July 14, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, बिना विचारे क्रोध के साथ प्रतिक्रिया देना अथवा कार्य करना मेरी नज़र में खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्यूँकि जब भी आपका निर्णय क्रोध जैसे नकारात्मक भाव और प्रतिक्रिया अर्थात् रिएक्शन पर आधारित होता है, तब आप तथ्यों पर बिना ध्यान दिए या उन्हें नज़रंदाज़ करते हुए कार्य करते हैं और अंत में खुद के लिए अनावश्यक परेशानियाँ या विपरीत परिस्थितियाँ पैदा कर लेते हैं। इस स्थिति को मैं आपको एक बहुत ही सुंदर कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।
बात कई साल पुरानी है, एक बार जनकपुर का राजा, शिकार का पीछा करते हुए घने जंगल में अपने सैनिकों से बिछडकर, रास्ता भटक गया। कई घंटों तक रास्ता खोजने के लिए किए गए प्रयासों की वजह से वह थककर भूख-प्यास से व्याकुल हो उठा। भोजन-पानी की तलाश में इधर-उधर भटकते हुए राजा की नज़र पेड़ की एक डाली पर पड़ी जिससे पानी की बूँद टप-टप कर ज़मीन पर गिर रही थी। पानी को देखकर राजा को ऐसा लगा जैसे संजीवनी बूटी मिल गई हो। उसने तुरंत पत्ते से एक दोना बनाया और उसे ज़मीन पर उस स्थान पर रख दिया जहाँ पानी की बूँदें गिर रही थी। कुछ ही मिनटों में दोने में प्यास बुझाने लायक़ पानी इकट्ठा हो गया। राजा ने खुश होकर पानी पीने के लिए जैसे ही उस दोने को उठाया पेड़ पर बैठी एक चिड़िया ने झपट्टा मार कर उसे ज़मीन पर गिरा दिया। चिड़िया को दोने पर झपट्टा मारते देखकर राजा को लगा हो ना हो यह चिड़िया भी पानी पीने के लिए व्याकुल होगी और शायद इसी प्रयास में इससे पानी ढुल गया होगा।
राजा ने पूरी घटना को नज़रंदाज़ करा और फिर से दोने को उठाकर वापस उसी स्थान पर पानी भरने के लिए रख दिया। अगले 15-20 मिनटों में वह दोना फिर से भर गया। पानी से भरे दोने को देखकर राजा प्रसन्न हो मुस्कुराया और पानी पीने के उद्देश्य से दोने को उठा लिया। लेकिन इस बार भी राजा जैसे ही दोने को अपने मुँह के पास ले गया उस चिड़िया ने एक बार फिर से उसे गिरा दिया। चिड़िया की हरकत को देखकर राजा को बहुत तेज़ ग़ुस्सा आया और उन्होंने घोड़े के चाबुक के एक ही वार से उसे मार गिराया।
ज़मीन पे मरी हुई चिड़िया को पड़ा देख राजा ने सोचा अब मैं शांति से पानी पीकर अपनी प्यास बुझाऊँगा। वे अभी पानी इकट्ठा करने के बारे में सोच ही रहे थे कि उन्हें एक नया आईडिया आया। उन्होंने सोचा कि पानी जहाँ से टपक रहा है क्यों ना वहीं से दोना भर लूँ। विचार आते ही राजा पेड़ की उस डाली पर चढ़ गए, लेकिन वहाँ का नजारा देखते ही उनके होश उड़ गए। असल में पेड़ की उस डाल पर एक ज़हरीला नाग सो रहा था और उसके मुँह से लार टपक रही थी। राजा को सारा माजरा तुरंत समझ आ गया, असल में वह जिसे पानी समझ रहे थे, वह साँप के मुँह से निकली ज़हरीली लार थी और जिस चिड़िया को राजा ने मार गिराया था, असल में वह उनकी जान बचाने का प्रयास कर रही थी।
ऐसा ही तो कुछ दोस्तों हम क्रोध पर बिना सोचे-विचारे प्रतिक्रिया देकर करते हैं। दोस्तों अगर आप ग्लानि अर्थात् रिग्रेट के बिना जीवन जीना चाहते हैं तो आज से ही बिना विचारे प्रतिक्रिया देने के स्थान पर सारे तथ्यों को सामने रखकर, अच्छे से सोच- विचार कर निर्णय लें। इसीलिए तो हमें संतों द्वारा क्रोध के मुक़ाबले क्षमा मार्ग को अपनाने की सलाह दी जाती है। वैसे भी दोस्तों हमेशा याद रखिएगा जल्दबाज़ी में बिना सोचे-विचारे किया गया काम हमेशा परेशानी और पश्चाताप का कारण बनता है और क्रोध से सबसे ज़्यादा नुक़सान खुद को ही होता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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