Jan 3, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों और ज़्यादा पाने की चाह में आज इंसान जीवन मूल्यों, रिश्तों, इंसानियत याने मानवता आदि से भी आगे निकल जाता है और सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिए सोचता नजर आता है। उक्त बात का एहसास मुझे पिछले कुछ दिनों में अपने साथ घटी कुछ घटनाओं को देख कर हुआ। मुझे तो लगता है ऐसे लोग अपने तात्कालिक मुनाफे के चक्कर में यह कभी देख ही नहीं पाते हैं कि इस छोटे से मुनाफ़े के चक्कर में उन्होंने अपना कितना नुक़सान कर लिया है। चलिए, उक्त स्थिति को आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।
बाद कई साल पुरानी है; राज्य की सीमाओं के समीप एक बूढ़ा इंसान तीन गठरियों को उठाकर पहाड़ी चढ़ने का प्रयास कर रहा था। तभी रास्ते में उसे एक स्वस्थ और हस्त-पुष्ट युवा दिखा। बूढ़े आदमी ने उस व्यक्ति को आवाज़ देकर अपने पास बुलाया और उससे कहा कि अगर वह उसकी एक गठरी अगली पहाड़ी तक पहुँचा देगा तो वह उसे, उस गठरी में रखी ताँबे की मुद्राओं में से 5 ताम्बे की मुद्रायें देगा। वह युवा तुरंत इसके लिए तैयार हो गया और बुजुर्ग के हाथों से गठरी लेकर फटाफट दूसरी पहाड़ी तक पहुँच गया और निर्धारित स्थान पर पहुंचने के बाद बूढ़े व्यक्ति का इंतज़ार करने लगा।
कुछ घंटों के इंतज़ार के बाद उसे बूढ़ा व्यक्ति बहुत ही धीमी गति से आता दिखाई दिया। उससे मिलने के बाद उस युवा ने बूढ़े व्यक्ति को उसकी गठरी सौंपी और इनाम के 5 ताम्बे के सिक्के लेकर वहाँ से जाने लगा। लेकिन तभी एक बार फिर बूढ़े व्यक्ति ने उसे आवाज़ दी और उससे कहा अगर तुम मेरी दूसरी गठरी को अगली पहाड़ी तक पहुँचा दोगे तो मैं तुम्हें उसमें रखी चाँदी की मुद्राओं में से 5 चाँदी की मुद्रा और ताम्बे की मुद्राओं की झोली में से 5 ताम्बे की मुद्रायें और दूँगा।
नौजवान ने सहर्ष उस प्रस्ताव को स्वीकार लिया और दोनों झोलों को दूसरी पहाड़ी पर निर्धारित स्थान तक पहुँचा दिया और एक बार फिर बुजुर्ग का इंतज़ार करने लगा। बुजुर्ग ने वहाँ पहुंचते ही नौजवान को अपने वायदे अनुसार ताम्बे और चाँदी के सिक्के इनाम में दिए और उस नौजवान को एक नया प्रस्ताव देते हुए बोला, ‘आगे वाली पहाड़ी को पार करना और ज़्यादा मुश्किल है। इसलिए मैं चाहता हूँ मेरी तीसरी सोने के सिक्कों की गठरी को तुम अगर पहाड़ी के उस तरफ़ पहुँचा दो, तो मैं तुम्हें 5 सोने के सिक्के, 5 चाँदी के सिक्के और 5 ताम्बे के सिक्के और इनाम स्वरूप दूँगा।
इस बार भी नौजवान ने खुशी-खुशी हामी भर दी। लेकिन इस बार निर्धारित स्थान तक पहुंचते-पहुंचते उस नौजवान के मन में लालच आ गया और वह सोचने लगा, ‘अगर मैं तीनो गठरियों को लेकर भाग जाऊँ तो यह बुड्ढा कभी भी मुझे पकड़ ही नहीं पायेगा।’ मन में लालच आते ही उस नौजवान ने अपना रास्ता बदल लिया और कुछ किलोमीटर चलने के बाद, जिज्ञासा वश, एक सुरक्षित स्थान देख सोने के सिक्कों की गठरी खोल कर देखने लगा। लेकिन यह क्या? गठरी में रखी सभी स्वर्ण मुद्रायें तो नक़ली थी।
अभी वह उस गठरी को वहीं फेंकने का मन बना रहा था कि उसकी नज़र गठरी में रखे एक पत्र पर गई, जिसमें लिखा था, ‘जिस बुजुर्ग व्यक्ति की तुमने गठरी चोरी की है, वह वहाँ का राजा है। वे भेष बदल कर अपने कोषागार के लिए ईमानदार सैनिकों का चयन कर रहे हैं। अगर तुम्हारे मन में लालच ना आता तो आज तुम सैनिक के रूप में चुन लिए जाते। जिसके बदले में तुमको रहने को घर और अच्छा वेतन मिलता। लेकिन अब तुमको कारावास होगा क्योंकि तुम राजा जी का सामान चोरी करके भागे हो।यह मत सोचना कि तुम बच जाओगे क्योंकि सैनिक लगातार तुम पर नज़र रख रहे हैं।’
पत्र पढ़ते ही नौजवान ने अपना माथा पकड़ लिया। अभी वह कुछ और सोच या कर पाता, उसके पहले ही सैनिकों ने उसे आकर पकड़ लिया। लालच के कारण उस युवा ने ना सिर्फ़ तात्कालिक इनाम स्वरूप मिले सोने, चाँदी और ताँबे के सिक्के गँवा दिए बल्कि एक सुनहरे भविष्य को हमेशा के लिए खो दिया। इसलिए लालची लोगों को मैं सिर्फ़ एक बात कहना चाहूँगा, ज्यादा पाने की लालसा के कारण लालच में आना अक्सर जो मिला है, उसे भी खा जाता है। इसलिए ही कहते हैं, ‘लालच बुरी बला है!!!’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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