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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

हमारी यात्रा बहुत छोटी है…

Oct 2, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, यक़ीन मानियेगा रिश्ते बनते ही टूटने के लिए हैं। जी हाँ, बात थोड़ी कड़वी ज़रूर है, लेकिन यह ख़ुद को भावनात्मक रूप से स्थिर बनाए रखने के लिए ज़रूरी है। अगर आपका लक्ष्य ख़ुद को शांत, सुखी और संतुष्ट बनाये रखना है, तो मेरा सुझाव है कि आप उपरोक्त सूत्र को इसी पल स्वीकार लें और अगर संशय है तो अगले कुछ मिनट मेरे साथ गुज़ारिए और जरा इस क़िस्से के मज़े लीजिए।


बात कुछ साल पुरानी है, एक बुजुर्ग महिला अपने घर जाने के लिए बस से यात्रा कर रही थी। उस बुजुर्ग महिला का मुस्कुराता शांत चेहरा साफ़ बता रहा था कि वह अपने जीवन से पूर्ण संतुष्ट है और एक अच्छा सुखी जीवन जी रही है। अगले पड़ाव पर जब बस रुकी तब एक ग़ुस्सैल और मज़बूत क़द काठी की महिला बस में चढ़ी और जानबूझकर बुजुर्ग महिला को अपने बैग से टक्कर मारते हुए, उनके बग़ल में बैठ गई। अगले कुछ मिनिटों में, सीट पर थोड़ी अधिक जगह पाने की चाह में, उस ग़ुस्सैल महिला ने बुजुर्ग महिला को चार-पाँच बार और अपने बैग, अपनी कोहनी से टक्कर मारी, लेकिन बुजुर्ग महिला इन सब बातों को नज़रंदाज़ करते हुए, अपनी मस्ती में मस्त रही।


जब ग़ुस्सैल महिला ने बुजुर्ग महिला को जरा सा भी विचलित होते हुए नहीं देखा तो वो बोली, ‘मैंने कई बार आपको जान करके परेशान किया, आपको अपनी कोहनी और बैग से टक्कर भी मारी लेकिन आपने एक बार भी मुझे कुछ नहीं कहा; मेरे व्यवहार की शिकायत नहीं की। ऐसा क्यों…’ बुजुर्ग महिला पूर्व की ही तरह मुस्कुराते हुए बोली, ‘इतनी छोटी बात पर असभ्य होकर जवाब देने; कुछ कहने या चर्चा करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है क्योंकि आपके साथ मेरी यात्रा बहुत छोटी है। मैं अगले पड़ाव पर उतरने वाली हूँ।’


दोस्तों, बुजुर्ग महिला का जवाब अपने आप में ही स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य है। रिश्तों के संदर्भ में अगर हम यह स्वीकार लें कि ‘साथ में हमारी यात्रा बहुत छोटी है’, तो फिर हमें आपस में तुच्छ याने छोटी-छोटी बातों पर बहस करने या भिड़ने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।


अगर हम सब इस बात को स्वीकार लें कि ‘इस दुनिया में हमारी यात्रा बहुत छोटी है और किसी भी पल हमारा उतरने वाला पड़ाव आ सकता है।’ जी हाँ दोस्तों, अगर हम सब यह स्वीकार लें कि किसी भी पल हमें इस यात्रा को पूर्ण कर वापस जाना पड़ सकता है, तो हम स्वयं ही इसे व्यर्थ के तर्कों, ईर्ष्या, दुर्भावना, असंतोष, बुरे व्यवहार आदि के साथ बर्बाद करना बंद कर देंगे। याने हम स्वयं यह स्वीकार लेंगे कि उपरोक्त सभी नकारात्मक भावों के साथ इस छोटी सी यात्रा को पूर्ण करना हास्यास्पद बर्बादी से अधिक कुछ नहीं है।


जी हाँ दोस्तों, दो लोग साथ चलते-चलते जीवन के किसी मोड़ पर एक होकर अलग हो जाने हैं, यही रिश्तों की एकमात्र सच्चाई है। इसलिए दोस्तों अगर कोई आपका भरोसा तोड़ दे, तो शांत रहें। कोई आपका दिल तोड़ दे, तो शांत रहें क्योंकि यात्रा बहुत छोटी है।


कोई धोखा दे या धमकाये या फिर अपमानित कर दे, तो तनाव लेने के स्थान पर उसे नज़रंदाज़ करते हुए आराम करें और ख़ुद को याद दिलाएँ कि यात्रा बहुत छोटी है। किसी परिचित की टिप्पणी पसंद ना आए तो उस पर ध्यान ना दें और उसे माफ़ कर ख़ुद शांत हो जायें क्योंकि यात्रा बहुत छोटी है।


दोस्तों, अगर गहराई से सोचेंगे तो पायेंगे कि सुनने में असंभव लगने वाली यह बात ही जीवन में आपको संतोष, शांति और ख़ुशी दे सकती है। वैसे भी हम में से कोई भी अपने जीवन की लंबाई नहीं जानता है। कोई नहीं जानता है कि वह अपने पड़ाव पर कब पहुँचेगा। इसलिए आइये और अपने परिवार और दोस्तों की सराहना और परवाह कीजिए, उनके प्रति करुणा का भाव रख कर दयालु और क्षमावान बनिये। जल्द ही आप पायेंगे कि आप कृतज्ञता और आनंद के भाव के साथ अपना जीवन जी रहे हैं। इसलिए दोस्तों अपनी मुस्कान सबके साथ बाँटते हुए जीवन में आगे बढ़िये क्योंकि हमारी यात्रा बहुत छोटी है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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