Mar 16, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, मेरा मानना है, हमारे जीवन में जो कुछ भी घटता है, वो निश्चित तौर पर हमारे फ़ायदे के लिए ही होता है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो हमारे जीवन में घटने वाली हर घटना के पीछे ईश्वर का लक्ष्य हमारे जीवन को बेहतर बनाना होता है। लेकिन कई बार विपरीत परिणाम मिलने पर या विपरीत परिस्थितियों में हम घटना के तात्कालिक प्रभाव को देख क़िस्मत या ईश्वर को दोष देने लगते हैं और यह भूल जाते हैं कि आज नकारात्मक लगने वाली घटना भी, हमें बेहतर बनाने की ईश्वर की योजना का हिस्सा है। आईए दोस्तों, एक बहुत ही प्यारी कहानी के माध्यम से मैं इसे आप सभी को समझाने का प्रयास करता हूँ ।
रामू पूरे भक्ति भाव के साथ परमात्मा की सेवा किया करता था। लोग उसे परमात्मा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे। एक दिन रामू ने सुबह की पूजा के बाद परमात्मा से प्रार्थना करते हुए कहा, ‘भगवान! मैं हमेशा आपकी भक्ति में लीन रहता हूँ लेकिन आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई है। आप भले ही मुझे दर्शन ना दें पर कम से कम ऐसा कुछ तो कीजिए जिससे मुझे अनुभव हो कि आप मेरे साथ हो।’ भक्त के भाव को महत्व देते हुए परमात्मा बोले, ‘ठीक है, अब जब भी तुम रेत पर चलोगे, तब तुम्हें रेत पर दो की जगह चार पैरों के निशान नज़र आएँगे। इनमें से दो निशान तुम्हारे पैरों के होंगे और २ मेरे पैरों के। इस तरह तुम्हें मेरी अनुभूति होती रहेगी।’
अगले दिन से रामू को सैर के समय परमात्मा के साथ होने का एहसास होने लगा। अर्थात् अब उसे रेत पर अपने पैरों के साथ-साथ दो अन्य पैरों के और निशान दिखाई देने लगे। परमात्मा के साथ होने के अहसास मात्र से ही रामू बहुत ख़ुश हो गया। अब रामू रोज़ पहले के मुक़ाबले अधिक आस्था से प्रार्थना करने लगा और रोज़ सैर के लिए, समय से पूर्व पहुँचने लगा।
एक बार रामू को व्यापार में ज़बरदस्त घाटा हुआ। नुक़सान की भरपाई करने में उसका सब कुछ बिक गया और वह रोड पर आ गया। इस बुरे दौर में एक-एक कर उसके सभी दोस्त और रिश्तेदार उसका साथ छोड़कर जाने लगे। इसके कारण रामू को लगने लगा कि मुसीबत में सब लोग साथ छोड़ जाते हैं।
अगले दिन रामू जब सैर पर गया तो उसे रेत पर चार की जगह दो पैरों के निशान दिखाई देने लगे। दो पैरों के निशान देख रामू को आश्चर्य के साथ बहुत दुख हुआ। उसे लगा कि इस बुरे वक़्त में परमात्मा ने भी उसका साथ छोड़ दिया। धीमे-धीमे वक़्त के साथ सब कुछ ठीक होने लगा और सैर के समय रेत पर दो अतिरिक्त पैरों के निशान दिखाई देने लगे। यह देख वह आश्चर्यचकित रह गया और जब उससे रहा नहीं गया तो परमात्मा से बोला, ‘प्रभु, जब मेरा बुरा वक़्त था तब सब लोगों ने मेरा साथ छोड़ दिया था। लेकिन इसका बुरा मुझे नहीं लगा। इसकी दो वजह थी। पहली, इस दुनिया का दस्तूर ही यह है कि लोग बुरे वक़्त में साथ छोड़ जाते हैं और दूसरी वजह, मुझे आपके साथ होने का एहसास था। लेकिन जब आपने मेरा साथ छोड़ा तब मुझे बहुत दुख हुआ। आपने ऐसा क्यों किया?’
रामू की बात सुन परमात्मा मुस्कुराते हुए बोले, ‘तुमने ऐसा कैसे सोच लिया? मैं तो हर पल तुम्हारे साथ था। बुरे दौर में जब तुम्हें दो पैरों के निशान दिख रहे थे, वे तुम्हारे नहीं, मेरे पैरों के निशान थे। तुम्हारे बुरे दौर में मैं तुम्हें अपनी गोद में उठाकर चल रहा था। अब जब तुम्हारा बुरा वक़्त ख़त्म हो गया है तब मैंने तुम्हें गोद से नीचे उतार दिया है। इसलिए अब तुम्हें वापस चार पैरों के निशान दिखाई दे रहे हैं।
दोस्तों, जिस तरह माता-पिता अपने बच्चों का कभी साथ नहीं छोड़ते, ठीक वैसे ही परमात्मा भी हमारा साथ कभी नहीं छोड़ते। बल्कि वे तो हर पल आपको अपने साथ, अपनी गोदी में लिए चलते हैं। इसीलिए दोस्तों हमारी संस्कृति में माता-पिता और परमात्मा को समान मूल्य का माना गया है और कहा गया है कि घर छोड़ने के पहले उन दोनों का आशीर्वाद लेने से सब कार्य अच्छे से सिद्ध होते हैं। इसीलिए साथियों मैंने पूर्व में कहा था, ‘हमारे जीवन में घटने वाली हर घटना के पीछे ईश्वर का लक्ष्य हमारे जीवन को बेहतर बनाना होता है।’ इसलिए दोस्तों जीवन में कभी भी बुरा दौर या विपरीत परिस्थिति आए तो परमात्मा से प्रार्थना करें और सब-कुछ उन पर छोड़ दें। पूर्व जन्म या पूर्व कर्मों का फल कटते ही परमात्मा सब-कुछ ठीक कर देगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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