June 23, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, अगर आप सजगता के साथ वर्तमान में रहते हुए अपना जीवन जी रहे हैं, तो साधारण से साधारण घटना भी आपकी सोच बदलकर, आपका नज़रिया; आपका जीवन बेहतर बना सकती है। अपनी बात को मैं आपको एक घटना से समझाने का प्रयास करता हूँ।
प्रतिदिन रात्रि को घर लौटते वक़्त राजू अपनी कॉलोनी के स्ट्रीट डॉग्स को खिलाने के लिए रास्ते में से बिस्किट या ब्रेड के 3-4 पैकेट ले लिया करता था। जैसे ही राजू घर पहुँचता था कॉलोनी के सभी कुत्ते उसे पूँछ हिलाते हुए, घेर लिया करते थे। राजू साथ लाई ब्रेड या बिस्किट उन कुत्तों को खाने के लिए देता था और फिर उनके सिर पर सहला कर, घर चला ज़ाया करता था। राजू उन सभी कुत्तों को पिछले कई वर्षों से रोज़ बिस्किट या ब्रेड के रूप में खाना उपलब्ध करवा रहा था।
एक दिन अत्यधिक कार्य होने के कारण राजू ऑफिस में काफ़ी लेट हो गया। उसने सोचा, चूँकि अब रात काफ़ी अधिक हो चुकी है और वह काफ़ी थक भी गया है, इसलिए आज कुत्तों के लिए ब्रेड और बिस्किट नहीं ले जाते हैं। उसके मन के कोने में शायद यह भी चल रहा था कि इतनी रात को सामान्यतः बाज़ार बंद हो जाता है। ऐसे में ब्रेड-बिस्किट ख़रीदने के लिए खुली दुकान ढूँढना भी मुश्किल होगा।
इसी तरह के तमाम विचारों के बीच, राजू अपने घर पहुँच गया। जैसे ही अपनी गाड़ी पार्क कर वह अपनी कार से उतरा, उसे रोज़ की तरह कॉलोनी के कुत्तों ने दुम हिलाते हुए घेर लिया। लेकिन राजू उस दिन उन सभी के लिए कुछ भी लेकर नहीं आया था, इसलिए वह सीधे अपने घर चला गया और दरवाज़ा बंद कर, दैनिक कार्यों में लग गया। राजू को लग रहा था कि उसके अंदर जाते ही सभी कुत्ते वहाँ से चले जाएँगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, वे तो खाने की आस में उसके घर के दरवाज़े के पास बैठ गए।
घर के कार्य पूर्ण करने के बाद राजू जब घर की खिड़की बंद करने लगा, तब उसे एहसास हुआ कि सभी कुत्ते अभी तक उसके घर के बाहर बैठे हुए हैं। उन्हें अभी भी लग रहा था कि राजू अंदर से उनके लिये बिस्किट या ब्रेड लेकर आएगा। यह देख कर राजू का मन बड़ा विचलित हो गया। वह रसोई में जाकर सोचने लगा कि इन सभी कुत्तों को खाने के लिए क्या दिया जा सकता है। तभी अचानक उसे याद आया कि 3-4 दिन पहले घर पर आए मेहमान के लिए लाए गए काजू के कुछ बिस्किट अभी बचे हुए रखे हैं। राजू ने उसी पल बिस्किट वाले डिब्बे को चेक किया तो उसे पता चला की डिब्बे में तो मात्र 7-8 बिस्किट ही बचे हैं। राजू सोचने लगा कि इतने से बिस्किट में वह सारे कुत्तों को भरपेट कैसे खिला पाएगा? तभी उसके मन में दूसरा ख़याल आया कि इन बिस्किटों से भले ही उनका पेट नहीं भरेगा, लेकिन फिर भी वे कुछ तो खा ही लेंगे और वहाँ से चले जाएँगे। विचार आते ही वह उन बिस्किट को लेकर बाहर आया, तो यह देख आश्चर्यचकित रह गया कि वहाँ से सारे कुत्ते जा चुके थे, सिवाये एक छोटे से पिल्ले के। उसे अभी भी विश्वास था कि कुछ तो राजू से अवश्य मिलेगा। राजू ने सारे बिस्किट उस एक पिल्ले के सामने डाल दिये, जिन्हें वो पिल्ला बड़ी खुशी के साथ खा गया और फिर वहाँ से चला गया।
दोस्तों, अब अगर आप इसी घटना को व्यापक और सीखने के नज़रिए से गहराई से देखेंगे तो पायेंगे कि ऐसा ही तो हम सब मनुष्यों के साथ होता है। सामान्यतः हमारा ईश्वर हमें रोज़ सब कुछ देता रहता है। जिसे पा हम खुश हो, उसकी भक्ति में लगे रहते हैं और फिर अगले फल का इंतज़ार करते रहते हैं। लेकिन कभी ईश्वर द्वारा फल देने में ज़रा सी देरी क्या हो जाए, हम उसकी भक्ति पर संदेह करने लगते हैं। लेकिन इसके विपरीत इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो उस ईश्वर पर विपरीत स्थितियों-परिस्थितियों में भी विश्वास बनाये रखते हैं, जिसका फल उन्हें निश्चित तौर पर उनके विश्वास से ज़्यादा मिलता है।
इसलिए दोस्तों, हालात कैसे भी क्यों ना हों, अपने गुरु, अपने प्रभु पर विश्वास बनाये रखें। उसे कैसी भी परिस्थिति में डिगने ना दें। यक़ीन मानियेगा, अगर आपको मनचाहा प्रसाद मिलने में देरी हो रही है तो इसका अर्थ है प्रभु आपके लिए कुछ अच्छा; कुछ बड़ा करने में लगे हुए है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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