Sep 2, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक ऐसी कहानी से करते हैं, जो हमें जीवन में आने वाली परेशानियों, दिक्कतों या विपरीत परिस्थितियों के बीच भी बेहतर नज़रिया रख, सकारात्मक रूप से जीवन जीना सिखा सकती है। बात कई वर्ष पुरानी है एक 25-26 साल का युवा रेगिस्तान से गुजरते वक्त बुदबुदाते हुए कह रहा था, ‘हे भगवान!, क्या बेकार जगह बनाई है आपने। जरा ध्यान से देखो, कोसों दूर तक भी हरियाली का नामोनिशान नहीं है। वैसे होगा भी कैसे, आपने तो यहाँ पीने लायक़ भी पानी नहीं दिया है।’
बढ़ते कदम और गुजरते पल के साथ भूख-प्यास से बेहाल उस व्यक्ति का ग़ुस्सा भी बढ़ता जा रहा था। रेगिस्तानी गर्मी ने उसका हाल, बेहाल कर रखा था। उसने झल्लाते हुए आसमान की ओर देखा और बोला, ‘प्रभु जब पीने का पानी नहीं दिया है तो हरियाली कहाँ से दोगे? काश इस इलाक़े को थोड़ा पानी दिया होता, कम से कम कोई और तो कुछ पेड़-पौधे उगाकर इस स्थान को बेहतर बना लेता।
उस युवा के इतना कहते ही चमत्कार हुआ और वहाँ पानी से लबालब भरा एक कुआँ बन गया। बरसों से उस रास्ते से गुज़रने वाले युवा ने जब वहाँ कुआँ देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गया। उसने एक बार फिर ऊपर आसमान की तरफ़ देखा और बोला, ‘पानी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद भगवान जी, लेकिन इस कुएँ में से पानी निकालना या ढोना कैसे सम्भव होगा?’ उसका इतना कहना भर था कि उसे कुएँ के बग़ल में दाहिनी ओर एक रस्सी आर बाल्टी दिख गई। युवा प्रभु की महिमा समझ पाता उससे पहले ही उसे महसूस हुआ जैसे पीछे से उसे कोई छू रहा है। युवा ने तत्काल पलट कर देखा तो वहाँ ऊँट खड़ा था।
मन में आए सभी संसाधनों को हक़ीक़त में देख वह युवा एकदम घबरा गया, उसे लगा कहीं भगवान उसे रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने के काम में ही ना उलझा दें। उसने आव देखा ना ताव सीधे वहाँ से अपने गंतव्य की ओर दौड़ लगा दी। अभी वह कुछ कदम ही चला था कि कहीं से उड़ता हुआ एक काग़ज़ उसके हाथ में आकर चिपक गया। उस युवा ने काग़ज़ खोलकर देखा तो उस पर लिखा था, ‘इस रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने के लिए तुम्हें जो भी चाहिए था, मैंने दिया। अब सब-कुछ तुम्हारे हाथ में है।’ पत्र को पढ़ युवा एक पल के लिए तो ठहरा, कुछ सोचने लगा और अंत में यह बुदबुदाता हुआ आगे बढ़ गया कि ‘मेरे अकेले से क्या होगा!’
असल में दोस्तों यह रेगिस्तान की नहीं अपितु हमारे जीवन की कहानी है। सामान्यतः हममें से ज़्यादातर लोग व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति के मनमाफ़िक ना होने पर दूसरों को दोष देते रहते हैं या फिर ईश्वर से हमेशा किसी ना किसी रूप में शिकायत करते रहते हैं। जैसे क़िस्मत का फूटा होना, सही परिवार में जन्म ना होना, विद्यालय या कॉलेज सही ना मिलना, व्यवस्था में कमी होना, कम्पनी या अधिकारी का बुरा होना या फिर सरकार का दोषी होना।
दोस्तों, दोषारोपण के इस खेल में हम यह भूल जाते हैं कि जीवन में आने वाली हर विपरीत परिस्थिति असल में हमें आगे आने वाले जीवन के लिए तैयार करती है, हमें बेहतर बनाने के लिए होती है। जिस तरह बिना चाबी के किसी ताले का निर्माण नहीं हुआ है, ठीक उसी तरह बिना किसी बड़े उद्देश्य के ईश्वर ने हम में से किसी को भी इस दुनिया में नहीं भेजा है।
शुरुआत में हमें अपने सपनों को पूरा करना रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने समान लग सकता है। लेकिन हक़ीक़त में यह वैसा है नहीं, बस हमें एक छोटे से पौधे को रोप कर, उसका ध्यान रखकर एक शुरुआत करनी होती है। सामान्यतः इस प्रक्रिया में हम जिन कारणों को अपनी सफलता की राह का रोड़ा मानते हैं, असल में वे ही कार्य हमें ईश्वर द्वारा प्रदत्त विभिन्न शक्तियों को पहचानने का मौक़ा देते हैं। जी हाँ साथियों, जब आप विपरीत स्थितियों का सामना करते हैं तब आप अपनी क्षमताओं को पहचानकर उन्हें निखार पाते हैं। इसके विपरीत कहानी वाले युवा की तरह हमेशा शिकायतें करना आपको समझौता करते हुए जीवन जीने के लिए विवश करता है। तो चलिए दोस्तों, आज से हम शिकायतों को छोड़ कर, ईश्वर द्वारा प्रदत्त संसाधनों और शक्तियों पर विश्वास करते हुए अपने जीवन की ज़िम्मेदारी लेते हैं और अपनी दुनिया बदलने या बनाने की शुरुआत करते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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