Sep 28, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, कहा जाता है किसी भी इंसान की वृत्ति और प्रवृति संगति से ही सुधरती है। अर्थात् जो इंसान जिस तरह की संगत में रहता है, वह धीरे-धीरे वैसा ही बन जाता है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण संत वाल्मीकि जी हैं जो लूट-मार करने वाले डाकू से रामायण लिखने वाले बन गये। ऐसा ही एक उदाहरण डाकू अंगुलिमाल भी हैं जिनका हृदय परिवर्तन भगवान बुद्ध के सानिध्य की वजह से हुआ था। लेकिन अगर संगत सही ना हो तो स्थिति को बदलते भी देर नहीं लगती है। मेरी नज़र में तो आज के युग में फैली नकारात्मकता बदलते हुए हालात की सबसे बड़ी वजह है। अपनी बात को मैं हाल ही में एक विद्यालय में घटी कुछ घटनाओं से समझाने का प्रयास करता हूँ।
पहली घटना - राजधानी के एक प्रमुख विद्यालय में कक्षा तीसरी के एक छात्र को शिक्षक द्वारा होमवर्क ना करके लाने के कारण डाँटा गया। शिक्षक से पड़ी डांट से खिन्न बच्चे ने शिक्षक को बीच की उँगली दिखाते हुए गालियाँ देना शुरू कर दिया। बच्चे की इस हरकत को देख शिक्षक हतप्रभ थे। उन्होंने जब इस विषय में काउंसलर की मदद से बच्चे से बात करी तो पता चला कि खेल के दौरान मिली ग़लत संगत की वजह से बच्चे के व्यवहार में यह परिवर्तन आया है।
दूसरी घटना - कोविड के बाद से ही बच्चों और युवाओं में अपशब्द कहने का चलन एकदम बढ़ सा गया है। इसके साथ ही ग़लत बातें देखने के कारण बच्चे समय से पहले ही वयस्क होते जा रहे हैं। जिसका असर आजकल बच्चों में व्यापक तौर पर देखने को मिल रहा है। ऐसा ही एक वाकया हाल ही में मेरे समक्ष उस वक़्त आया जब कक्षा नवीं के एक छात्र को उसके पिता डिप्रेशन के कारण काउन्सलिंग के लिए मेरे पास लेकर आए। काउन्सलिंग के दौरान जब बच्चे से विस्तृत चर्चा हुई तो उसके परेशान होने की मुख्य वजह जानकर मैं हैरान रह गया। असल में उस छात्र को उसके दोस्तों द्वारा कोई ‘गर्लफ्रेंड’ ना होने के कारण चिढ़ाया जाता था। लोगों की इस बारे में नकारात्मक बातें सुनते-सुनते इस बच्चे ने ख़ुद को ही संदेह की निगाह से देखना शुरू कर दिया था।
वैसे दोस्तों संभवतः आप में से कई लोगों को उपरोक्त दोनों घटनायें बड़ी सामान्य लग रही होंगी। लेकिन यक़ीन मानियेगा, आने वाले समय में हमें सामान्य सी दिखने वाली इन घटनाओं के भयावह परिणाम देखने को मिलेंगे। वैसे अगर आप मुझसे इस तरह की समस्याओं की मुख्य वजह पूछेंगे तो मैं कहूँगा यह सब ग़लत संगत का ही नतीजा है। गलत संगति के प्रभाव से ही हमारा या बच्चों का व्यवहार बिगड़ जाता है।
जब भी मैंने काउन्सलिंग के दौरान यह बात बच्चे के परिवार के वयस्क सदस्यों को बताई, सभी ने शुरुआती दौर में मेरा विरोध करते हुए कहा है कि हमने ना सिर्फ़ ख़ुद को बल्कि अपने बच्चों को भी इससे बहुत दूर रखा है। फिर इसका असर हमारे परिवार पर क्यों देखने को मिल रहा है? तो इसका जवाब है, साथियों गलत संगत सिर्फ़ किसी ग़लत इंसान के साथ को ही नहीं कहते हैं। अगर आप बच्चों को अपनी मर्ज़ी के हिसाब से इंटरनेट चलाने या ओटीटी पर ग़लत वेब सीरीज़ देखने की छूट दे रहे हैं, तो भी इसका असर आपको बच्चों पर स्पष्ट तौर पर देखने को मिलेगा। जैसा कि कोविड के बाद स्पष्ट तौर पर हमने महसूस किया है।
याद रखियेगा दोस्तों हम बच्चों को कितनी भी अच्छी-अच्छी बातें कह दें, उनके साथ कितना भी भजन-पूजन कर लें लेकिन अगर उनकी संगत सही नहीं है तो सुना हुआ, कहा हुआ और पढ़ा या जाना हुआ कुछ भी आचरण में नहीं उतर पाएगा। जी हाँ साथियों आचरण के विषय में सबसे महत्वपूर्ण अगर कोई बात है तो वह है, ‘संग’ या ‘संगत’ अगर आप बच्चों को धनवान बनाना चाहते हैं तो उन्हें धनी लोगों की संगत में रखें। अगर आप उनको राजनीति में लाना चाहते हैं तो उन्हें राजनैतिक लोगों के बीच में रखें और अगर आप उन्हें संस्कारी बनाना चाहते हैं तो उन्हें संतों, महापुरुषों, अच्छें इंसानों, अच्छी किताबों, अच्छी ट्रेनिंग आदि की संगत में रखें। इसीलिए साथियों मैंने पूर्व में कहा था, ‘वृत्ति' और 'प्रवृत्ति' तो संत संगति से ही सुधरती है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com
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