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सच बोलें सुखी रहें…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Feb 21, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, कहने के लिए जीवन में झूठ और सच का सहारा लेना और जीवन में आगे बढ़ जाना बड़ा सामान्य है। लेकिन हकीकत में इसका प्रभाव जीवन को दिशाहीन और भटकाव से भरा बना सकता है। जी हाँ, झूठ एक ऐसी चीज है जो दिखने में तो बड़ी सामान्य और छोटी लगती है, लेकिन असर पूरी ज़िंदगी पर डाल सकती है। उदाहरण के लिए अक्सर लोग जीवन में छोटी-मोटी गलती करते हैं और फिर उन्हें छुपाने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं और मानकर चलते हैं कि एक झूठ से सब कुछ ठीक हो जायेगा। लेकिन सोच कर देखियेगा, क्या आज तक झूठ से कुछ ठीक हुआ है? या फिर इसने और ज़्यादा बड़ी मुसीबतें खड़ी करी हैं। चलिए इसे आज हम एक कहानी से समझने का प्रयास करते हैं।


कई साल पहले राहुल नाम के एक बच्चे ने हॉफ टाइम के दौरान मजाक-मजाक में ही अपनी सहपाठी रीना की कॉपी के कुछ पेजों को फाड़ दिया। कुछ देर पश्चात विज्ञान की कक्षा में रीना को जब फटी हुई कॉपी के विषय में पता चला तो उसने शिक्षिका से इस विषय में शिकायत करी। जब शिक्षिका ने इस विषय में सभी छात्रों से पूछना शुरू किया तो राहुल थोड़ा डर गया और उसकी बारी आने पर झूठ बोलने लगा कि ‘मैडम, मैंने रीना की कॉपी नहीं फाड़ी है और मुझे यह भी नहीं पता कि यह किसने किया है?’


जब बच्चों में से किसी ने भी अपनी गलती नहीं मानी तो शिक्षिका नाराज होते हुए बोली, ‘जिसने भी रीना की कॉपी फाड़ी है है अगर वह ख़ुद आकर नहीं बताएगा तो पूरी क्लास को सजा मिलेगी।’ शिक्षिका की बात सुन राहुल को लगा कि उसकी गलती अब छुप चुकी है। उसके इस तरह झूठ कहने से उसकी सबसे पक्की दोस्त रोने लगी। जिसकी वजह से राहुल को उस पल तो थोड़ा बुरा लगा, लेकिन अब वो शिक्षिका के डर और अपनी झूठी शान के कारण अपने झूठ को स्वीकारने के लिए राजी ना था।


खैर समय का चक्र आगे बढ़ गया और एक दिन शिक्षिका ने विद्यालय में आने वाले अतिथि के लिए राहुल को एक चित्र बनाने का कहा। राहुल ने बड़ी मेहनत से बहुत ही सुंदर चित्र बनाया, लेकिन तभी गलती से उससे ख़ुद की बनाई पेंटिंग पर पानी गिर गया। वह घबरा गया और उसे लगने लगा कि यह बात अगर शिक्षिका को पता चल गई तो वह उसे डाँटेंगी। इसलिए राहुल ने एक बार फिर शिक्षिका से झूठ कह दिया कि किसी ने उसके बनाए चित्र पर पानी गिरा दिया है।


लेकिन इस बार शिक्षिका ने जब बारीकी से जांच कड़ी तो सारा मामला पकड़ा गया। उन्होंने राहुल को समझाते हुए कहा, ‘राहुल, जब तुमने पहली बार झूठ बोला और वह नहीं पकड़ाया, तो तुम्हें लगा कि ये आसान है। लेकिन झूठ की जड़ें गहरी होती हैं। एक बार जब झूठ बोलने की आदत पड़ जाती है, तो फिर सच बोलना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमेशा सच बोला करो।’ शिक्षिका की बात सुन राहुल को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने उसी क्षण शिक्षिका से माफ़ी माँगते हुए वादा किया कि अब वह कभी झूठ नहीं बोलेगा।


दोस्तों, कहानी बड़ी साधारण सी है और हमें अपने आस-पास मौजूद बच्चों के साथ घटित होते हुए महसूस होती है। लेकिन यकीन मानियेगा ऐसी कहानियाँ सुनना और बच्चों को पहले से सुनाना निश्चित तौर पर लाभदायक होता है क्योंकि इससे जीवन की कई महत्वपूर्ण सीख ली जा सकती है। जैसे-

1) गलती करना बुरा नहीं, लेकिन गलती को छुपाने के लिए झूठ बोलना और भी बुरा है।

2) अगर हम झूठ बोलने की आदत डाल लें, तो सच बोलना भी हमारे लिए मुश्किल हो जाता है।

3) सच्चाई को अपनाने से हमें सुधार का मौका मिलता है, और लोग हमें माफ भी कर देते हैं।


इसलिए दोस्तों, अगली बार जब आप किसी गलती के बाद झूठ बोलने का सोचें, तो रुक कर एक बार ख़ुद को याद दिलाइयेगा, ‘क्या सच बोलना ज्यादा आसान नहीं होगा?’ याद रखिएगा, झूठ से कुछ समय के लिए बचा जा सकता है, लेकिन ये देर-सवेर पकड़ा ही जाता है। तो आइए दोस्तों, आज से ठान लेते हैं कि हम सच बोलने की आदत डालेंगे और अपनी गलतियों से सीखकर ख़ुद को बेहतर बनायेंगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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