Dec 18, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
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दोस्तों, बात आज से लगभग 30-35 वर्ष पहले की है, जब मेरे गुरु एक कम्पनी में सेल्समैन के रूप में कार्य किया करते थे। एक दिन सुबह कार्यालय पहुँचते ही उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारी से पूरी ऊर्जा के साथ गुड मॉर्निंग कहा। गुड मॉर्निंग सुनते ही उन अधिकारी ने तिरछी नज़रों से मेरे गुरु की ओर देखा और कहा, ‘व्हाट इज़ सो गुड इन दिस मॉर्निंग?’ अर्थात्, आज की इस सुबह में ऐसा क्या विशेष है, जो यह एक अच्छी सुबह हो गई? अधिकारी का उत्तर सुन मेरे गुरु हैरान रह गए।
अगर आप भी उस वरिष्ठ अधिकारी के उत्तर पर गौर करेंगे तो पाएँगे कि उनके लिए यह खूबसूरत सुबह या दिन सिर्फ़ और सिर्फ़ अन्य बीते हुए दिनों के समान ही था। उन्हें इस बात का भान ही नहीं था कि ईश्वर ने उन्हें एक और खूबसूरत दिन देखने का मौक़ा दिया है, जिसमें वे अपनी असीमित क्षमताओं को खोजने का प्रयास कर सकते हैं; इस दुनिया को कुछ नया, कुछ सकारात्मक दे सकते हैं और कुछ नहीं तो ईश्वर का शुक्रिया कहते हुए एक नए दिन या नई सुबह की शुरुआत कर सकते हैं।
दोस्तों, इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं पहले वे जो अपने दिन की शुरुआत हताशा और निराशा के साथ करते हैं अर्थात् वे नए दिन, नई सुबह की शुरुआत पुराने नकारात्मक अनुभवों को ज़रूरत से ज़्यादा तवज्जो देते हुए करते हैं। वे अपने वर्तमान को अतीत में रहते हुए जीते हैं, इसी वजह से वे उत्साह या ऊर्जा रहित नज़र आते हैं। इसके ठीक विपरीत दूसरी कैटेगरी के लोग हैं जो हर एक नए दिन की क़ीमत जानते हैं, इसीलिए वे सबसे पहले ईश्वर का शुक्रिया करते हुए सकारात्मक अफ़रमेशंस के साथ अपने दिन की शुरुआत उत्साह और ऊर्जा के साथ करते हैं।
एक ओर जहाँ पहली तरह के लोग निंदा, शिकायत, चिंता, तनाव और दुःख के साथ अपने जीवन को जीते हैं। वहीं दूसरी तरह के लोग हर पल ईश्वर का शुक्रिया अदा करते हुए खुश, शांत और चिंतारहित रहते हुए सुखी रहते हैं। पहले लोगों को जहाँ हर चीज़ में कमी नज़र आती है वही दूसरी तरह के लोग पूर्णता और स्वीकारोक्ति के भाव के साथ हर पल को लेते हैं।
दोस्तों, हम किस कैटेगिरी का हिस्सा बन अपने जीवन को जीना चाहते हैं, इसका चुनाव निश्चित तौर पर ईश्वर ने हमारे ऊपर ही छोड़ा है। अगर आपका दूसरी कैटेगिरी को चुनते हुए अपना जीवन जीना चाहते हैं तो मैं आपसे कहूँगा सबसे पहले जागृत अवस्था में अर्थात् पूर्ण चेतना के साथ आत्ममंथन या सकारात्मक चिंतन करें कि आपने आज तक क्या खोया या क्या पाया है? इसका परिणाम चौकानें वाला होगा क्यूँकि इस चिंतन के बाद आपको पहली बार एहसास होगा हमारे जीवन में ज़्यादातर घटनाएँ नकारात्मक नहीं, सकारात्मक घटी हैं। धोखे के मुक़ाबले हमें लोगों से सकारात्मक साथ अधिक मिला है। बस हमने नकारात्मक घटनाओं को ज़्यादा महत्व दे, याद रख लिया है।
‘यह दुनिया या इसमें रहने वाले लोग मतलबी है।’ जैसी धारणा टूटते ही आपको उत्साह से ज़िंदगी जीने के लिए पर्याप्त ऊर्जा प्राप्त होने लगेगी। जी हाँ साथियों, अपने दिन को सकारात्मक ऊर्जा अर्थात् पॉजिटिव एनर्जी से भरते ही हम चुनौतियों को हंसते-मुस्कुराते हुए स्वीकारने लगते हैं और आनंद के साथ जीवन में आगे बढ़ते जाते हैं, जो अंततः हमें और ज़्यादा सकारात्मक ऊर्जा देता है। याद रखिएगा दोस्तों, इस जीवन को जीने का कोई शॉर्टकट नहीं है, आपको इसे ईश्वर प्रदत्त शक्तियों या अपनी आंतरिक क्षमता अर्थात् इनर पोटेंशियल जैसे प्यार, हर्ष, शांति, केयर, साहस, सहानुभूति, समानुभूति, ख़ुशी, उत्साह, उत्सव, सच्चाई आदि को खोज या पहचान कर जीना सीखना होगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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