Sep 20, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। गाँव के बाहरी इलाक़े में एक बहुत ही पहुंचे हुए संत रहते थे। उनके तेजोमय लेकिन एकदम शांत चित्त को देख उनका एक शिष्य बोला, ‘गुरुजी, इतनी विषम परिस्थितियों में आश्रम को सुचारु रूप से चलाने में आने वाली चुनौतियों के बीच आप किस तरह विचारों के प्रवाह को संतुलित रख, अपने चेहरे के तेज को बरकरार रख पाते हैं? मैं तो जीवन की आपाधापी में रोज़ अपना आपा खो बैठता हूँ। कृपया मुझे अपने विचारों के प्रवाह को सम्भालने या संतुलित करने का उपाय बताएँ।’
शिष्य की बात सुन गुरुजी मुस्कुराए और बोले, ‘वत्स, यह बहुत साधारण सा कार्य है। तुम कुछ दिन मेरे सेवक रामदीन के साथ रहो, उसकी दिनचर्या को समग्र रूप से बहुत ध्यान से देखो। तुम्हें अपने सवाल का जवाब मिल जाएगा।’ गुरु की बात सुन शिष्य थोड़ा असमंजस में पड़ गया। उसे लगा एक साधारण सा सेवक मेरी दुविधा का समाधान कैसे सिखाएगा। पर अपने गुरु पर अटूट विश्वास के कारण शिष्य ने गुरुजी के सेवक रामदीन के साथ रहना शुरू कर दिया।
रामदीन का प्रमुख कार्य आश्रम में आने वाले लोगों के रहने, खाने आदि की व्यवस्था सम्भालना था। शिष्य, रामदीन के साथ कई दिन रहा पर उसे रामदीन की दिनचर्या में कोई ख़ास बात नज़र नहीं आई। बल्कि शिष्य को तो वह अज्ञानी, अशिक्षित, अति सामान्य और साधारण इंसान लगा। उसका ज्ञान के साथ सम्बन्ध तो दूर-दूर तक नज़र नहीं आता था। लेकिन हाँ, वह बहुत सरल स्वभाव का धनी था और उसका बर्ताव एकदम शिशुओं जैसा था। उसकी पूरी दिनचर्या में एक ही बात असामान्य थी, रात को सोने से पूर्व वह आश्रम के सारे बर्तनों को अच्छे से माँज कर रखता था और सुबह उठने के बाद उसका पहला कार्य उन सभी मंजे हुए बर्तनों को प्रयोग में लेने से पहले एक बार फिर से धोना होता था। शिष्य ने रामदीन के साथ समय बर्बाद करने के स्थान पर गुरुजी के पास वापस लौटने का निर्णय लिया।
गुरु के पास पहुँचते ही उसने पूरा वृतांत विस्तारपूर्वक कह सुनाया। शिष्य की बात सुन गुरुजी बोले, ‘वत्स, मुझे लगता हैं तुम्हें रामदीन से रात को धोये हुए बर्तनों को सुबह प्रयोग में लाने से पहले, एक बार फिर धोने के कारण को चर्चा कर जानना चाहिए था।’ गुरु की बात मान शिष्य एक बार फिर रामदीन के पास गया और उससे रात को बर्तन धोने के बाद सुबह फिर से बर्तन धोने के विषय में पूछा। शिष्य के प्रश्न का जवाब देते हुए रामदीन बोला, ‘महोदय, दिनभर प्रयोग में लाने के कारण बर्तन गंदे हो जाते हैं इसलिए मैं उन्हें रात को अच्छे से धोकर रखता हूँ और चूँकि वे बर्तन रात भर खुले में रखे रहते है ऐसे में उनपर थोड़ी बहुत धूल चढ़ या जम जाती है। इसलिए मैं उन्हें प्रयोग में लाने से पहले एक बार फिर धोता हूँ। मैं इस विभाग का रखवाला हूँ, इसलिए बर्तन गंदे और धूल भरे ना हो इस बात का ध्यान रखना मेरी ज़िम्मेदारी है।’
रामदीन को शिष्य की बात तो उचित लगी लेकिन इससे भी उसे अपनी समस्या का हल नहीं मिला। वह वापस गुरुजी के पास गया और बर्तन धोने की वजह गुरुजी को बताते हुए, अपना वही प्रश्न दोहरा दिया। प्रश्न सुन गुरुजी मुस्कुराए और बोले, ‘वत्स रामदीन ने तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का जवाब दे दिया था, लेकिन तुम समझ नहीं पाए। अगर तुम भी अपने मन को रात को माँजना और सुबह प्रयोग में लाने से पहले धोना शुरू कर दो तो तुम्हारा चित्त भी एकदम निर्मल और शांत हो जाएगा।’
दोस्तों, बात तो गुरुजी की एकदम सही थी। सामान्यतः मन रूपी हमारा बर्तन दिन भर में मिले विभिन्न अनुभवों की वजह से अक्सर ख़राब हो जाता है। कई बार यह अनुभव हमें हमारे द्वारा किए गए कार्यों की वजह से मिलते हैं तो कई बार समाज में घट रही विभिन्न घटनाओं को देख या सुन कर। दोस्तों, अगर समय रहते इन अनुभवों में से नकारात्मक अनुभवों के प्रभाव को कंट्रोल ना किया जाए, तो यह जीवन के प्रति हमारे नज़रिए को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए दोस्तों, अगर आपकी प्राथमिकता शांत और निर्मल चित्त रख, जीवन जीना है तो आपको भी रात्रि को सोने से पहले अपने मन की गंदगी को माँजना होगा और सुबह उठते ही मन को एक बार फिर सकारात्मक ऊर्जा से भरना होगा।
अपने चित्त को रोज़मर्रा के नकारात्मक अनुभवों के प्रभाव से मुक्त रखने के लिए आप रात्रि को सोने के पहले अपने पूरे दिन को एक बार फिर से देखें और दिनभर में किए गए उन कार्यों को पहचानने का प्रयास करें जिसने आपके मन को नकारात्मक विचारों या ऊर्जा से भरा था। अब जिस तरह हम किसी फ़िल्म को एडिट करते हैं उसी तरह अपनी दिनभर की फ़िल्म को एडिट करें और नकारात्मक विचार या अनुभव देने वाले इन पलों को काटकर अलग कर दें। अब एक बार फिर अपने दिन भर की नई एडिट करी हुई पिक्चर को देखें और सो जाएँ। इस तरह दोस्तों, आप दिनभर में मैले हुए मन को, नकारात्मकता की गंदगी से मुक्त कर सकते हैं। इसी तरह दोस्तों, सुबह उठते ही एक बार फिर अपने मन को सकारात्मक ऊर्जा से भरने के लिए अफ़रमेशंस काम में लाएँ।
याद रखिएगा दोस्तों, इस मन की रखवाली करना, इसको ख़राब होने से बचाना हमारी ज़िम्मेदारी है। इसलिए उपरोक्त तकनीक द्वारा प्रतिदिन चित्त की सफ़ाई करना आवश्यक है। इसकी सहायता से ही हम अपने दृष्टिकोण को जीवन के प्रति मज़बूत बना सकते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
Comentarios