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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

नित्य परिवर्तन ही जीवन का स्वाभाविक सत्य है…

Jan 17, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, आपने निश्चित तौर पर यह सुना होगा और साथ ही इस पर विश्वास भी किया होगा कि ‘परिवर्तन जीवन का एकमात्र सत्य है!’ इसके पीछे की मुख्य वजह अपने अभी तक के जीवन में संसार की प्रत्येक वस्तु, व्यक्ति, घटना और स्थिति में होते लगातार परिवर्तन को देखना है। यहाँ न सुख स्थायी है और न दुःख, न वस्तुएँ स्थिर रहती हैं और न ही जीवन या मृत्यु। इसलिए परिवर्तन को जीवन का अनिवार्य और स्वाभाविक पहलू या सत्य माना जा सकता है, जो सृष्टि के हर कोने में विद्यमान है।


दूसरे शब्दों में कहूँ तो परिवर्तन जीवन का एक अनिवार्य पहलू है, जिसे रोकना या टालना इंसान के बस में नहीं है। इसलिए परिवर्तन को स्वीकार करना ही जीवन में प्रसन्नता और संतोष का मूल आधार है। जी हाँ साथियों, हर नया क्षण हमारे जीवन में नवीनता लेकर आता है। यह नवीनता हमारे जीवन को गतिशील और प्रेरणादायक बनाती है। जब हम परिवर्तन को स्वीकार करते हैं, तो यह हमें हर परिस्थिति में संतुलित और खुश रहने में मदद करता है। यह मानकर चलना कि परिवर्तन अपरिहार्य है, जीवन के उतार-चढ़ावों को सरलता से स्वीकारने का मार्ग है। आइए, आज हम परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास करते हैं-


नवीनता : प्रकृति से प्रवृत्ति तक

नवीनता केवल प्रकृति तक सीमित नहीं है; यह हमारी प्रवृत्ति, सोच, और व्यवहार में भी आनी चाहिए। समय के साथ हमें अपने विचारों का परिमार्जन और जीवन जीने के तरीकों में बदलाव करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, जैसे हर मौसम के साथ प्रकृति का स्वरूप बदलता है, वैसे ही हमारे विचारों और दृष्टिकोण में भी बदलाव आना चाहिए। याद रखियेगा, नए सकारात्मक विचार और सही दृष्टिकोण हमारे जीवन में उत्साह और ऊर्जा का संचार करता है।


नए विचार : जीवन की संजीवनी

नए विचार हमारे जीवन में संजीवनी बूटी के रूप में काम करते हैं। इसलिए नवीनता को अपनाने का अर्थ केवल बाहरी परिवर्तनों को स्वीकार करना नहीं है, बल्कि हमारे अंदरूनी संसार में भी सकारात्मक बदलाव लाना है। याद रखियेगा, हमारे विचारों और दृष्टिकोण में सुधार से जीवन में नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार होता है। जिस तरह फूल अपनी ताजगी और ख़ुशबू से हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है, ठीक वैसे ही नवीन विचार हमें और हमारे आसपास के वातावरण को प्रेरित और प्रभावित करते हैं। विचारों से उपजी यह नवीनता, हमारे भीतर न केवल आत्मविश्वास बढ़ाती है, बल्कि हमें जीवन के हर पहलू को नए नजरिये से देखने का अवसर भी देती है।


मानसिकता का परिवर्तन : समय की मांग

समय के साथ परिस्थितियाँ बदलती हैं और बदली हुई परिस्थितियाँ बदलाव लाती है। इस बदलाव को स्वीकारना या ना स्वीकारना मानसिकता का विषय है। अगर हम परिस्थितियों के अनुरूप अपनी मानसिकता में परिवर्तन नहीं लायेंगे और हम अपने पुराने विचारों और आदतों से चिपके रहेंगे, तो अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में विकास नहीं ला पायेंगे। इसलिए समय के साथ मानसिकता में परिवर्तन लाना भी आवश्यक है। वैसे भी मानसिकता में बदलाव का मतलब है नई संभावनाओं को पहचानना और उन्हें अपनाने की तैयारी करना है।


सकारात्मक दृष्टिकोण रखना

सकारात्मक नजरिये के साथ परिवर्तन को स्वीकारें और बदलाव के समय को एक नई शुरुआत मान, नई उमंग और नए उत्साह के साथ जीवन को आनंदमय बनाने का प्रयास करें। इसके लिए बस आपको अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाना होगा। दूसरे शब्दों में कहूँ तो अपने जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा दीजिए, दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन अपने आप आएगा। इसके लिए अपने हर दिन की शुरुआत ईश्वर के प्रति आभारी रहते हुए करें और हर नए दिन को एक नई संभावना के रूप में देखें। इसके साथ ही परिवर्तन को अपने जीवन का हिस्सा मानें और हर बदलाव को विकास के उत्प्रेरक के रूप में देखें।


निष्कर्ष

अंत में इतना ही कहना चाहूँगा कि जीवन में स्थिरता का कोई स्थान नहीं है; परिवर्तन ही इसका स्वाभाविक नियम है। जब हम इसे स्वीकारते हैं और अपने विचारों, व्यवहार, और दृष्टिकोण में नवीनता लाते हैं, तो हमारा जीवन अधिक आनंददायक और प्रेरणादायक बन जाता है। इसलिए बदलाव को अवसर के रूप में देखना और उससे सीख लेना ही जीवन में आगे बढ़ने का सही तरीका है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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