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प्यार की कड़ी को आगे बढ़ाएँ…

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Mar 13, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, ज़िंदगी ख़ुश रहने, ख़ुशी बाँटने और समाज के साथ-साथ इस दुनिया को और बेहतर बनाने का नाम है और मजे की बात तो यह है कि यह सब करने के लिए बहुत कुछ नहीं सिर्फ़ समानुभूति और सहानुभूति के भाव के साथ जीवन जीने की जरूरत होती है। जी हाँ दोस्तों, दया, करुणा, परोपकार के भाव के साथ जीवन जीना और कार्य करना हमारे समाज और इस दुनिया को बेहतर नहीं, बेहतरीन बना सकता है। आइए आज हम एक कहानी के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं कि बिना किसी स्वार्थ के किसी की मदद करना किस तरह समाज को बेहतर बनाता है और किस तरह उसका फल आप तक पहुँचता है। अर्थात् किसी जरूरतमंद को समय पर दी गई मदद किस तरह आपके मुश्किल वक्त को आसान बनाती है।


एंडी रोज की भांति अपनी बाइक से कार्यस्थल की ओर जा रहा था कि उसकी नज़र रोड के किनारे खड़ी एक बुजुर्ग महिला पर गई। उन चिंतित बुजुर्ग महिला को देख ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो उन्हें किसी प्रकार की मदद की जरूरत है। एंडी ने बिना समय गंवाये अपनी गाड़ी उनके पास रोकी तो उसे एहसास हुआ कि उस महिला की मर्सिडीज खराब हो गई है। एंडी उस बुजुर्ग महिला के पास गया और मुस्कुराते हुए उनसे बोला, ‘मैडम मेरा नाम एंडी है और मैं आपकी मदद करना चाहता हूँ।’ शुरू में तो वह बुजुर्ग महिला घबराई फिर एंडी की ईमानदार मुस्कान को देख बोली, ‘मेरी कार में कुछ समस्या आ गई है।’


एंडी ने उस महिला से कार में बैठने के लिए कहा और ख़ुद उनकी कार देखने लगा। जल्द ही उसे पता लग गया कि महिला की कार का टायर पंक्चर हो गया है। उसने बिना कोई सवाल किए स्टेपनी निकाल उसे बदलना शुरू कर दिया। इसी बीच उस बुजुर्ग महिला ने कार में बैठे-बैठे बात शुरू करते हुए कहा, ‘मेरा नाम नोरा है और में सेंट लुईस में रहती हूँ। इस रास्ते से गुजरते वक्त गाड़ी खराब होने के कारण तमाम नकारात्मक आकांक्षाओं से घिर गई थी इसलिए घबरा रही थी। पर ईश्वर ने मदद के लिए आपको भेजकर मेरी परेशानी दूर कर दी।’


कुछ ही देर में एंडी ने कार के टायर को बदल दिया, इसपर महिला ने उसे धन्यवाद दिया और कि वह उसकी इस मदद के लिए कुछ भुगतान करना चाहती है। इस पर एंडी मुस्कुराते हुए बोला, ‘मैंने आपकी मदद इंसानियत के नाते की है, किसी इनाम के लिए नहीं। अगर आप इसके बदले कुछ देना ही चाहती हैं तो जब कभी मौका मिले तो किसी जरूरतमंद की मदद कर इस कड़ी को आगे बढ़ा देना।’ नोरा ने एंडी का शुक्रिया अदा किया और अपनी गाड़ी लेकर वहां से चली गई।


कुछ मील आगे जाने के बाद नोरा कॉफ़ी पीने के लिए एक छोटे से कैफे में रुकी, जहाँ उनका स्वागत एक गर्भवती वेट्रेस ने किया। जिसे गर्भावस्था के अंतिम चरण में होने के कारण सामान्य कार्य करने में भी थोड़ी परेशानी आ रही थी। लेकिन इसके बाद भी वह अपने काम को पूरी मेहनत और मुस्कान के साथ कर रही थी। कॉफ़ी के पश्चात नोरा ने बिल का भुगतान किया और चुपचाप वहाँ से चली गई। लेकिन जब वेट्रेस बिल भुगतान के बाद बचे हुए पैसे लेकर आई तो उसने देखा महिला वहाँ नहीं है और वह पेपर नेपकिन पर उसके लिए मेसेज लिख कर गई है, ‘यह 100 डॉलर तुम्हारे लिए और हाँ यह कोई एहसान नहीं है। किसी ने जरूरत पड़ने पर जैसे मेरी मदद की थी, वैसा ही मैं कर रही हूँ। अगर तुम सच में मुझे यह पैसे लौटाना चाहती हो तो जब किसी जरूरतमंद को देखो, उसकी मदद कर देना और इस प्यार की कड़ी को कभी खत्म मत होने देना।’


पत्र पढ़ते ही वेट्रेस की आँखों में आँसू आ गए। रात को कार्य पूरा कर, घर जाते वक्त वह सोच रही थी कि उस महिला को इस बात का कैसे एहसास हुआ कि उसे और उसके पति को इस पैसे की कितनी ज़्यादा ज़रूरत थी। अगले माह उसके घर एक नया मेहमान आने वाला था और यह उसके लिए कठिन समय था। वह जानती थी कि उसका पति इस वजह से कितना चिंतित है। इन्हीं ख़यालों में जब वह घर पहुँची तब तक उसका पति सो चुका था। वह उसके पास गई और धीमे से उसके कान में बुदबुदाई, ‘सब कुछ ठीक हो जाएगा एंडी और मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।’


दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम, दया और मदद करने की भावना कभी व्यर्थ नहीं जाती। जब हम निस्वार्थ भाव से किसी की मदद करते हैं, तो वही अच्छाई किसी न किसी रूप में हमारे जीवन में वापस लौटती है। आइए, हम भी इस प्यार की कड़ी को आगे बढ़ाएं और जरूरतमंदों की मदद करें और इस दुनिया को बेहतरीन बनाने में अपना योगदान दें।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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