Dec 19, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, सामान्यतः हम डर को एक नकारात्मक भाव और शक्ति के रूप में देखते हैं। जबकि इस विषय में मेरा मानना थोड़ा अलग है। मेरी नजर में डर एक सकारात्मक शक्ति है, जो अंतर्मन की गहराइयों में छिपी आकांक्षाओं और लक्ष्यों को पहचानने में उल्लेखनीय मदद करती है। जी हाँ दोस्तों, जब हम डरते हैं, तब हमारे अंदर किसी विशेष विषय के लिए बेचैनी पैदा होती है। यह बेचैनी हमें उस विषय से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर सोचते हुए, अपने कम्फर्ट ज़ोन से आगे निकलने और मन में बनाई धारणाओं के चक्रव्यूह को तोड़ने में मदद करती है।
अगर आप भी डर से सकारात्मक लाभ लेना चाहते हैं, तो डर की स्थिति के दौरान सबसे पहले ख़ुद से यह सवाल पूछें, ‘इस स्थिति में मुझे क्या खोने या चूकने से डर लग रहा है?’ इस प्रश्न का उत्तर आपको अपने मूल्यों और इच्छाओं के बारे में थोड़ा गहराई से जानने का अवसर देगा। उदाहरण के लिए, मान लें कि आपको पदोन्नति का मौका चूकने का डर है। इस स्थिति में यह डर आपके अंदर नेतृत्व करने और उस संस्था में दिए अपने योगदान के लिए पहचाने जाने की इच्छा को प्रकट करता है।
चलिए एक और उदाहरण लेते हैं, मान लीजिए एक उद्यमी एक नया व्यवसाय शुरू करने के विषय में थोड़ा चिंतित और डरा हुआ है। इस स्थित में अगर वह उपरोक्त प्रश्न के आधार पर विचार करेगा तो वह नए व्यवसाय से संबंधित चिंता और डर से वह नवाचार और स्वतंत्रता के लिए जुनून की खोज कर सकता है और उसके आधार पर जीवन या व्यवसाय के नए लक्ष्य निर्धारित कर सकता है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो डर का सामना सही तरीक़े से करके हम अपने जीवन के लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं और डर को निर्णय लेने के लिए आवश्यक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में देख सकते हैं।
डर से सकारात्मक लाभ लेने के लिए आपको इसे रचनात्मक ऊर्जा में बदलना सीखना होगा। इसके लिए आपको सर्वप्रथम डर को एक प्रेरक के रूप में स्वीकारना होगा। जब आप डर को प्रेरणा का स्रोत मानने लगते हैं, तब आप रचनात्मक होते जाते हैं क्योंकि रचनात्मकता अक्सर अनिश्चितता के वातावरण में पनपती है। अगर आप मेरी उपरोक्त बातों से सहमत ना हों तो विन्सेंट वैन गॉग से लेकर माया एंजेलो तक कई प्रसिद्ध कलाकारों और लेखकों के जीवन को बारीकी से देख लीजियेगा। इन सभी ने अपने डर को प्रभावशाली कार्यों में बदला था और ये सभी इसी वजह से अपने दर्शकों के साथ गहराई से जुड़ते हैं।
आइए दोस्तों, आज हम डर को रचनात्मकता के स्रोत में बदलने के लिए आवश्यक 9 सूत्रों में से प्रथम 3 सूत्रों को सीखते हैं-
पहला सूत्र - अपने डर को स्वीकारें
अपने डर के बारे में खुलकर बात करो, चाहे लेखन के माध्यम से, कला बनाने के माध्यम से, या अपनी कहानियों को साझा करने के माध्यम से। यह खुलापन प्रामाणिकता को बढ़ावा दे सकता है, जिससे आपका काम दूसरों के साथ गहरे स्तर पर जुड़ सकता है।
दूसरा सूत्र - चुनौतियाँ तय करें
डर की वजह से उपजी नई चुनौतियों को स्वीकारें; उनका सामना करें। अपने डर का बार-बार सामना करना आपको उस क्षेत्र में सहज बनने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, अगर सार्वजनिक रूप से बोलने में आपको डर लगता है, तो स्थानीय क्लबों में शामिल होने पर विचार करें। एक अध्ययन में बताया गया है कि जिन प्रतिभागियों ने सार्वजनिक बोलने के अपने डर को नजरअंदाज करके लोगों के बीच अपनी बातों को कहा है, उन्होंने अपने सार्वजनिक बोलने के कौशल में 80% से अधिक सुधार किया है।
तीसरा सूत्र - अपने लिए सुरक्षित स्थान बनाएँ
ऐसा वातावरण बनाएँ जहाँ आप अपने डर को रचनात्मक रूप से खोज सकें। इसके लिए आपको ऐसा स्थान या माहौल खोजना होगा, जहाँ लोग आपको जज ना करें। यह जर्नलिंग, पेंटिंग या एक-दूसरे से विचारों को साझा करने के लिए सहायक मित्रों के साथ समूह बनाने के माध्यम से हो सकता है।
आज के लिए इतना ही दोस्तों कल हम डर को रचनात्मकता के स्रोत में बदलने के अंतिम 5 सूत्र सीखेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
Comments