Oct 01, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, अक्सर हम पद को इंसान से बड़ा मान व्यवहार करते हैं। उदाहरण के लिए कुछ लोग अधिकारी से बात करते वक्त ज़रूरत से ज़्यादा झुक जाते हैं या अत्यधिक अदब से बात करते हैं। लेकिन इसके विपरीत अगर इनका संवाद किसी कनिष्ठ या छोटे इंसान से होता है तो इनकी आवाज़, इनका लहजा पूरी तरह बदल जाता है। यह लोग अक्सर भूल जाते हैं कि उन्हें पद से नहीं व्यक्ति से संवाद करना है। जी हाँ दोस्तों, बिना व्यक्ति से संवाद किए, संवाद के लक्ष्य को पाना असम्भव है और बिना लक्ष्य का संवाद आपको सच्चाई से दूर कर, परेशानी में डाल सकता है। अपनी बात को मैं आपको एक सच्ची घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ।
राजू एक बहुत ही ईमानदार और सीधा-साधा इंसान था। आजीविका चलाने के उद्देश्य से राजू एक कम्पनी में सुरक्षाकर्मी के रूप में कार्य करता था। जल्द ही राजू ने अपने व्यवहार से अन्य सुरक्षाकर्मियों के बीच विशेष जगह बना ली। एक दिन साथी सुरक्षाकर्मी की तबियत ख़राब होने पर राजू को दो शिफ़्ट में एक साथ कार्य करना पड़ा। उस दिन रात्रि पाली के दौरान कुछ ऐसी घटना घटी, कि राजू को अपनी ज़िम्मेदारियों से अतिरिक्त कार्य करना पड़ा, जो सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण था। राजू के द्वारा कम्पनी के सुरक्षा हित में की गई इस पहल व लगातार की गई ड्यूटी की वहाँ मौजूद अन्य सभी साथियों ने काफ़ी सराहना करी।
लेकिन अगली सुबह ही कुछ ऐसा घटा जिसने राजू को एक बार फिर अपनी क्षमताओं से आगे जाकर कार्य करने को मजबूर किया। असल में तीसरी पाली में भी कुछ सुरक्षाकर्मियों अनुपस्थिति थे। राजू ने अपने साथी से कुछ देर आराम कर काम सम्भालने की गुज़ारिश करी और सिक्यूरिटी कैबिन में जाकर सो गया। उसी वक्त एक वरिष्ठ अधिकारी सुरक्षा की स्थिति को जाँचने के उद्देश्य से वहाँ आ गया और राजू को सोते देख ग़ुस्से से भर गया और उस पर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। राजू अपनी ओर से उसे समझाने का प्रयास कर रहा था लेकिन वरिष्ठ अधिकारी कुछ सुनने के लिए राज़ी ही नहीं था। उसे तो सभी सुरक्षाकर्मी मक्कार नज़र आ रहे थे। काफ़ी देर चिल्लाने के बाद उस अधिकारी ने उसी वक्त राजू को नौकरी से निकाल दिया।
राजू इससे पहले कभी भी ड्यूटी पर सोया नहीं था, बल्कि वह तो रोज़ पूरी ईमानदारी से अपनी नौकरी किया करता था। लेकिन इसके बाद भी बिना उसका पक्ष जाने, उसे मक्कार और गलत ठहरा कर नौकरी से निकालाना उसे अंदर तक तोड़ गया। वह भारी और दुखी मन से रोता हुआ कम्पनी से घर जाने के लिए पैदल निकला। रास्ते में उसके पास से एक कार गुजरी जिसमें बैठे व्यक्ति ने राजू को रोते हुए देख लिया। उस व्यक्ति ने अपने ड्राइवर को तुरंत गाड़ी रोकने का आदेश दिया और राजू के पास जाकर उसके रोने की वजह पूछी। राजू ने रोते-रोते ही पूरी कहानी कह सुनाई। पूरी कहानी सुनने के बाद उस सज्जन ने राजू को फिर से नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया और उसकी कार में बैठने का इशारा किया।
उन सज्जन की बात सुन अब राजू की आँखों में ख़ुशी के आंसू थे, उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया और चुपचाप उन सज्जन की कार में बैठ गया। संयोग से वे सज्जन राजू को लेकर वापस उसकी पुरानी कम्पनी में पहुँच गए। वहाँ पहुँचने पर राजू को पता चला कि उसका तथाकथित बॉस कंपनी का मालिक नहीं है, बल्कि सिर्फ एक प्रबंधक है और जो सज्जन उसे वापस लेकर आए वे इस कम्पनी के मालिक हैं। राजू आश्चर्यचकित था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या प्रतिक्रिया दी जाए। कम्पनी के मालिक ने राजू को वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के रूप में नियुक्ति दी और साथ ही उसके पूर्व अधिकारी को नौकरी से निकालते हुए कहा कि अगर राजू चाहे तो उसे फिर से नौकरी पर रख सकता है। बॉस की बात सुन पूर्व अधिकारी सदमें में था और अब वह अपनी नौकरी बचाने के लिए राजू के सामने गिड़गिड़ा रहा था। राजू ने कम्पनी के मालिक से निवेदन कर उस अधिकारी की नौकरी बचवा ली।
दोस्तों, इसीलिए मैंने पहले कहा था कि हमें हमेशा पद से नहीं, व्यक्ति से संवाद करना चाहिए। जिससे आप अपने कर्मचारियों के साथ अच्छा व्यवहार कर पाएँ और साथ ही वरिष्ठों के समक्ष भी पूरे सम्मान के साथ बात रख पाएँगे। भविष्य का हमें पता नहीं है, कब किसका समय बदल जाए और पासा उल्टा पड़ जाए, जैसा राजू के संदर्भ में हुआ था। वैसे भी दोस्तों, पद, पैसा और ताक़त कब किसकी हुई है? इसके स्थान पर अगर आप अपने व्यवहार या शब्दों से किसी का दिल जीत लेते हैं तो वह हमेशा के लिए आपका हो जाता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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