संतोष और संयम से पाएँ सच्चा सुख…
- Nirmal Bhatnagar
- 6 days ago
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Apr 4, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

एक शहर में एक लालची आदमी रहता था, जो संतों और साधुओं की सेवा केवल धन प्राप्ति की इच्छा से करता था। एक दिन, एक चमत्कारी संत ने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर उसे चारों दिशाओं के नाम लिखे चार दीये दिए और कहा, ‘वत्स! जब भी जीवन में तुम्हें धन की आवश्यकता हो, तो एक दीया जलाकर उसपर लिखी दिशा की ओर चलते रहना। जिस स्थान पर वह दीया अपने आप बुझ जाये उस स्थान पर खोदना तुम्हें धन मिल जायेगा। और हाँ, एक बात याद रखना, उत्तर दिशा वाले दीये को तुम्हें किसी भी हाल में जलाना नहीं है।’
उस इंसान ने संत की वाणी को परखने के लालच में उसी क्षण एक दीया जलाया और उस पर लिखी पूर्व दिशा की ओर बढ़ गया। कुछ देर चलने के बाद जिस स्थान पर दीया बुझा उसने वहाँ खोदा तो उसे चाँदी की अशर्फ़ियों से भरा एक घड़ा मिला। उसने तुरंत वह घड़ा लिया और घर आ गया। इस अनुभव ने उसके मन में लालच बढ़ा दिया और फिर वह पहले पश्चिम में और फिर दक्षिण दिशा में आगे बढ़ा और वहाँ से सोने की अशर्फ़ियाँ और रत्नों से भरा घड़ा अपने घर ले आया। अंत में लालच से अंधे हुए इस आदमी ने उत्तर दिशा वाला दिया भी जला लिया और उस दिशा में बढ़ गया। कुछ देर बाद एक महल के समीप उसका दीया बुझ गया, वहाँ वह अभी जमीन खोदने की तैयारी कर ही रहा था कि उसे महल के अंदर से एक बुजुर्ग की आवाज सुनाई दी, जो एक चक्की चला रहा था। लालची आदमी ने बूढ़े से कहा कि तू यहाँ कैसे पहुँचा?, बूढ़े ने कहा, ‘ऐसा कर यह जरा चक्की चला, मैं सांस लेकर तुझे बताता हूँ।’ लालची आदमी ने चक्की चलानी प्रारम्भ कर दी। बूढ़ा चक्की से हट जाने पर ऊँची-ऊँची हंसी हँसने लगा। लालची आदमी उसकी ओर हैरानी से देखने लगा। वह चक्की चलाना बंद करने ही वाला था कि बूढ़े ने खबरदार करते हुए कहा, ‘ना ना चक्की चलानी बंद ना कर।’ फिर बूढ़े ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘यह महल अब तेरा है। परन्तु यह उतनी देर तक खड़ा रहेगा जितनी देर तक तू चक्की चलाता रहेगा। अगर चक्की चलनी बंद हो गयी तो महल गिर जायेगा और तू भी इसके नीचे दबकर मर जायेगा।’ कुछ समय रुककर बूढ़ा फिर कहने लगा, ‘मैंने भी तेरी ही तरह लालच करके संत की बात नहीं मानी थी और इसका परिणाम यह हुआ कि मैंने अपनी सारी जवानी इस चक्की को चलाते हुए बिता दी।’
दोस्तों, लालच में अंधे उस आदमी ने संत की बात को अनसुना कर आशीर्वाद को सजा में बदल लिया था। दोस्तों, लालच इसी तरह आपसे कई सारी चीजें छीन लेता है। आइए अब हम इस कहानी से मिलने वाली महत्वपूर्ण सिखों पर चर्चा कर लेते हैं, जो हमारे व्यवहार और सोच को सही दिशा में ले जा सकती हैं:
1. लालच का अंत विनाशकारी होता है
कहानी का सबसे स्पष्ट संदेश यह है कि लालच कभी भी सुखद परिणाम नहीं देता। जब व्यक्ति अधिक पाने की चाह में सीमा लांघता है, तो वह स्वयं को संकट में डाल देता है। संतोष और संयम जीवन में खुशहाली लाते हैं, जबकि लालच व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर कर सकता है।
2. सुनने और पालन करने की महत्ता
संत ने लालची व्यक्ति को उत्तर दिशा में न जाने की चेतावनी दी थी, लेकिन वह अपनी इच्छा को नियंत्रित नहीं कर पाया। यह हमें सिखाता है कि अनुभवी और ज्ञानी व्यक्तियों की सलाह को गंभीरता से लेना चाहिए। अच्छी सलाह का पालन करने से हम अनावश्यक समस्याओं से बच सकते हैं।
3. धैर्य और संतोष का महत्व
कहानी में व्यक्ति को पहले ही पर्याप्त धन प्राप्त हो चुका था, लेकिन उसने संतोष नहीं किया और अधिक की लालसा में फंस गया। वास्तविक जीवन में भी जब हम अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखते हैं और जो हमारे पास है, उसमें संतुष्ट रहते हैं, तब हमें मानसिक शांति मिलती है।
4. कर्म और परिणाम का सिद्धांत
हमारे कर्म ही हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं। लालची आदमी ने गलत निर्णय लेकर अपने लिए कष्टमय जीवन चुन लिया। यह हमें यह सीख देता है कि किसी भी कार्य को करने से पहले उसके परिणामों पर विचार अवश्य करना चाहिए। सकारात्मक कर्म सदैव सुखद परिणाम लाते हैं।
5. लालच से छुटकारा पाना संभव है
कहानी में बूढ़े व्यक्ति ने अपनी गलती को स्वीकार किया और दूसरों को लालच से बचने की सलाह दी। यह दर्शाता है कि हम अपनी गलतियों से सीखकर न केवल स्वयं को सुधार सकते हैं, बल्कि दूसरों को भी सही मार्ग दिखा सकते हैं।
निष्कर्ष
लालच और असंतोष मनुष्य को अंधकार की ओर ले जाते हैं, जबकि संतोष और संयम हमें सच्चे सुख और शांति की ओर ले जाते हैं। संतों की सीख के अनुसार, यदि हम अपने भीतर संयम और संतोष की भावना विकसित करें, तो जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ भी हमें विचलित नहीं कर पाएंगी।
अतः हमें यह सदैव याद रखना चाहिए, ‘लालच बुरी बला है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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