Dec 30, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, कहने के लिए ‘विश्वास’ सिर्फ़ एक शब्द हो सकता है, लेकिन अगर इसकी गहराई को समझ लिया जाए तो यकीनन पूरे जीवन को आसान बनाया जा सकता है। ऐसा मानने की एक मुख्य वजह है, हमारी ज़िंदगी, हमारे आसपास मौजूद लोगों के साथ हमारे संबंधों पर आधारित होती है और परस्पर विश्वास उन संबंधों को गहरा और टिकाऊ बनाता है। जी हाँ साथियों, आपसी विश्वास रिश्तों को ना सिर्फ़ मज़बूत बनाता है, बल्कि उसमें प्रेम और स्नेह को भी बढ़ाता है। इसके विपरीत, विश्वास का टूटना, मजबूत से मजबूत रिश्तों को तोड़ने लगता है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो आपसी विश्वास के बिना मजबूत रिश्ते भी बिखरने लगते हैं। इसलिए ही कहा जाता है दोस्तों, विश्वास संबंधों की वह नींव है, जिसपर संबंधों का महल बनता है।
इस आधार पर कहा जाए तो अविश्वास होना ही संबंधों में दरार का मुख्य कारण है और यह अविश्वास तब जन्म लेता है जब हम हर चीज का मूल्यांकन केवल अपनी दृष्टि से करते हैं। अर्थात् जब हम ख़ुद को हर स्थिति में सही मान, सामने वाले की भावनाओं और नजरिये को नजरअंदाज करते हैं, तब हम शुरू में संबंधों में दूरियाँ पैदा करते हैं। बीतते समय के साथ यही दूरियाँ अविश्वास को जन्म देकर, रिश्तों में दरार पैदा करती है।
इसलिए साथियों, रिश्तों की मजबूती के लिए हमें न केवल अपनी सोच, बल्कि दूसरों के दृष्टिकोण और भावनाओं को भी समझने का प्रयास करना होगा। जिससे आपसी विश्वास बढ़े और हमारे आपसी संबंध हमेशा के लिए प्रेमपूर्ण बन जायें। याद रखियेगा, जब दोनों पक्ष एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं, तब हर मुश्किल को आसानी से सुलझाया जा सकता है; रिश्ते में मौजूद छोटी-मोटी गलतफहमियों को आसानी से दूर किया जा सकता है। इसलिए ही कहा जाता है, ‘विश्वास ही वह आधारशिला है, जिस पर सच्चा प्रेम और सम्मान टिका रहता है।
लेकिन दोस्तों, आपसी विश्वास को बरक़रार रख संबंधों को निभाना उतना आसान नहीं है, जितना लगता है। यह तो एक साधना के समान है। जी हाँ, संबंध बनाना आसान हो सकता है, लेकिन निभाना तो निश्चित तौर पर साधना ही है। इसलिए किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए धैर्य, समझ और समर्पण की आवश्यकता होती है। इसलिए रिश्तों के विषय में मेरा मानना है कि रिश्ते केवल संयोग से ना तो बन सकते हैं और ना ही निभ सकते हैं। इसके लिए तो दोनों पक्षों की ओर से समान प्रयास जरूरी होता है। इसलिए अगर आप चाहें तो संबंधों के प्रति ईमानदार और संवेदनशील रहकर उसे इतना मजबूत बना सकते हैं कि कोई भी कठिनाई उसे तोड़ नहीं सकती है।
इस बात की शुरुआत दूसरों की भावनाओं को समझने के साथ हो सकती है क्योंकि यह कतई सही नहीं हो सकता है कि हर बार हमारी सोच और मूल्यांकन सही हो। याने संबंधों की मधुरता बनाए रखने के लिए हमें अपनी भावनाओं और दृष्टिकोण के साथ-साथ सामने वाले की भावनाओं और उनके दृष्टिकोण को भी समझना होगा; उन्हें बराबर महत्व देना होगा। ऐसा करके ही हम अपने रिश्तों को और भी बेहतर बना सकते हैं। आइये अब हम संबंधों को मजबूत बनाने के पाँच उपायों को संक्षेप में समझ लेते हैं-
1. खुलकर संवाद करें क्योंकि ऐसा करना आपको अपने विचार और भावनाएं स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में मदद करेगा।
2. सामने वाले की सुनें क्योंकि ऐसा करना आपको उनके दृष्टिकोण को समझने में मदद करेगा।
3. ईमानदार रहें क्योंकि रिश्ते झूठ और छल के साथ लंबे नहीं चल सकते हैं।
4. समझ और धैर्य रखें क्योंकि समझ और संयम रिश्तों के मुश्किल दौर को आसान बना देता है।
5. माफी मांगें और दें क्योंकि गलतियों को स्वीकारना और दूसरे की गलतियों को माफ करना रिश्तों को मजबूत बनाता है।
अंत में दोस्तों मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा कि कुल मिलाकर विश्वास और परस्पर समझ से ही संबंधों को मजबूत और स्थायी बनाकर ही खुशहाल जीवन जिया जा सकता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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