Aug 3, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
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हाल ही में एक बुजुर्ग दम्पत्ति के साथ कुछ वक्त गुज़ारने का मौक़ा मिला। वैसे तो वे मेरे पास अपनी नातिन को कैरियर काउन्सलिंग के लिए लेकर आए थे। लेकिन काउन्सलिंग का मेरा तरीक़ा देख कर उन्होंने जीवन के अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि आजकल वे कितने अधिक दुखी और परेशान चल रहे हैं। जब मैंने उनसे विस्तार से चर्चा की तो मुझे लगा कि समस्या की मुख्य वजह मोह और अपेक्षा रखना है। हालाँकि उनकी उम्र और अनुभव को देखते हुए, मेरा उनको कुछ भी समझाना, ‘छोटे मुँह, बड़ी बात!’, समान था। फिर भी अपने पेशे की गरिमा और स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए मैंने उन्हें एक नैतिक कथा सुनाने का निर्णय लिया, जो इस प्रकार थी-
जंगल के ऊपर से उड़ते वक्त मांस का बड़ा टुकड़ा ज़मीन पर पड़ा देख कालू कौवा बहुत खुश हो गया। वह मन ही मन सोचने लगा कि आज तो ईश्वर के आशीर्वाद से मुझे अपने पूरे परिवार के साथ भरपेट भोजन करने का मौक़ा मिलेगा। विचार आते ही कालू कौवा नीचे ज़मीन पर उतरा और मांस के टुकड़े को अपने पंजों से उठाकर आसमान में उड़ने लगा।
परिवार के साथ पार्टी का सपना देखते हुए ऊँचे आसमान में उड़ते-उड़ते उसे अभी कुछ ही देर हुई थी कि उसे एहसास हुआ कि गिद्धों के एक झुंड ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया है। कालू कौवा उनसे बचने के लिए और तेज़ उड़ने लगा पर कुछ ही देर में उसे एहसास हो गया कि ज़्यादा समय तक गिद्धों से बच पाना सम्भव नहीं होगा। कालू कौवे को अब अपनी मौत सामने नज़र आ रही थी। हालाँकि कालू कौवे ने हार मानने के स्थान पर अंतिम प्रयास के रूप में और तेज उड़ना शुरू कर दिया और साथ ही जान बचाने के अन्य विकल्पों के बारे में सोचने लगा। हालाँकि उसके सभी प्रयास गिद्धों की गति के आगे फीके पड़ते जा रहे थे।
कालू कौवे को इस तरह बदहवास सा उड़ता देख एक बुजुर्ग, समझदार गरुड़ उसके पास पहुँचा और बोला, ‘मित्र, इतने परेशान क्यूँ नज़र आ रहे हो? कुछ मदद चाहते हो तो बताओ।’ कालू कौवा हाँफते-हाँफते बोला, ‘गरुड़ भैया, देखो ना कितने सारे गिद्ध मेरी जान के पीछे पड़े हैं। समझ ही नहीं आ रहा है कि इनसे अपनी जान बचाने के लिए क्या करूँ?’ कालू कौवे की बात सुनकर गरुड़ जोर से हंसा और बोला, ‘यह तो तुम्हारा वहम है कालू कौवे। यह सभी गिद्ध तुम्हारे पीछे नहीं बल्कि तुम्हारे पास जो मांस का टुकड़ा है, उसके पीछे पड़े हैं। तुम इसे छोड़ दो और फिर देखो क्या होता है।’ गरुड़ की बात सुन कौवे ने सोचा, गरुड़ की बात मानने में कोई नुक़सान तो है नहीं, हो सकता है इस उपाय से मेरी जान बच जाए। विचार आते ही कौवे ने मांस के टुकड़े पर अपनी पकड़ ढीली कर उसे आसमान से नीचे गिरा दिया। कौवे के ऐसा करते ही गिद्धों का पूरा झुंड भी मांस के टुकड़े के पीछे लग गया और कौवे ने राहत की साँस ली।
कहानी पूरी कर मेरे चुप होते ही कमरे में पूरी तरह शांति छा गई। कुछ पल इंतज़ार करने के बाद मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘अंकल मैं आपसे उम्र और अनुभव दोनों में ही काफ़ी छोटा हूँ पर मुझे लगता है कि अगर आप कौवे के सामान अपना मोह और अपेक्षाएँ छोड़ देंगे तो आप दुःख और परेशानियों से बच जाएँगे।
जी हाँ दोस्तों, रिश्ते, चल-अचल सम्पत्ति के संदर्भ में हमारी ज़्यादातर परेशानियों की वजह हमारा इनके प्रति मोह होना है। हम सब यह पता होने के बाद भी कि इस दुनिया में हम अकेले और ख़ाली हाथ आए थे और हमें यहाँ से अकेले और ख़ाली हाथ ही वापस जाना है, इनसे मोह करते हैं और दुखी व परेशान होते हैं। अगर हम इनसे मोह करना छोड़ दें तो हमारे सारे दुःख, सारी पीढ़ा, सारी परेशानियाँ उसी वक्त समाप्त हो जाएगी।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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