जब हम अपने जीवन में विपरीत परिस्थितियों से जूझते हैं तब हम अपनी छुपी हुई क्षमताओं को पहचानकर निखारते हैं। आप स्वयं सोचकर देखिए, जब भी आप विपरीत परिस्थितियों में रहे, आपने संयम से रहना सीखा, जब आप को असफलता मिली, आपने लड़ना सीखा। जी हाँ दोस्तों, दुःख और विपरीत परिस्थितियों ने ही हमें सुख की अहमियत सिखाई है, हमें बेहतर बनाया है।


याद रखिएगा, जिस तरह भट्टी में तपकर सोना निखारता है, सोना, सोना रहते हुए ही अपनी क़ीमत बढ़ाता है। ठीक उसी तरह विपरीत परिस्थितियों, असफलताओं, चुनौतियों के दौर से गुजरते हुए हम अपने गुणों और प्रतिभा को पहचानकर, खुद को निखार पाते हैं, अपनी क़ीमत बढ़ा पाते हैं। दोस्तों, आज ही से अपने नज़रिए में परिवर्तन लाते हुए एक निर्णय लीजिएगा,

अब जब कभी आप असफलताओं या विपरीत परिस्थितियों की वजह से खुद को नकारात्मक विचारों या भावों से घिरा पाएँगे तब तत्काल खुद को विश्वास दिलाएँगे कि ईश्वर मेरी प्रतिभा को निखारकर मुझे और सशक्त, और प्रखर बना रहा है, ताकि मैं अपने जीवन का पूर्ण मज़ा ले सकूँ, उसे शांत, खुश, मस्त और संतुष्ट रहते हुए जी सकूँ।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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