June 28, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
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दोस्तों, आपको अपने आस-पास ऐसे कई लोग मिल जाएँगे जो झूठ, फ़रेब या अन्य ग़लत तरीक़ों या शॉर्टकट की सहायता से जीवन में सफल होना चाहते हैं, अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। ऐसे ही एक सज्जन व्यक्ति से हाल ही में एक ट्रेनिंग सेशन के दौरान मुलाक़ात हुई। सेशन के दौरान लिए गए ब्रेक में यह सज्जन मेरे पास आए और बोले, ‘वैसे सर आप जो भी बातें बता रहे हैं वह सुनने में तो बड़ी अच्छी लगती हैं लेकिन आज के जमाने के हिसाब से पुरानी हो गई है। आज के युग में अगर आप सफल होना चाहते हैं तो आपको सच्चाई छोड़कर समय और स्थिति के अनुसार निर्णय लेने पड़ते हैं। बिना चंट या चालाक बने आप सफल नहीं हो सकते।’ उस वक्त मैंने कोई भी प्रतिक्रिया देने के स्थान पर मुस्कुराना बेहतर समझा और ब्रेक के बाद सेशन की शुरुआत एक कहानी से शुरू करी, जो इस प्रकार थी-
बात कई हज़ार साल पुरानी है। एक बार दानवों ने ईश्वर पर पक्षपाती होने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘प्रभु! आप हमेशा देवताओं के हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लेते हैं, हमेशा उनके फ़ायदे की बात करते हैं। आपने कभी भी हम दोनों को एक सामान मौक़ा नहीं दिया।’ भगवान मुस्कुराए और बोले, ‘वत्स, यह तुम्हारी धारणा हो सकती है। मैं तो हमेशा नियमानुसार ही कार्य करता हूँ।’ लेकिन दानव कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं थे। वे अपनी बात पर अडिग रहे और अपनी बात को सिद्ध करने के लिए अजीब से उदाहरण देने लगे जैसे, देवताओं को रहने के लिए आपने कितना अच्छा और सुंदर इंद्रलोक दिया, जबकि दानव लोक कहीं से भी ऐसा नहीं है।
काफ़ी देर शांत रहने के बाद भगवान बोले, ‘मैंने सभी को समान क्षमताएँ और मौके दिए थे लेकिन अंत में फल तुम्हें तुम्हारे कर्मों के अनुसार मिला। रही बात इंद्रलोक के सुंदर और दानव लोक के उजाड़ होने की तो चलो मैं तुम दोनों को एक बार फिर से अपनी दुनिया बसाने का मौक़ा देता हूँ।’ इतना कहते हुए भगवान ने इंद्रलोक और दानवलोक दोनों के रहवासियों को एक स्थान पर बुलाया और कहा, ‘मैं इंद्रलोक और दानवलोक दोनों को मिटा रहा हूँ। अब इसे तुम्हें अपने आप, अपनी इच्छानुसार बनाना होगा। रही बात निर्माण के लिए संसाधन की तो पृथ्वी पर जब भी कोई इंसान सच या झूठ बोलेगा, उसके अनुसार ईंट और अन्य सामग्री यहां तैयार हो जाएगी। सभी सामग्री उत्तम गुणवत्ता वाली होगी, बस तुमको यह तय करना होगा कि तुम अपनी दुनिया झूठ बोलने पर बनने वाली सामग्री से बनाते हो या सच बोलने पर बनने वाली सामग्री से।’
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देवताओं ने तो बिना दिमाग़ लगाए सच बोलने वाली सामग्री से अपनी नई दुनिया बनाने का निर्णय लिया लेकिन दानवों ने सोचा पृथ्वी पर तो लोग झूठ ज़्यादा बोलते हैं इसलिए हमें झूठ बोलने वाली सामग्री से अपनी दुनिया बनानी चाहिए क्यूँकि इससे हमें बिना किसी बाधा के निर्माण सामग्री मिलती रहेगी। दोनों ने ही प्रभु से अपने-अपने निर्णय अनुसार निर्माण सामग्री मांग ली और अगले ही दिन से दो अलग दुनिया का निर्माण चालू हो गया।
आशा के अनुरूप दानवों की दुनिया, देवताओं की दुनिया से बहुत बड़ी और बहुत तेज़ी से बन रही थी क्यूँकि पृथ्वी पर बहुत अधिक झूठ बोले जा रहे थे। जब तक देवताओं की दुनिया के एक हिस्से का निर्माण हुआ था तब तक दानवों ने बड़े-बड़े महल बना लिए थे। दानव अपनी प्रगति देख बहुत खुश थे, अब वे देवताओं की हंसी भी उड़ाने लगे थे। लेकिन एक दिन सुबह-सुबह बड़ी ही विचित्र घटना घटी, दानवों के बनाए बड़े-बड़े महलों में से अचानक ही बीच-बीच में से ईंट और अन्य निर्माण सामग्री ग़ायब होने लगी। दानव आश्चर्यचकित थे, उन्होंने तुरंत उसे ठीक किया लेकिन अब तो यह एक प्रकार से रोज़ का सिलसिला ही बन गया था।
दानव अपनी दुनिया को खंडहर होता देख घबराकर भगवान के पास पहुंचे और उन्हें अपनी परेशानी कह सुनाई। भगवान ने बड़ी शांति के साथ उनकी बात सुनी और बोले ,- ‘अच्छा, निर्माण सामग्री ग़ायब होने लगी अर्थात् पृथ्वी पर जो झूठ बोले गए थे उनका पर्दाफ़ाश होने लगा है, उनका झूठ पकड़ा गया है। इसलिए उससे बनी निर्माण सामग्री भी ग़ायब होती जा रही है।’ भगवान का जवाब सुनते ही दानवों को अपनी गलती का एहसास हो गया और वो प्रभु को प्रणाम करके वापस चले गए।
कहानी पूरी होते ही मैंने सभी ट्रेनिंग के प्रतिभागियों को कहा, ‘याद रखिएगा, हमें बचपन से एक ही बात कई बार सिखाई गई है, ‘झूठ की उम्र बहुत कम होती है, वह आज नहीं तो कल पकड़ा ही जाता है।’ इसी आधार पर मैं कहता हूँ, ‘झूठ से मिली सफलता तात्कालिक होती है।’ लेकिन अगर आप अपने जीवन को खुलकर, पूर्ण शांति के साथ जीना चाहते हैं, तो आपको सच्चाई के रास्ते पर आगे बढ़ना होगा। हो सकता है, आपको सफलता के रास्ते में शुरुआती अड़चनें आएँ या आप धीरे-धीरे सफलता पाएँ। लेकिन आपको सफलता जब भी मिलेगी, स्थायी मिलेगी।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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