Nov 20, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, हाल ही में बच्चों के एक समूह से चर्चा करते समय व्यापार और मूल्यों में आई गिरावट को लेकर काफ़ी विस्तृत चर्चा हुई। मैं इस चर्चा में यह जान हैरान था कि ज्यादातर बच्चे ‘किसी भी मूल्य पर सफलता’ के पक्षधर थे। उनका मानना था कि व्यापार में मुनाफा सबसे महत्वपूर्ण होता है, फिर चाहे वह किसी भी तरह क्यों ना कमाया गया हो। बच्चों की यह धारणा सुन मैंने उन्हें एक कहानी सुनाने का निर्णय लिया जो इस प्रकार थी-
एक बार माँ लक्ष्मी और माँ दरिद्रा में ‘कौन ज्यादा सुंदर’, को लेकर झगड़ा हो गया। माता लक्ष्मी, माँ दरिद्र से कह रही थी कि मैं ज़्यादा सुंदर और माता दरिद्र कह रही थी कि मैं ज़्यादा सुंदर। कुछ ही देर में दोनों बहनों के बीच बात इतनी बढ़ गई कि उन्होंने भगवान विष्णु से इस विषय में राय लेने का निर्णय लिया और वे उसी पल भगवान विष्णु के पास पहुँच गई और उनसे प्रश्न करते हुए बोली, ‘प्रभु! बताइए हम दोनों में से कौन ज़्यादा सुंदर है?’
प्रश्न सुनते ही भगवान विष्णु चिन्ता में पड़ गए क्योंकि अगर वे माँ लक्ष्मी को सुंदर बताते तो माँ दरिद्रा रूठ जाती और अगर माँ दरिद्रा की तारीफ़ करते तो माँ लक्ष्मी रूठ जाती। शुरू में तो भगवान विष्णु ने दोनों को टालने का प्रयास किया लेकिन जब वे मानी नहीं तो उन्होंने कुछ पल विचार कर निर्णय लिया कि इन दोनों की आपसी लड़ाई में पड़कर मुझे अपने संबंध ख़राब नहीं करना चाहिए। इसलिए उन्होंने माँ लक्ष्मी और माँ दरिद्रा को टालने के उद्देश्य से कहा, ‘आप दोनों व्यर्थ में आपस में झगड़ रही हैं। मेरा सुझाव है आप दोनों को भेस बदलकर धरती पर जाना चाहिए और वहाँ पर किसी ईमानदार दुकानदार या व्यापारी से पूछना चाहिए कि आप दोनों में से कौन सुंदर है। सही मायने में आपको वही सही जवाब दे पायेंगे।’
भगवान विष्णु की बात माँ दरिद्रा और माँ लक्ष्मी को पसंद आई। दोनों ने उसी क्षण अपने भेस को बदला और धरती की ओर चल दी। वहाँ पहुँचकर माँ दरिद्रा और माँ लक्ष्मी ने ईमानदार व्यापारी को खोजना शुरू किया और काफ़ी घंटों तक मेहनत-मशक़्क़त करने के बाद वे एक ईमानदार व्यवसायी को खोज पाई। वे दोनों उसके पास गई और अपना नाम बताते हुए बोली, ‘मेरा नाम दरिद्रा है और इनका नाम लक्ष्मी। हम दोनों काफ़ी देर से इस बात के लिए परेशान है कि हम दोनों में से कौन सुंदर है? क्या तुम हमारी इस उलझन को खत्म कर सकते हो?’
दोनों महिलाओं का पहनावा, नाम, बातचीत का लहजा और शब्दों का चयन देखकर ईमानदार दुकानदार समझ जाता है कि यह दोनों साधारण महिलाएं नहीं है। कुछ पलों तक वह व्यापारी बड़ी गंभीरता के साथ इस बात पर विचार करता है और फिर कहता है, ‘बहन, वैसे तो आप दोनों ही बहुत सुंदर हो। लेकिन फिर भी जब आपने मुझसे यह प्रश्न किया है, तो मुझे इसका जवाब तो देना ही होगा। कृपा करके आप दोनों मेरी दुकान के सामने जो पीपल का पेड़ है, वहाँ तक चल कर जायें और लौटकर आयें। तब मैं आपको बता पाऊँगा कि आप दोनों में से सुंदर कौन है।’
माँ लक्ष्मी और माँ दरिद्रा ने ऐसा ही किया। वे दोनों तत्क्षण पीपल के पेड़ तक गई और लौटकर आई और आते ही ईमानदार दुकानदार से बोली, ‘भाई! अब बताओ हम दोनों में से सुन्दर कौन है?’ ईमानदार दुकानदार दोनों हाथ जोड़कर दरिद्रा की देवी से बोलता है, ‘बहन, आप जाते हुए सुंदर दिखती हो और लक्ष्मीजी से कहता है, आप आते हुऐ सुन्दर दिखती हो।’ ईमानदार व्यापारी का जवाब दोनों माताओं को इतना ज्यादा पसंद आया कि तब से माँ दरिद्रा कभी ईमानदार के यहाँ नहीं जाती, और माँ लक्ष्मी कभी ईमानदार के यहाँ से नहीं जाती।
कहानी पूर्ण होते ही मैंने बच्चों से कहा, ‘तुम्हें लग रहा होगा कि यह सब बातें कहानी में ही अच्छी लगती है और असल ज़िंदगी में इन बातों से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, तो आगे बढ़ने से पहले मैं तुम्हें बता दूँ कि जब तुम मूल्यों के साथ मुनाफ़ा कमाते हो तो तुम्हारी साख बढ़ती है और जब साख बढ़ती है, तो तुम्हें अपना फोकस नए ग्राहक लाने पर नहीं अपितु व्यापार को बढ़ाने के लिए आवश्यक बातों पर लगाने का समय मिलता है। अब यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम रोज कुएँ में से बाल्टी निकालकर पानी पीना पसंद करोगे या फिर एक बार कुएँ से घर तक पानी लाने के लिए पाइपलाइन डालोगे।’
वैसे भी दोस्तों, ‘किसी भी मूल्य पर मुनाफ़ा’ आपको अनावश्यक दुविधा, परेशानियों और तनाव की ओर ले जाता है, और ‘मूल्य आधारित मुनाफ़ा’ आपको खुश, शांत और मस्त रहते हुए ज़िंदगी को खुलकर जीने का मौक़ा देता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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