July 8, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
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दोस्तों, अक्सर आपको जीवन में चुनौतियाँ अथवा विपरीत परिस्थितियों के आने पर लोग ईश्वर या क़िस्मत को दोष देते हुए दिख जाएँगे। ऐसे लोग सामान्यतः अपना जीवन नकारात्मक मनःस्थिति के साथ गुज़ारते हैं और जीवन के रूप में ईश्वर द्वारा दिए गए वरदान को अपने लिए अभिशाप बना लेते हैं। इसके विपरीत अगर जीवन में घटने वाली घटनाओं को प्रभु की इच्छा या हमें बेहतर बनाने की उनकी योजना का हिस्सा मान लें, तो जीवन में प्रगति करते हुए, खुश रह सकते हैं और वह सब पा सकते हैं जो आप पाना चाहते हैं। अपनी बात को मैं आपको एक ऐसी सच्ची कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ जो विपरीत परिस्थितियों या चुनौतियों भरे जीवन को सकारात्मक ऊर्जा और आशा से भरकर एक नई दिशा दे सकती है।
बात कई साल पुरानी है, लंदन के एक चर्च ने निर्णय लिया कि वे अब सिर्फ़ उन्हीं को नौकरी पर रखेंगे जिन्होंने औपचारिक रूप से कम से कम हाई स्कूल तक शिक्षा प्राप्त करी हो। हालाँकि चर्च के इस निर्णय से ज़्यादा कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ना था क्यूँकि अल्फ्रेड डनहिल को छोड़कर वहाँ के सभी कर्मचारी औपचारिक रूप से हाई स्कूल तक शिक्षित थे। चर्च के बुजुर्ग और सौम्य पादरी ने सहृदयता का परिचय देते हुए चर्च की साफ़-सफ़ाई और पोडियम को व्यवस्थित रखने का कार्य करने वाले अल्फ्रेड डनहिल को नौकरी से नहीं निकाला। समय का चक्र ऐसे ही चलता रहा, और कब सौम्य पादरी का सेवानिवृत्ति का समय आ गया, पता ही नहीं चला।
बुजुर्ग सौम्य पादरी की सेवानिवृत्ति के बाद उनका स्थान एक युवा पादरी ने लिया। इस युवा पादरी की कार्यप्रणाली नियम पुस्तिका पर आधारित थी। जब उन्हें पता चला कि अल्फ्रेड डनहिल शिक्षा के लिए तय मानदंडों पर खरे नहीं उतरते हैं तो उन्होंने तुरंत अल्फ्रेड डनहिल को एक नोटिस जारी कर कहा कि या तो वे 6 माह में हाई स्कूल की परीक्षा पास करें या अपने पद से इस्तीफ़ा दे दें। उस वक्त की स्थितियों को देख अल्फ्रेड डनहिल के लिए छः माह में परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना सम्भव नहीं था। इसलिए अब अल्फ्रेड डनहिल के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था। उन्होंने उसी वक्त अपना इस्तीफ़ा सौंपा और दोपहर के वक्त बॉन्ड स्ट्रीट पर सैर करते हुए अगले विकल्प के बारे में विचार करने लगे।
बॉन्ड स्ट्रीट पर सैर करते-करते डनहिल को धूम्रपान करने की इच्छा हुई। उन्होंने पूरी गली को तलाशा लेकिन उन्हें तंबाकू और उसके उत्पाद बेचने वाली एक भी दुकान नहीं मिली। वे दूसरी गली में गए और वहाँ धूम्रपान कर वापस बॉन्ड स्ट्रीट पर आ गए। उस दिन उन्हें एहसास हुआ कि गली में एक छोटी सिगरेट की दुकान खोलना एक अच्छा व्यवसायिक विचार हो सकता है।
डनहिल ने तुरंत अपने विचार पर अमल करा और बॉन्ड स्ट्रीट पर एक छोटी सी दुकान शुरू कर दी जो कुछ ही दिनों में उनकी उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छी चलने लगी। कुछ ही दिनों में डनहिल को एहसास हुआ कि रोड की दूसरी तरफ़ से भी उनकी दुकान पर काफ़ी ग्राहक आते हैं। उनकी व्यवसायिक बुद्धि ने तुरंत इस अवसर को पहचाना और स्ट्रीट के दूसरी तरफ़ भी एक दुकान शुरू कर दी। इसी तरह तीन वर्षों में डनहिल ने 16 दुकानें कर ली थी।
अगले कुछ वर्षों में अल्फ्रेड डनहिल कंपनी इंग्लैंड की एक प्रमुख टोबैको कम्पनी बन गई और उन्होंने डनहिल सिगरेट के नाम से अपना ब्रांड पेश करते हुए मशीन की सहायता से रोलिंग सिगरेट बनाना शुरू करा दिया। अगले पांच साल में अल्फ्रेड ने करोड़ों रुपए कमाए और अमीर, सफल व्यवसायी बन गए। इतना होने के बाद भी वे रुके नहीं, तंबाकू की लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए, उन्होंने अमेरिकी तंबाकू किसानों के साथ एक वार्षिक खरीद समझौता करना शुरू कर दिया। ये अमेरिकी किसानों के लिए एक बड़ा अवसर था। इसी वजह से किसानों द्वारा अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया ने जल्द ही एक समारोह का रूप ले लिया। जिसे मीडिया में भी खूब सराहा गया और इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सीनेटर और गवर्नर भी आए। जब अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने की बारी डनहिल की आई तो उन्होंने अपने अंगूठे का निशान लगाया।
गवर्नर के लिए यह अचरज भरा पल था, उन्होंने डनहिल से कहा, ‘श्रीमान, यह तो कमाल है। आपने बिना औपचारिक शिक्षा के भी बहुत कुछ हासिल किया है। ज़रा सोचिए कि अगर आपने औपचारिक शिक्षा हासिल करी होती तो आप आज क्या कर रहे होते!’ डनहिल ने बिना एक पल भी गँवाए अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘अगर मैंने औपचारिक शिक्षा ली होती और मैं पढ़ना-लिखना जानता, तो मैं आज भी चर्च की सफाई कर रहा होता!’
दोस्तों, अगर आप ध्यान पूर्वक डनहिल की प्रतिक्रिया देखेंगे तो पाएँगे कि उन्होंने अपने जीवन में घटने वाली घटनाओं पर अनावश्यक प्रतिक्रिया देने के स्थान पर, उसे स्वीकारा और साथ ही अपने विश्वास को बरकरार रखा कि, 'जीवन में जो कुछ भी घटता है, वह हमारी बेहतरी के लिए होता है, ना की हमारे जीवन को नरक बनाने के लिए।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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