Feb 19, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
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दोस्तों, सामान्यतः हम सभी लोग किसी भी अच्छे काम के शुभारंभ के लिए शुभ दिन चुनते हैं, मुहूर्त निकालते हैं। पर ईश्वर की असीम अनुकंपा ऐसी है, कि इस महाशिवरात्रि एवं मेरी माताजी के जन्मदिन जैसे शुभ दिन याने फ़रवरी 18, 2023 को मैंने अपने रेडियो शो ज़िंदगी ज़िंदाबाद के १००० एपिसोड पूर्ण किए, जो अपने आप में एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड है। हालाँकि इस विषय में मैं आपसे समय आने पर विस्तृत चर्चा करूँगा। जैसा कि हम सभी जानते हैं, एक छोटा सा पौधा समय के साथ एक बड़ा वृक्ष बन जाता है, ऐसे ही बड़े से बड़े कार्य की शुरुआत, एक छोटी सी पहल से होती है। ठीक ऐसी ही एक छोटी सी पहल, एक छोटे से विचार के साथ मैंने अपने रेडियो शो ‘ज़िंदगी ज़िंदाबाद’ की शुरुआत के समय 25 मई 2020 को की थी।
असल में साथियों, इस पहल के पीछे का मुख्य विचार कोविद 19 की वजह से उत्पन्न विपरीत परिस्थितियाँ थी। कोविद 19 के दौरान हम सभी ने देखा था कि हमारे आस-पास कई लोग ऐसे थे जिनके सपने अचानक से टूट गए थे। लोगों ने पारिवारिक, भौतिक, व्यवसायिक, सामाजिक और भावनात्मक सभी क्षेत्रों में किसी ना किसी रूप में नुक़सान उठाया था। हमें चारों ओर से अचानक से ही टूटते सपनों, छूटते साथ और बिखरते परिवारों की नकारात्मक खबरें आ रही थी। ऐसे में कई लोग ऐसे भी थे जो अवसाद, तनाव और नकारात्मक भावों के भँवर में उलझ कर रह गए थे। वे समझ नहीं पा रहे थे कि अब किस तरह फिर से शुरुआत की जाए। उस वक्त मेरे मन में एक छोटा सा विचार आया, क्यों ना हम अपने शहर उज्जैन के पहले कम्यूनिटी रेडियो स्टेशन, रेडियो दस्तक के माध्यम से ऐसे लोगों के जीवन में एक सकारात्मक आस जगा सकें, उन सभी को विश्वास दिला सकें कि ज़िंदगी तो हर हाल में हसीन ही है। कुछ ही दिनों में इस प्रयास के अच्छे परिणाम हमें मिलने लगे। इसी से प्रेरित हो मैंने इसी विचार को हमारे इस समाचार पत्र ग्लोबल हेराल्ड के साथ ‘फिर भी ज़िंदगी हसीन है…’ कॉलम के रूप में करा। आज रेडियो दस्तक के साथ उठाए गए इस छोटे से कदम ने 1000 दिन और मेरे कॉलम ‘फिर भी ज़िंदगी हसीन है…’, ने 951 दिन पूरे कर लिए हैं।
1000 दिनों की इस यात्रा में हमने ज़िंदगी को हर हाल में ज़िंदाबाद या हसीन बनाने के विभिन्न सूत्र सीखने के साथ-साथ, हमारे आस-पास मौजूद उन गुमनाम से सितारों की ज़िंदगी से भी सीखने का प्रयास करा है, जिन पर सामान्य दिनों में हमारा ध्यान भी नहीं जाता है। कुछ किस्से, कुछ कहानियाँ, और उन सबसे बढ़कर एक अलग ढंग से ज़िंदगी को देखने का नज़रिया। आखिर वो दृष्टिकोण ही तो है जो हमें भीड़ से अलग हटकर सोचने, समझने और उससे ज़िंदगी को बेहतर बनाने की ऊर्जा और उपाय दोनों देता है।
इस हज़ार दिन की यात्रा में मेरे साथ भी वही सब हुआ था जो आपके या किसी और के साथ हुआ होगा। जैसे मैं और मेरा परिवार भी कोरोना की चपेट में आया था, इसी दौरान मैंने भी कोरोना की वजह से अपने क़रीबियों को खोया, कोविद की वजह से मैंने भी व्यवसायिक नुक़सान सहा। कुल मिलाकर कहा जाए तो सभी लोगों की तरह मेरा जीवन भी इस दौरान उतार-चढ़ाव भरा रहा। इस दौरान मेरी ज़िंदगी में भी कुछ अच्छे, तो कुछ तनाव भरे पल आए। अपनी पारिवारिक, सामाजिक और व्यवसायिक ज़िम्मेदारियों को निभाने के साथ मैंने इस शो की नियमितता को बरकरार रखने के लिए इसे कभी किसी हाइवे के किनारे, तो कभी किसी कार्यक्रम या व्यवसायिक कार्य के दौरान लोगों से नज़रें बचाकर तो कभी आधी रात को, तो कई बार शो के समय से 10 मिनिट पूर्व लाइव रिकॉर्ड कर, पूरा किया है और शायद यही बात तो इसे अन्य बातों से अलग बनाती है।
दोस्तों, सफलता, तमाम विषम परिस्थितियों, असफलताओं और परेशानियों के बीच किए गए निरंतर प्रयासों का परिणाम होती है। शायद इसी बात ने मुझे तमाम अच्छे कहानीकारों, वक्ताओं, लेखकों के बीच अपनी छोटी सी पहचान बनाने के साथ-साथ एक राष्ट्रीय स्तर का रिकॉर्ड बनाने का मौक़ा दिया है। याद रखिएगा दोस्तों, चलती का नाम ही ज़िंदगी है। सभी परेशानियों, विपरीत परिस्थितियों को भूल जाएँ और अपने बनाए लक्ष्य की ओर एक छोटा सा कदम रोज़ उठाएँ, यक़ीन मानिएगा एक दिन सफलता आपके कदम चूमेगी। शायद इसीलिए तो महान प्रेरक वक्ता श्री शिव खेड़ा जी ने कहा है, ‘जीतने वाले कोई अलग कार्य नहीं करते हैं, वे तो बस हर कार्य को अलग तरीके से करते हैं।’ एक बार फिर अपना प्यार इस शो, कॉलम और मुझ पर बनाए रखने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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