Dec 27, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
हमारी सफलता और हमारे बीच सबसे बड़ी बाधा अगर कोई है, तो वह हम खुद हैं। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इस दुनिया में ज़्यादातर लोगों को लगता है कि वे कितनी भी मेहनत क्यों ना कर लें, जीवन में कुछ बदलने वाला नहीं है। लेकिन अगर हम ऐसी सोच रखने वाले लोगों के जीवन में गहराई से झांक कर देखेंगे तो पाएँगे कि यह लोग पूर्व में मिली असफलताओं या नकारात्मक बातों को अपने जीवन में इतना ज़्यादा महत्व दे देते हैं कि उसकी वजह से उत्पन्न नकारात्मक विचार उन्हें आगे ही नहीं बढ़ने देते हैं और वे अपनी नकारात्मक सोच के कारण, खुद की सफलता की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन जाते हैं और निराशा व मायूसी के साथ अपना जीवन जीते हैं।
ऐसे लोगों से अगर आप बातचीत करेंगे तो पाएँगे कि यह लोग बार-बार अपने अंतर्मन को नकारात्मक बातों या सोच से प्रोग्राम कर, हार मान बैठ जाते हैं। जैसे आप इनको अक्सर कहते हुए सुनेंगे, ‘अब कुछ बदलने वाला नहीं है…’, ‘मेरी तो क़िस्मत फूटी है…’, ‘मुझे अच्छी शिक्षा नहीं मिली…’, ‘मैं अपने कार्य में उतना अच्छा नहीं हूँ…’, ‘क्या होगा अगर…’, ‘लोग क्या सोचेंगे…’, ‘लोग क्या कहेंगे…’, ‘अगर ऐसा नहीं हुआ तो…’, ‘अगर वे बुरा मान गए तो…’, ‘उसका क्या होगा…’, आदि। एक आँकड़ा बताता है कि हमारे मन में प्रतिदिन 60000 से अधिक विचार आते हैं, जिनमें से 83% विचार नकारात्मक होते हैं। ऐसे में नकारात्मक विचारों को उपरोक्त बातों से पोषित करना, निश्चित रूप से आपकी शारीरिक और भावनात्मक क्षमताओं को प्रभावित करता है और इसी वजह से हम खुद को सही कार्य करने से रोकने लगते हैं।
इसके विपरीत, अगर हम चिंता, ग्लानि, अपराध बोध, बेचैनी जैसे नकारात्मक भावों पर क़ाबू पा, सकारात्मक बातों और विचारों पर ध्यान केंद्रित करना सीख जाएँ तो हम अपने लक्ष्यों, अपनी सफलता को पा सकते हैं। इसके लिए आपको हर पल सजग रहते हुए, बाज जैसी निगाहों के साथ अपने नकारात्मक विचारों और भावनाओं को तार्किक रूप से प्रबंधित करना सीखना होगा। ऐसा करना आपके अंदर सेल्फ़ अवेयरनेस बढ़ाएगा। सेल्फ़ अवेयरनेस आपको सही विज़न बनाने में मदद करेगी और सही विज़न आपके फ़ोकस को सही कर भावनाओं को नियंत्रित करते हुए, सही चुनौतियों को पहचानने और उसके अनुसार योजना बनाने में मदद करेगा। सही योजना, आपको अपनी क्षमताओं को पहचान कर, सही दिशा में मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है और अंततः आप बाधाओं को जीत कर, मनचाहा परिणाम पा, सफल बन जाते हैं।
दोस्तों, अब हमने सही बाधाओं को पहचान कर, उन्हें दूर करने का विज्ञान तो समझ लिया है। लेकिन इस विज्ञान को चरणबद्ध तरीक़े से अमल में ला, सफल होना इतना आसान नहीं है, जितना अभी सुनने में लग रहा है। आईए, अब हम उन 6 सूत्रों को समझने का प्रयास करते हैं, जो हमें उपरोक्त बाधाओं को दूर करने में मदद करेंगे-
पहला सूत्र - दिन की सकारात्मक शुरुआत करें
दिन की सकारात्मक शुरुआत करना आपको ऊर्जा से भर, एक नए दिन, नई चुनौतियों और नए परिणामों के लिए तैयार कर देता है। इसलिए अपने दिन की शुरुआत सकारात्मक अफरमेशंस के साथ करें। जैसे, मैं हर क्षेत्र में कामयाब हो रहा हूँ, मैं बहुत खुश और संतुष्ट हूँ, मेरा शरीर स्वस्थ और दिमाग़ तेज़तर्रार है, मैं जो चाहूँ वह कर सकता हूँ, मैं मनचाहे परिणाम पाने में सक्षम हूँ, जीवन में जो भी घट रहा है मेरी बेहतरी के लिए घट रहा है, मैं महान हूँ, मैं सफल हूँ, आदि
दूसरा सूत्र - विचारों को प्रबंधित कर सकारात्मक रहें
विचार पहले हमारी सोच फिर हमारे नज़रिए और अंत में हमारे कर्मों को प्रभावित करता है। इसलिए अगर आप अपने विचारों को प्रबंधित करना सीख जाएँगे, तो आप मनचाहा परिणाम पाने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम उठा लेंगे।
तीसरा सूत्र - बातचीत के दौरान सही शब्दों का चुनाव करें
हमारे शब्द हमारी सोच को प्रभावित करते हैं इसलिए उनका चुनाव सावधानी से करें। नकारात्मक शब्द जहाँ हमारी ऊर्जा को खत्म करते हैं, वहीं सकारात्मक शब्द हमें अपनी क्षमताओं को पहचानने, हमें ऊर्जा से भरने का कार्य करते हैं। इसलिए सामान्य बातचीत के दौरान नकारात्मक शब्दों के प्रयोग से बचें। जैसे, हमेशा के स्थान पर इस बार का प्रयोग करें। जैसे, ‘हमेशा मेरे साथ ऐसा क्यूँ होता है’ कि जगह, ‘इस बार या कभी-कभी मेरे साथ ऐसा क्यूँ होता है’, कहें। इसी तरह ‘मैं एक मूर्ख हूँ’ जैसे न्यायिक शब्दों के बजाय ‘मैंने एक त्रुटि या गलती की है’ जैसे तथ्यात्मक बयानों का उपयोग करें। ध्यान रखें; हमारा अंतर्मन उस कहानी पर विश्वास करता हैं, जो हम हर दिन खुद को बताते हैं!
चौथा सूत्र - हर चुनौती, स्थिति या परिस्थिति को अलग-अलग मानें
हर दिन, एक नया दिन और हर कार्य एक नया कार्य होता है। ठीक इसी तरह हर चुनौती, स्थिति, परिस्थिति, गलती या चूक भी एक नई चुनौती, नई स्थिति, नई परिस्थिति, नई गलती या नई चूक होती है। इन सभी को जनरलाइज्ड कर, एक मानना स्वयं की निगाहों में खुद की छवि को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर हमारे नज़रिए को नकारात्मक बनाता है। इसके स्थान पर अगर आप इन्हें अलग-अलग देखेंगे तो आपके लिए स्वयं की सोच, योजना, कार्यशैली आदि में सुधार लाना आसान होगा।
पाँचवाँ सूत्र - ज़िम्मेदार बनें
दूसरों को दोष देने के स्थान पर जीवन में घट रही हर घटना या किए जा रहे कार्यों अथवा उससे मिले परिणामों की जिम्मेदारी खुद लें। दूसरों को दोष देने के स्थान पर अच्छे या बुरे दोनों की ज़िम्मेदारी लेना, आपको बेहतर बनने का मौक़ा देता है, जिससे आप शुरुआती असफलता के बाद भी मनवांछित परिणाम पा सकते हैं।
छठा सूत्र - सेलिब्रेट करें
जिस तरह हम एक गलती या दोष का दुःख बार-बार मना, अपने विचार, सोच और नज़रिए को प्रदूषित करते हैं, ठीक उसी तरह अगर हम अपनी छोटी से छोटी जीत या सफलता का जश्न मनाने लगें, तो हम अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर खुद को उत्साह के साथ एक नई चुनौती के लिए तैयार कर सकते हैं और मनचाहा परिणाम पा सकते हैं।
आईए दोस्तों, उपरोक्त छः सूत्रों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना कर हम, सफलता की राह में आने वाली चुनौतियों और बाधाओं से सकारात्मक तरीके से निपटते हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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